न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर पिछले चार-पांच महीनों से किसान आंदोलन हो रहा है. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने किसानों को अपनी पार्टी की तरफ झुकाव और समर्थन पाने के लिए अपने घोषणा पत्र में MSP को लागू करने का वादा किया है. उत्तर प्रदेश को अगर दो भागों में विभाजित किया जाए, तो पूर्वांचल के किसान अधिकतर छोटे जोत के किसान हैं, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की संख्या थोड़ी बड़ी है. पूर्वांचल के किसानों का कहना है कि अगर MSP लागू होगी तो इससे अधिकांश लाभ बड़े किसानों को ही मिलेगा, क्योंकि वे अधिक मात्रा में उत्पादन करते हैं. किसानों ने कहा कि पूर्वांचल के किसानों के मुद्दे अलग हैं क्योंकि उनके यहां अधिकतर छोटे जोत के किसान हैं.
गांव मनोलेपुर में जिला वाराणसी के किसान राममनोहर सिह के पास पांच एकड़ खेत है, जहां वे धान, गेहूं और मक्का की खेती करते हैं. जब किसान तक की टीम ने पूछा कि इस चुनाव में एमएसपी कितना अहम होगा, तो उन्होंने बताया कि हमारे इलाके में किसानों के लिए एमएसपी कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है. इस मुद्दे पर इस इलाके में किसान वोट नहीं करेंगे, क्योंकि हमारे पास जमीन कम है और हमारे परिवार के उपयोग के लिए ही वह काफी है. बाजार में बेचने के लिए हमें अपनी उपज कम देनी पड़ती है, इसलिए एमएसपी से कोई लाभ नहीं होता.
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जब कर्जमाफी के मुद्दे पर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि किसानों को कर्जदार क्यों बना जाए जिससे कि वह कर्जा ले. उन्नति और समृद्धि की बात होनी चाहिए जिससे किसान कर्जदार नहीं बने और विकास कर सके. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों के विकास की बात करती है और उन्हें कर्जमाफी के बजाय साल में 6000 रुपये की मदद मिल रही है. छोटे किसानों के लिए सरकार ने 5 किलो अनाज देने का निर्णय किया है, जो खेत से उत्पन्न होने वाले अनाज की कमी को पूरा करता है. वे इससे खुश हैं.
गांव प्राणपट्टी, जिला वाराणसी के किसान फौजदार यादव के पास 2.5 एकड़ जमीन है. किसान तक से उनका कहना था कि बीजेपी सरकार किसानों के लिए मदद कर रही है, क्योंकि सरकार ने किसानों को साल में 6000 रुपये देने का निर्णय किया है. इससे किसानों को काफी मदद मिल रही है. दूसरा, पांच किलो अनाज मिल रहा है, तो उससे किसानों को पहले खाने के लिए खरीदना पड़ता था, लेकिन अब हमें कुछ उपज बच जाती है. इसको बेचकर उन्हें कुछ फायदा ही मिल रहा है. इस छोटे किसानों के लिए सरकार बेहतर काम कर रही है.
गांव चितावा, जिला अयोध्या के किसान सीताराम वर्मा के पास दो एकड़ खेत है, जहां वे गन्ना, गेहूं और धान की खेती करते हैं. किसान तक से उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की मुख्य परेशानी पर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने बताया कि हमारे इलाके में सबसे बड़ी परेशानी आवारा पशु और नीलगाय की समस्या है, जिससे फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है. उनका कहना है कि सरकार 6000 हजार रुपये की मदद कर रही है, लेकिन उससे भी ज्यादा नीलगाय और आवारा पशु नुकसान कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आवारा पशु और नीलगाय की वजह से दलहन और तिलहन की फसलें बोना छोड़ रहे हैं. किसानों के बच्चों को नौकरी नहीं मिल रही है, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. किसानों की आमदनी कम होने से वे बच्चों को महंगी फीस देने में सक्षम नहीं हो रहे हैं. वे कहते हैं, हम इन समस्याओं का निवारण करने वाले को ही वोट देंगे.
खंजूरडीह, जिला अम्बेडकर नगर के किसान अश्वनी कुमार ने भी इसी तरह का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उनके परिवार में 10 लोग हैं और उनके पास 5 एकड़ खेत है. लेकिन यूरिया, डीएपी, और पोटाश के दामों में वृद्धि के कारण किसानों की लागत बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि पहले 50 किलो यूरिया 300 रुपये में मिलती था, लेकिन अब 40 किलो यूरिया 300 रुपये में मिल रही है. इसके अलावा, डीएपी और पोटाश के दाम डेढ़ से दोगुना बढ़ गए हैं, जिससे किसानों की लागत और बढ़ गई है. इसलिए, उन्हें लगता है कि सरकार किसानों की हितैषी नहीं है.
ग्राम सोनारी, जिला अमेठी के किसान श्री राम त्रिपाठी के पास पांच एकड़ खेत हैं. उन्होंने किसान तक को बताया कि बीजेपी सरकार किसानों के लिए बेहतर है, क्योंकि वह 6000 हजार रुपये दे रही है और कई योजनाओं को लागू कर रही है. इसलिए अधिकांश किसान बीजेपी को वोट देंगे. लेकिन इस बार, अमेठी से अगर राहुल गांधी चुनाव लड़ते हैं, तो अमेठी की जनता उन्हें वोट करेगी क्योंकि राहुल गांधी ने किसानों के लिए बहुत कुछ किया है. इसमें आंवला प्लांटेशन का काम शामिल है. अमेठी की जनता उन्हें अपना मानती है. उन्होंने कहा कि पिछली बार की तरह यह गलती दोहराई नहीं जाएगी क्योंकि राहुल गांधी भविष्य में पीएम बन सकते हैं और फिर अमेठी का विकास होगा.
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इन सबके बीच सवाल उठता है कि क्या क्रांग्रेस को एमएसपी के मुद्दे पर फायदा मिलेगा, जिसमें उन्होंने किसानों के हित के लिए प्रतिबद्धता जताई है, या फिर बीजेपी को किसानों के लिए किए गए काम को देखकर लोग वोट करेंगे? इसके अलावा, क्या नीलगाय और आवारा पशु से हो रहे नुकसान के मुद्दे पर भी ध्यान दिया जाएगा.