देश में दालों के सरकारी स्टॉक में भारी गिरावट आई है. यहां तक कि सामान्य स्टॉक का यह आधा रह गया है. स्टॉक का इस स्तर तक गिरना अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है क्योंकि इसी स्टॉक की बदौलत सरकार देश में सप्लाई की प्लानिंग करती है. इसी आधार पर महंगाई जैसे फैक्टर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पिछले दो साल दालों के रेट इतने अधिक रहे कि सरकारी एजेंसियों ने किसानों से इसकी खरीद नहीं की. पिछले दो साल में दालों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक रही हैं जिसकी वजह से नेफेड और एनसीसीएफ ने खरीद नहीं की है.
सूत्रों ने बताया कि सरकार के पास दालों का बफर स्टॉक 35 लाख टन तक होना चाहिए ताकि महंगाई जैसी स्थिति में मार्केट इंटरवेंशन प्रोग्राम (MIP) के तहत दालों को बाजार में उतारा जा सके. सरकार विपरीत परिस्थितियों के लिए अपने स्टॉक में अनाज, दालें आदि रखती है ताकि महंगाई या किसी तरह की आपदा के समय उसका इस्तेमाल किया जा सके. 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' की रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी एजेंसियां नेफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) के स्टॉक में लगभग 14.5 लाख टन दालें हैं.
सरकारी स्टॉक में जो दालें हैं उनमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी मूंग (0.77 एमटी) और मसूर (0.53 एमटी) की है. इसमें भी मसूर का स्टॉक इसलिए अधिक है क्योंकि इस दाल का आयात अधिक किया गया है. चने के बफर स्टॉक का नियम 10 लाख टन का है, लेकिन इसमें भी मामूली गिरावट है और यह 0.97 एमटी है. दालों का स्टॉक इसलिए कम हुआ है क्योंकि पिछले दो साल सरकारी एजेंसियों ने एमएसपी अधिक होने की वजह से किसानों से इसकी खरीदारी नहीं की.
दालों में तुअर, मूंग, उड़द, मसूर और चने की सरकारी खरीद नेफेड और एनसीसीएफ के जरिये की जाती है और इसके लिए 'प्राइसेस सपोर्ट स्कीम यानी PSS का सहारा लिया जाता है. इसी खरीद से सरकार दालों का बफर स्टॉक तैयार करती है. 2023-24 में स्टॉक में बड़ी गिरावट दर्ज की गई जबकि 2021-22 में यह 30 लाख टन और 2022-23 में 28 लाख टन से थोड़ा अधिक था.
बफर स्टॉक में गिरावट इसलिए आई है क्योंकि देश में दालों की पैदावार पिछले सालों में घटी है. पैदावार घटने से सरकारी एजेंसियां खरीद नहीं कर पाई हैं क्योंकि किसानों के पास बेचने के लिए दालें नहीं थीं. जिन किसानों के पास दालें थीं, उसकी कीमतें एमएसपी से बहुत अधिक रहीं. कीमतें अधिक होने से नेफेड और एनसीसीएफ ने दालों की खरीद नहीं की जिसका असर बफर स्टॉक की गिरावट के रूप में दिख रहा है. सरकार का कहना है कि इस साल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है जिसके बाद बफर स्टॉक भी बढ़ेगा.