उत्तर प्रदेश में नदियों के पुनर्जीवन और जल संरक्षण को लेकर अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं. राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के तहत न सिर्फ छोटी नदियों का कायाकल्प हो रहा है, बल्कि इस कार्य से ग्रामीणों को भरपूर रोजगार भी मिला है. जल संरक्षण और रोजगार सृजन को समर्पित इस अभियान से गांव-गांव में खुशहाली आ रही है.
नदी पुनरुद्धार कार्यों के माध्यम से प्रदेश में अब तक करीब एक करोड़ मानव कार्य दिवस के रोजगार सृजित किए गए हैं. इससे न केवल श्रमिकों को आजीविका मिली, बल्कि जल संसाधनों का भी व्यापक स्तर पर संरक्षण हो रहा है. यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक मजबूती का कारण बन रहा है. आमतौर पर इसकी रोपाई जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के तीसरे सप्ताह तक की जाती है. वहीं किसानों को रोपाई के दौरान पानी की किल्लत नहीं होगी, क्योंकि प्रदेश के गांव-गांव तक पानी पहुंच रहा है.
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश के परियोजना निदेशक प्रभाष कुमार ने बताया कि प्रत्येक जिले में एक नदी को पुनर्जीवित किया जा रहा है. यह कार्य मंडल स्तर पर मंडलायुक्त की अगुवाई में जिला गंगा समितियों तथा अन्य विभागों-मनरेगा, सिंचाई, लघु सिंचाई आदि के सहयोग से संचालित हो रहा है, जिससे स्थानीय स्तर पर भी जनभागीदारी सुनिश्चित हो रही है.
राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत अब तक लगभग 2000 जल संरक्षण कार्य सफलतापूर्वक संपन्न किए गए हैं। इनमें तालाबों की खुदाई, जल निकायों का गहरीकरण, नालों की सफाई और जल संचयन संरचनाओं के निर्माण प्रमुख हैं. इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है. नदी पुनर्जीवन अभियान के अंतर्गत पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए नदियों के किनारे पौधों का रोपण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. यह कार्य न केवल हरियाली बढ़ाने में सहायक है, बल्कि इससे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकेगा.
परियोजना निदेशक प्रभाष कुमार ने बताया कि इस अभियान से प्रदेश के गांवों में खुशहाली लौट रही है. जिन नदियों को कभी मृतप्राय माना जा रहा था, वे अब फिर से प्रवाहित हो रही हैं. इससे किसानों को सिंचाई का पानी मिला, भूजल स्तर सुधरा और पारिस्थितिकी तंत्र भी संतुलित हुआ है.
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