मौजूदा वक्त में बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो फलों की सफल बागवानी कर अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं, उन्हीं किसानों में से एक महेश बालाजी सूर्यवंशी भी हैं. महाराष्ट्र के लातूर जिले के हरंगुल खुर्द गांव के रहने वाले किसान महेश बालाजी सूर्यवंशी ने अपने डेढ़ एकड़ खेत में चीकू की सफल की बागवानी कर एक साल में लगभग पांच लाख रुपये की कमाई की है. साथ ही अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश किया है. महेश बालाजी सूर्यवंशी ने 6 साल पहले अपने डेढ़ एकड़ खेत में चीकू के 120 पौधों को लगाया था जिसमें 4 साल के बाद फल आने शुरू हो गए थे. वही पिछले साल बाजार में चीकू को अच्छा भाव नहीं मिलने की वजह से कुछ खास कमाई नहीं हुई थी, लेकिन इस साल बाजार में चीकू का भाव 60 प्रति किलो मिलने की वजह से एक ही साल में पांच लाख रुपये की कमाई हुई है.
सफल किसान महेश बालाजी सूर्यवंशी के अनुसार, चीकू की बागवानी करने में पिछले 4 सालों में चीकू के पौधों की बुवाई से लेकर बगीचे की देखभाल करने में डेढ़ लाख रुपए की लागत लग चुकी है, जबकि इस साल पांच लाख रुपये की कमाई हुई है.
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किसान के अनुसार, लातूर जिला सूखा क्षेत्र में आने के कारण पानी की समस्या से लगभग हर साल जूझता रहता है. ऐसे में चीकू की पौधों की बुवाई करने के बाद दूसरे साल ही जिले में सूखा पड़ गया, जिसके चलते अपना चीकू का बगीचा बचाने के लिए मुझे पच्चीस हजार रुपयों का पानी खरीद कर बाग में देना पड़ा. वहीं ऐसे सूखे हालतों में भी बाग में सिंचाई करने की वजह से बगीचा में फलों का बाहर है, जिससे अच्छी कमाई भी हो रही है.
देश के कई राज्यों में चीकू की बागवानी की जाती है. वही इसकी बागवानी मुख्य रूप से लेटेक्स के उत्पादन के लिए की जाती है, जिसका इस्तेमाल च्युइंग गम बनाने के लिए किया जाता है. देश में लगभग 65 हज़ार एकड़ में चीकू की बागवानी प्रमुख रूप से कर्नाटक, तामिलनाडू, केरला, आंध्रा प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में की जाती है. वही देश में चीकू का सालाना लगभग 5.4 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होता है. ध्यान देने वाली बात यह है कि चीकू की बागवानी मिट्टी की कई किस्मों में की जा सकती है, लेकिन अच्छे जल निकास वाली गहरी जलोढ़, रेतली दोमट और काली मिट्टी इसकी बागवानी के लिए बेहतर होती है. वही चीकू की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 6.0-8.0 उत्तम होता है.
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