गेहूं 3,000 रुपये/क्विंटल की नई ऊंचाई पर, एक साल में बढ़ा 15 फीसद दाम

गेहूं 3,000 रुपये/क्विंटल की नई ऊंचाई पर, एक साल में बढ़ा 15 फीसद दाम

कृषि मंत्रालय के एगमार्कनेट के अनुसार, 8 जनवरी तक गेहूं के दाम (wheat price) 2788 रुपये पर पहुंच गए और एक साल में लगभग 20 परसेंट की तेजी देखी जा चुकी है. खाद्य मंत्रालय का एक आंकड़ा बताता है एक साल की तुलना में गेहूं के दाम में 15.76 परसेंट की तेजी आई है. इस साल 31.17 रुपये तक गेहूं के भाव जा चुके हैं.

गेहूं के भाव में लगातार तेजी देखी जा रही हैगेहूं के भाव में लगातार तेजी देखी जा रही है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 17, 2023,
  • Updated Jan 17, 2023, 1:10 PM IST

गेहूं अपने भाव (wheat price) में लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है. फिलहाल गेहूं के दाम 3,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए हैं. पिछले एक साल का हिसाब लगाएं तो गेहूं के दाम में 15 फीसद की तेजी आ चुकी है. यह नया भाव राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश का है. भाव में बढ़ोतरी इसलिए हो रही है क्योंकि पूर्वी भारत, बिहार और यूपी में गेहूं की घोर कमी देखी जा रही है. दिल्ली और यूपी में इन इलाकों से गेहूं की सप्लाई होती है. वहां भारी कमी है, इसलिए दिल्ली में गेहूं के भाव लगातार छलांग लगा रहे हैं.

गेहूं के भाव में कमी देखी जाती अगर केंद्र सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम यानी कि OMSS के अंतर्गत खुले बाजार में गेहूं बेचती. अभी तक सरकार ने ओपन मार्केट में गेहूं बेचने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. इस वजह से भी खुले बाजार में गेहूं के भाव बढ़ रहे हैं. फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, खुले बाजार में गेहूं नहीं है. पूर्वी भारत में भी गेहूं नहीं है. चूंकि सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गेहूं का वितरण बंद कर दिया है, इसलिए खुले बाजार में गेहूं (wheat price) की मांग बढ़ गई है.

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उत्तर प्रदेश में हर दिन गेहूं के दाम बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि यहां गेहूं की भारी कमी देखी जा रही है. देश में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक गेहूं पैदा होता है, लेकिन अभी उसे गुजरात से गेहूं खरीदना पड़ रहा है. व्यापार सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में गेहूं का भाव (wheat price) अभी 3050 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि राजस्थान में इसे 2800 रुपये पर कोट किया जाता है. राजस्थान से गेहूं लाने में ढुलाई का खर्च बढ़ने से उत्तर प्रदेश आते-आते गेहूं महंगा हो जाता है. 

कृषि मंत्रालय के एगमार्कनेट के अनुसार, 8 जनवरी तक गेहूं के दाम 2788 रुपये पर पहुंच गए और एक साल में लगभग 20 परसेंट की तेजी देखी जा चुकी है. खाद्य मंत्रालय का एक आंकड़ा बताता है एक साल की तुलना में गेहूं के दाम में 15.76 परसेंट की तेजी आई है. इस साल 31.17 रुपये तक गेहूं के भाव जा चुके हैं. गेहूं के दाम बढ़ने से आटा के भाव में भी तेजी देखी जा रही है. अभी आटा का दाम 18.5 परसेंट की तेजी के साथ 37.03 रुपये किलो पर पहुंच गया है.

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गेहूं के दाम लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक बने हुए हैं. 2022 के रबी मार्केटिंग सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये निर्धारित है. 2023 सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी बढ़ाकर 2125 रुपये कर दिया गया है. एक ट्रेड एनालिस्ट ने बताया, आने वाले समय में गेहूं और चावल के भाव और बढ़ सकते हैं. बंगाल में अनाजों की कमी के चलते अभी तक 20 लाख टन अनाजों की खरीद हो पाई है जबकि टारगेट 60 लाख टन का रखा गया है. एनालिस्ट ने कहा कि महंगाई का आंकड़ा देखें तो मूलभूत महंगाई इसलिए कम नहीं हो रही क्योंकि अनाजों के दाम बढ़े हुए हैं.

सूत्रों ने बताया कि अगले 15 दिनों में गेहूं के दाम 3300 रुपये क्विंटल तक जा सकते हैं क्योंकि गेहूं की नई फसल आने में अभी समय है. गेहूं की नई उपज फरवरी अंत में या मार्च में आएगी जिसके बाद गेहूं के दाम में गिरावट आने की संभावना देखी जा सकती है. उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तर भारत के इलाकों में मार्च अंत में ही गेहूं की नई पैदावार आएगी. उसके बाद ही दाम गिरने की संभावना देखी जा सकती है. तब तक सरकार अगर खुले बाजार में गेहूं बेचे तो भाव में कुछ नरमी देखने को मिल सकती है.

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