
कर्नाटक में गन्ने के बाद मक्के के दाम का मुद्दा लगातार बढ़ रहा है. एक हफ्ते के अंदर मक्के की कीमतों में लगभग 30 फीसद की भारी गिरावट से बेलगावी जिले के किसान बहुत परेशान हैं. किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद केंद्र खुलने में देरी की वजह से प्राइवेट खरीदार अपनी शर्तें थोप रहे हैं, जिससे किसानों को अपनी उपज कम दामों पर बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट बताती है, सिर्फ एक हफ्ते पहले, मक्का 2,400-2,500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था. अब कीमतें गिरकर 1,700-1,800 रुपये पर आ गई हैं, जिससे कटाई के मौसम के पीक पर किसानों को झटका लगा है. उत्तरी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में, किसानों ने पहले ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, और सरकार से तुरंत दखल देने की मांग कर रहे हैं.
कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक, खरीफ सीजन के दौरान बेलगावी जिले में 1.4 लाख हेक्टेयर में मक्का बोया गया था, और उम्मीद है कि उत्पादन लगभग 5-6 लाख मीट्रिक टन होगा. हालांकि, इस साल लंबे समय तक बारिश से कई इलाकों में पैदावार पर असर पड़ा है.
केंद्र सरकार ने मक्के के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) 2,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन खरीद अभी शुरू नहीं हुई है. किसानों का आरोप है कि देरी से बिचौलिए कीमतें कम कर रहे हैं और बेचने के लिए बेताब किसानों का फायदा उठा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "कर्ज में डूबे किसानों को फसल के दौरान तुरंत पैसे की जरूरत होती है. केंद्र और राज्य दोनों को किसानों के हितों की रक्षा के लिए तेजी से काम करना चाहिए."
शनिवार को, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने केंद्र को पत्र लिखकर बिना देरी के खरीद केंद्र खोलने का आग्रह किया है. उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि मक्के का इंपोर्ट रोक दिया जाए, यह देखते हुए कि अकेले कर्नाटक में इस साल लगभग 55 लाख मीट्रिक टन मक्के का उत्पादन हो सकता है. एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर महादेवप्पा चबनूर ने कहा कि डिपार्टमेंट को खरीद के संबंध में अभी तक राज्य सरकार या केंद्र से कोई सूचना नहीं मिली है.
भारतीय कृषि समाज के अध्यक्ष सिदागौड़ा मोदागी ने कहा कि केंद्र को खरीद प्रक्रिया शुरू करने में और देरी नहीं करनी चाहिए.
दूसरी ओर, बेलगावी में कर्नाटक रायथा सेना के बैनर तले नवलगुंड में किसानों ने मक्के के लिए 3,000 रुपये प्रति क्विंटल का सपोर्ट प्राइस और हरे चने की अलग-अलग खरीद की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की, जो रविवार को तीसरे दिन भी जारी रही.
कर्नाटक रायथा सेना के प्रेसिडेंट शंकरप्पा अंबाली, जो बड़ी हड़ताल पर हैं, की तबीयत बिगड़ गई, जिससे नवलगुंड, कुंडगोल और हुबली ग्रामीण तालुकों के किसानों और कार्यकर्ताओं में चिंता फैल गई. अंबाली, जिन्हें डायबिटीज और ब्लड प्रेशर है, की सेहत में उतार-चढ़ाव देखा गया. जब उन्होंने हॉस्पिटल ले जाने से मना कर दिया, तो हेल्थ डिपार्टमेंट के लोगों ने मौके पर ही इलाज किया.
अंबाली ने कहा कि भूख हड़ताल के तीन दिन बाद भी, कोई भी चुना हुआ प्रतिनिधि मौके पर नहीं आया. उन्होंने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि राज्य में किसानों के प्रति सरकार की लापरवाही है.