महाराष्ट्र में प्याज किसानों की कमर टूटी! लासलगांव–नासिक में रेट 1,200 पर… एक्सपोर्ट बैन और बारिश ने किया बर्बाद

महाराष्ट्र में प्याज किसानों की कमर टूटी! लासलगांव–नासिक में रेट 1,200 पर… एक्सपोर्ट बैन और बारिश ने किया बर्बाद

दुनिया भर में मशहूर महाराष्ट्र का प्याज इस वक्त किसी काम का नहीं रह गया है. लासलगांव और नासिक जैसी बड़ी मंडियों में दाम 1,100–1,300 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर चुके हैं. बारिश, खराब क्वालिटी, बंपर आवक और एक्सपोर्ट बैन ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं.

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Onion Price: प्याज किसानों की कमर टूटी! बड़ी मंडियों में रेट 1,200 पर… एक्सपोर्ट बैन और बारिश ने किया बर्बादप्याज के गिरते दाम से किसान परेशान

पूरे महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की कीमतों में भारी गिरावट ने किसानों को संकट में डाल दिया है. अभी, लासलगांव APMC में गर्मियों के प्याज की औसत कीमत लगभग 1,150 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि लाल प्याज की औसत कीमत 1,350 रुपये प्रति क्विंटल है. किसानों की हालत इतनी खराब है कि वे करें तो क्या करें, कुछ समझ में नहीं आ रहा. बात करने पर एक ही जवाब मिलता है-जाएं तो जाएं कहां, आखिर खेती ही तो अपना आसरा है.

आखिर प्याज की दशा इतनी खराब क्यों है? इसके जवाब में नासिक के सडाना इलाके के किसान संजय वाघ बारिश और सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. वाघ कहते हैं, पूरी दुनिया में महाराष्ट्र के प्याज की सबसे अधिक मांग है. लेकिन विदेशों में इसकी सप्लाई नहीं हो सकी क्योंकि सरकार की एक्सपोर्ट पॉलिसी बहुत गलत है. वाघ के मुताबिक, जब पूरी दुनिया महाराष्ट्र का प्याज मांग रही थी तो हमारे यहां एक्सपोर्ट पर बैन लगा था. ऐसे में हमारा पूरा मार्केट पाकिस्तान और बांग्लादेश मार गए. अब महाराष्ट्र के प्याज को कोई पूछता ही नहीं है.

बांग्लादेश भी नहीं लेता हमारा प्याज

बांग्लादेश जैसा छोटा देश भारत से 30 परसेंट प्याज खरीदता है, मगर इस बार वहां प्याज भी नहीं गया. यहां तक कि बांग्लादेश में प्याज के लिए हाहाकार मचा. कीमतें 100 टका तक गईं, लेकिन बांग्लादेश ने भारत से प्याज नहीं लिया बल्कि पाकिस्तान से मंगा लिया. बाघ इस तरह की घटना के लिए भारत सरकार की एक्सपोर्ट पॉलिसी को जिम्मेदार बताते हैं. सरकार की एक नीति और गड़बड़ है. वाघ बताते हैं, सरकार हमेशा कहती है कि ग्राहकों को सस्ते रेट पर प्याज मिलने चाहिए. लेकिन इसकी कीमत किसानों को चुकानी पड़ती है जबकि व्यापारी मुनाफा मार ले जाते हैं.

प्याज के दाम गिरने की वजह व्यापारी भी हैं. वाघ ने बताया कि व्यापारी शुरू में ही सस्ते रेट में किसानों से प्याज खरीद कर रख लेते हैं. फिर मार्केट में कम-कम प्याज सप्लाई करते हैं. इससे मार्केट में आर्टिफिशियल शॉर्टेज पैदा होती है जिसका खामियाजा किसान और ग्राहक को भुगतना होता है जबकि व्यापारी लाभ उठा जाते हैं.

गिरते दाम के लिए सरकार जिम्मेदार

सरकारी सिस्टम के अलावा बारिश ने भी प्याज किसानों की कमर तोड़ रखी है. मई-जून की बारिश ने फसल बर्बाद कर दी. प्याज में नमी की मात्रा बढ़ गई. उसकी क्वालिटी गिर गई जिससे मंडियों में भाव निचले स्तर पर चले गए. यहां तक कि प्याज स्टोरेज लायक नहीं रहा. स्टोरेज में किसानों का 50 परसेंट तक माल खराब हो गया. प्याज का सड़ना और उसका वजन कम होना भी दाम गिरने के मुख्य कारण हैं. मंडियों में इन सभी वजहों से प्याज के भाव नहीं बढ़ रहे हैं और जल्दी बढ़ते हुए दिखाई भी नहीं देते.

कुछ ऐसी बात नासिक जिले के किसान बालचंद्र सोनवने कहते हैं. सोनवने ने कहा कि 1100-1200 रुपये रेट से क्या होता है. किसान को जबतक 2000 रुपये क्विंटल का रेट नहीं मिले तब तक उसकी लागत भी नहीं निकल पाएगी. अभी किसान को लागत के लिए भी सोचना पड़ रहा है. लाल प्याज की उपज वैसे ही कम होती है. इससे उसकी खेती किसान के लिए महंगा काम हो जाता है. यहां तक कि लाल प्याज का स्टोरेज भी कम दिनों के लिए होता है. इसलिए किसान इसे जल्दी और अधिक पैसे में बेचकर मुनाफा कमाना चाहता है. किसान को अगर लाल प्याज का दाम 2500 रुपये क्विंटल ना मिले तो उसकी खेती बेकार है. अभी यही हालत है. 2500 रुपये कौन कहे, 1200 रुपये का रेट भी नहीं मिल रहा है.

प्याज की खेती अधिक, आवक भी बंपर

लेट खरीफ प्याज के दाम भी औंधे मुंह गिरे हैं. इस बारे में सोनवने कहते हैं, लेट खरीफ प्याज नवंबर-दिसंबर से निकलता है. यह प्याज निकलना भी शुरू हो गया है, मगर बारिश ने इसकी पैदावार को तहस-नहस कर दिया है. प्याज बारिश की वजह से सड़ना शुरू हो गया है. उसमें नमी की मात्रा अधिक है, इसलिए मंडियों में व्यापारी औने-पौने दाम पर खरीद कर रहे हैं.

सोनवने ने कहा कि नासिक और लासलगांव का पूरा इलाका प्याज और अनार की खेती के लिए जाना जाता है. प्याज में पहले मुनाफा अधिक हुआ इसलिए अधिक किसानों ने उसकी खेती शुरू कर दी. पहले बाहर से डिमांड भी अधिक थी. अब मामला उलटा हो गया है. विदेशी डिमांड भी खत्म हो गई और देश में भी प्याज की मांग कम हो गई क्योंकि विदेश में सप्लाई नहीं होने से बाजार में इसकी आवक अधिक बढ़ गई है. इन सभी वजहों से नासिक आसपास के लगभग 90 फीसद किसान प्जाज की गिरती कीमतों से परेशान हैं.

कई राज्यों का प्याज महाराष्ट्र में

प्याज के दाम गिरने के और भी कई कारण हैं. नासिक के वरिष्ठ पत्रकार और प्याज के ट्रेड पर नजर रखने वाले प्रवीण ठाकरे कहते हैं, मंडियों में केवल महाराष्ट्र का प्याज नहीं है बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र भर से आवक हो रही है. इससे पहले साल का स्टॉक भी पड़ा है. ऐसे में प्याज के दाम तो गिरेंगे ही. ठाकरे कहते हैं, नई फसल को दाम इसलिए नहीं मिल रहे क्योंकि उस पर बारिश की मार पड़ी है. हालांकि इसमें भी जो अच्छी फसल है, उसे अच्छा रेट मिल रहा है, किसान लाभ कमा रहे हैं, मगर ऐसे किसानों की संख्या बहुत कम है.

ठाकरे ने कहा कि पुरानी फसल पर ब्लैक मिल्ड्यू का प्रभाव अधिक है जिससे उपज में सड़न आ रही है. प्याज काला पड़ रहा है जिससे रेट गिरे हैं. 

वे बताते हैं कि इस बार मंडी में 30-35 फीसद अधिक प्याज की आवक हुई है. जाहिर सी बात है कि रेट गिरेंगे. मांग से अधिक सप्लाई होगी तो रेट गिरेंगे ही. मगर किसानों ने ऐसा नहीं सोचा था कि उनकी उपज इतने कम रेट में बिकेगी. यह उनके लिए चौंकाने वाली बात है.

कब सुधरेगी किसानों की हालत

आवक अधिक क्यों हुई, इस बारे में ठाकरे ने बताया कि खरीफ प्याज अगस्त-सितंबर में निकलता है जबकि लेट खरीफ प्याज नवंबर-दिसंबर में. इस बार बारिश होती रही इसलिए खरीफ प्याज और लेट खरीफ प्याज एक साथ खेतों से निकले. इस वजह से बाजार में एक साथ प्याज की बंपर आवक हो गई. लिहाजा सप्लाई इतनी बढ़ गई कि रेट औंधे मुंह गिर गए. अब देखने वाली बात होगी कि इस गिरते रेट से किसानों को कब तक राहत मिलती है.

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