
भारत में चना उगाने वाले किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI) ने चने की एक नई, ज़्यादा पैदावार वाली, ज़्यादा प्रोटीन वाली किस्म-पूसा चिकपी 4037 (अश्विनी) बनाई है. चने की यह किस्म न सिर्फ़ पैदावार बढ़ाएगी बल्कि किसानों का खर्च भी कम करेगी और फसल को बीमारियों से भी बचाएगी. खास बात यह है कि इस किस्म का नाम एक जानें-माने साइंटिस्ट, डॉ. नुनावुत अश्विनी की याद में रखा गया है.
पुसा चना 4037 (अश्विनी) किसानों के लिए कई फायदे लेकर आती है.
यह उत्पादन पारंपरिक किस्मों की तुलना में काफी अधिक है. उच्च पैदावार का मतलब है किसानों की आमदनी में सीधा बढ़ोतरी.
इस चना किस्म में 24.8 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है, जो इसे पोषण की दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाता है. चना भारतीय भोजन का अहम हिस्सा है, इसलिए ऐसी किस्में देश की पोषण सुरक्षा को मजबूत करती हैं.
आज के समय में मशीनों से कटाई (मशीन हार्वेस्टिंग) की जरूरत बढ़ गई है. पुसा चना 4037 (अश्विनी) को मशीन हार्वेस्टिंग के लिए खास तौर पर विकसित किया गया है, जिससे
यह किस्म कई प्रमुख बीमारियों के प्रति मजबूत प्रतिरोध रखती है-
पुसा चना 4037 (अश्विनी) को उत्तर-पश्चिमी मैदान क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है. यह किस्म इन राज्यों के लिए उपयुक्त है-
यह किस्म ठंडे से मध्यम मौसम में शानदार प्रदर्शन करती है.
यह किस्म मिट्टी और जड़ों से होने वाले बड़े रोगों के प्रति प्रतिरोधी है, जिससे दवाइयों पर खर्च बचता है और किसानों को बेहतर लाभ मिलता है.
पुसा चना 4037 (अश्विनी) सिर्फ एक नई किस्म नहीं, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. बेहतर उत्पादन, उच्च पोषण, रोग प्रतिरोध और मशीन से कटाई जैसी खूबियों के साथ यह किस्म आने वाले समय में चना उत्पादन में क्रांति ला सकती है.
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