भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बुधवार को अपनी एक और लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में पार्टी ने चंडीगढ़ लोकसभा सीट के लिए दो बार की मौजूदा सांसद किरण खेर की जगह चंडीगढ़ बीजेपी के पूर्व मुखिया और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री बलराम दास टंडन के बेटे संजय टंडन को टिकट दिया. किरण खेर को टिकट नहीं मिला, इस पर कई कारण सामने आए हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी किसी नये चेहरे को इस बार प्राथमिकता देना चाहती थी और इसलिए किरण का टिकट कट गया.
किरण साल 2014 और 2019 में लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहीं. लेकिन 10 साल के अपने लोकसभा कार्यकाल के बाद भी वह 'बाहरी' होने के टैग से छुटकारा पाने में विफल रहीं. पिछले महीने ही किरण ने कहा था, 'मैंने पिछले 10 सालों से चंडीगढ़ में रहने और काम करने के लिए अपना परिवार और पेशा छोड़ दिया है.' लेकिन बीजेपी के सीनियर लीडर्स ने उनकी जगह किसी स्थानीय उम्मीदवार को प्राथमिकता देने पर जोर दिया. स्थानीय चयन समिति ने केंद्रीय नेतृत्व को भेजे गए चार नामों की सूची से खेर का नाम गायब था. इसमें कहा गया था कि चंडीगढ़ में लोगों को इस बार 'स्थानीय उम्मीदवार' की जरूरत है.
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दिसंबर 2021 में चंडीगढ़ हुआ निकाय चुनाव बीजेपी के लिए आंखें खोलने वाला था. इन चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) ने बहुमत हासिल किया था. जहां आप को चंडीगढ़ नगर निगम के सामान्य सदन में 14 पार्षद मिले, वहीं बीजेपी को साल 2016 की तुलना में 12 ही सीटें मिलीं. उस साल पार्टी ने 20 सीटें जीती थीं. संजय टंडन चंडीगढ़ बीजेपी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे हैं. वह साल 2010 से 2019 तक इस पद पर रहे.
टंडन के कार्यकाल के दौरान ही पार्टी ने लोकसभा चुनावों के साथ-साथ चंडीगढ़ निकाय चुनावों में भी जीत हासिल की थी. इस सफलता के बाद टंडन हिमाचल प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी बन गये. टंडन के पिता बलराम दास टंडन आजीवन आरएसएस कार्यकर्ता थे. वह साल 1969 से 1970 तक पंजाब के डिप्टी सीएम रहे और बाद में 2014 और 2018 के बीच छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रहे.
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कांग्रेस के पवन बंसल ने साल 1999 से लगातार तीन बार चंडीगढ़ से जीत हासिल की. साल 2014 में बीजेपी ने किरण को पहली बार चुनावी मैदान में पवन बंसल के खिलाफ उतारा था. बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ की जनता और व्यापारी भी किरण से नाराज है. उनका मानना है कि बतौर सांसद किरण ने किसी मसले का समाधान नहीं किया. साथ ही सांसद निधि के तहत मिलने वाली राशि भी गैरजरूरी कामों पर खर्च कर दी.
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