खरीफ में बिहार के किसानों के लिए मौका, मन न भाए धान तो रागी, सूरजमुखी और अरहर से करें बंपर कमाई

खरीफ में बिहार के किसानों के लिए मौका, मन न भाए धान तो रागी, सूरजमुखी और अरहर से करें बंपर कमाई

बिहार में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को रागी, सूरजमुखी और अरहर जैसी फसलों की खेती करने की सलाह दी है. अगर किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं तो वे इन वैकल्पिक फसलों की खेती कर सकते हैं. ये फसलें न केवल कम पानी में उगाई जा सकती हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती हैं और बाजार में अच्छा दाम भी दिलाती हैं.

How to grow Sunflower How to grow Sunflower
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Samastipur/Patna,
  • Jun 30, 2025,
  • Updated Jun 30, 2025, 4:31 PM IST

बिहार के किसानों के लिए खरीफ सीजन में आमदनी बढ़ाने का सुनहरा मौका है. अगर आप धान की खेती नहीं करना चाहते या सिंचाई की सुविधा सीमित है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को रागी, सूरजमुखी और अरहर जैसी वैकल्पिक फसलों की खेती की सलाह दी है. ये फसलें न केवल कम पानी में उगाई जा सकती हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती हैं और बाजार में अच्छा दाम भी दिलाती हैं.

कम पानी वाले क्षेत्रों में रागी की खेती  

रागी या मडुआ की खेती बिहार के लिए एक उपयोगी विकल्प है, खासकर उन इलाकों में जहां पानी की किल्लत है. जून के अंत से जुलाई के मध्य तक इसकी बुआई का आदर्श समय है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आरएयू 8 और राजेंद्र मडुआ 1 जैसी किस्में ऊंची जमीन पर अच्छी पैदावार देती हैं. इसके लिए प्रति हेक्टेयर 20-20 किलो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का उपयोग लाभकारी होता है.

खरीफ सीजन में सूरजमुखी की खेती पर सुझाव

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के वैज्ञानिकों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई है, वहां ऊंची जमीन पर सूरजमुखी की बुवाई के लिए वर्तमान मौसम अनुकूल है. वहीं, किसान बीज के रूप में मोरडेन, सूर्या, सी.ओ.–1 और पैराडेविक जैसी उन्नत संकुल (कंपोजिट) किस्मों का चयन कर सकते हैं. साथ ही, बी.एस.एच.–1, के.बी.एस.एच.–1 और के.बी.एस.एच.–44 जैसी संकर (हाइब्रिड) किस्मों का भी चयन किया जा सकता है.

वहीं, बुवाई के समय किसान प्रति हेक्टेयर उर्वरकों में 100 क्विंटल कंपोस्ट, 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 से 90 किलोग्राम फॉस्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 30 से 40 किलोग्राम गंधक (बुवाई के समय खेत में छिड़काव करें). साथ ही बीज की मात्रा संकर किस्मों के लिए 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और संकुल किस्मों के लिए 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करना चाहिए.

धान से अधिक मुनाफा देगी यह दलहन फसल

दलहन फसलों में अरहर की दाल सबसे महंगी बिकती है. यह फसल कम लागत में किसानों को अधिक मुनाफा दे सकती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अरहर की खेती के लिए ऐसी जमीन उपयुक्त है जहां पानी का जमाव न हो. इसके लिए किसान बहार, पूसा-9, नरेंद्र अरहर-1, मालवीय-13, राजेंद्र अरहर-1 आदि उन्नत किस्मों के बीज का चयन कर  सकते हैं. बुआई से 24 घंटे पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम दवा से उपचारित करना चाहिए. प्रति हेक्टेयर 18 से 20 किलोग्राम बीज का उपयोग उपयुक्त है. साथ ही, उर्वरक के रूप में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फॉस्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करना चाहिए.

MORE NEWS

Read more!