देश के अधिकांश किसान पारंपरिक खेती में लाभ न होता देख फलों की खेती करने लगे हैं. इससे उन्हें कम लागत में अच्छा-खासा मुनाफा हो रहा है. वहीं, किसानों के बीच अमरूद की बागवानी एक बेहतर विकल्प साबित हो रही है. अमरूद की बागवानी वैसे तो हमारे देश में बड़े पैमाने पर की जाती है और इसकी फसल से बागवानों को अच्छी कमाई भी होती है. ऐसे में अमरूद की एक खास किस्म है जिसकी खेती किसान इस बरसात कर सकते हैं. इस किस्म का नाम ताइवान पिंक है. इसकी खास बात यह है कि यह साल में दो बार फल देती है. ऐसे में किसान कम लागत में इसकी खेती कर सकते हैं. बता दें कि ताइवान पिंक अमरूद की रोपाई जुलाई के महीने में की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं बरसात में कैसे करें ताइवान अमरूद की बागवानी और क्या है इसकी खासियत.
ताइवान पिंक की खासियत ये है की इसका बीज मुलायम होता है.वहीं, इसके अंदर का लेयर पिंक रंग का होता है, जो खाने में बेहद क्रिस्पी और मीठा लगता है. इस अमरूद में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन सी और मिनरल्स पाए जाते है.वहीं, अन्य पौधे लगाने पर दो से तीन साल में फलते है.लेकिन इसकी खासियत ये है की 6 महीने में इसका फल तैयार हो जाता है. वहीं, हर साल तीन-तीन महीने के अंतराल पर फूल के साथ फल खिलता है.इसका ऊंचाई अधिकतम 6 से 7 फिट होता है.जिसे हाथों से आसानी से तोड़ा जा सकता है.इसमें पेड़ पर चढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती. साथ ही इसकी खासियत ये भी है की इसमें कीड़ा भी कम लगता है.
ताइवान पिंक अमरूद का पौधा न सिर्फ खेतों में बागवानी के लिए उपयुक्त है, बल्कि इसे शहरी क्षेत्रों में घरों के अंदर बड़े गमले में भी आसानी से उगाया जा सकता है. यह हाइब्रिड किस्म पौधरोपण के 6 से 7 महीने के भीतर फल देना शुरू कर देती है और साल में दो बार फल देती है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पौधा अधिक ऊंचा नहीं होता, इसलिए गमले में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. इसे ज्यादा खाद-पानी की जरूरत नहीं होती और पर्यावरणीय बदलावों का इस पर अधिक असर नहीं पड़ता, जिससे इसकी देखभाल बेहद आसान हो जाती है.
अमरूद के पौधों को रोपने से पहले 7 सेंटीमीटर गहरा और चौड़ा गड्ढा बना लें. ध्यान रहे दो पौधों के बीच की दूरी लगभग 2.5 फीट और पंक्तियों के बीच की दूरी 3 फीट रखें. अमरूद के पौधों की रोपाई के लिए गड्ढे बनाने का सबसे उचित समय 15 जून से जुलाई तक होता है. वहीं, अमरूद की खेती के लिए गड्ढा बना लेने के बाद उसमें गोबर की जैविक खाद डालें. फिर उस गड्ढे में सिंगल सुपर फास्फेट, थोड़ा पोटाश और 10 ग्राम थाइमेट के मिश्रण को डालकर अच्छे से बराबर कर दें. फिर गड्ढे भरने के 25 दिनों के बाद अमरूद के पौधों की रोपाई करें. ध्यान दें कि अमरूद के पेड़ के आस-पास की मिट्टी नमीयुक्त हो.
ताइवान पिंक अमरूद की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह कम समय में ज्यादा उत्पादन देता है. एक पौधे से एक बार में लगभग 40 से 50 किलो तक अमरूद मिलते हैं, जिससे प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है. यदि देखरेख और मार्केटिंग बेहतर हो, तो यह आमदनी दो से ढाई लाख रुपये तक भी पहुंच सकती है. साथ ही पौधों के बीच की खाली जगह में किसान अन्य मौसमी सब्जियां या फसलें उगाकर अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं. इस तरह ताइवान अमरूद की बागवानी किसानों के लिए फायदे का सौदा बन जाता है.