तमिलनाडु में धान की कीमत में गिरावट जारी है. यहां जो चावल 60 से 70 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा था, वो अगले कुछ हफ्तों में कम से कम 10 फीसदी तक कम हो सकती है, क्योंकि खुले बाजार में धान की कीमतों में काफी गिरावट आई है. इसको लेकर चावल व्यापारियों का कहना है कि इस साल बंपर फसल की उम्मीद के चलते तमिलनाडु में खुले बाजार में धान की कीमतों में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है. सूत्रों के अनुसार, आरएनआर धान, जो 1,700 से 2,000 रुपये प्रति बोरी बिकता था, मौजूदा समय में रामनाथपुरम में 1,300 से 1,400 रुपये में बिक रहा है, जिसमें आने वाले दिनों में और भी तेजी से गिरावट आ सकती है.
फेडरेशन ऑफ तमिलनाडु राइस मिल ओनर्स एंड पैडी राइस डीलर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. एसी मोहन के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में देश में धान का उत्पादन औसतन 1,300 लाख मीट्रिक टन से 1,350 लाख मीट्रिक टन के आसपास रहा है, लेकिन 2023-24 में इसमें लगभग 3.5 फीसदी की गिरावट आई है. दरअसल, यूक्रेन युद्ध के कारण, खाद्यान्नों की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई और सीमा शुल्क में वृद्धि हुई है. इससे बाजार में दाम भी काफी बढ़े, लेकिन इस साल बंपर फसल की पैदावार की उम्मीद है, इससे धान की कीमतों में गिरावट आई है और अगले कुछ हफ्तों में चावल की किस्मों की कीमतों में भी इसका असर दिखेगा. उन्होंने कहा कि चावल की कीमत में शुरुआत में कम से कम 2 से 3 रुपये प्रति किलो की गिरावट आ सकती है.
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धान तमिलनाडु की मुख्य फसल है और 2023-24 में कुल चावल उत्पादन 75 लाख मीट्रिक टन रहा. तमिलनाडु में 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर धान की खेती की जाती है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार सुबह तक 24 घंटों के दौरान नागपट्टिनम जिले में कुल 34.6 सेमी बारिश दर्ज की गई. कृषि अधिकारियों का अनुमान है कि इससे अकेले नागपट्टिनम में करीब 25,000 हेक्टेयर में लगी सांवा की फसल प्रभावित हुई है.
जिले के पलायुर के किसान पी शिवकुमार ने कहा कि कावेरी का पानी छोड़े जाने में देरी के कारण खेती नहीं कर पाए. उन्होंने केवल सांवा धान की खेती की थी, जिसे मैं कुछ दिनों में काटने वाले थे. हालांकि, फसल अब बारिश के पानी में डूब गई है. ऐसे में उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
बारिश के असर पर एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी ने कहा कि हमें पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए एक नया सर्वेक्षण करना होगा. वहीं, मयिलादुथुराई जिले में कृषि अधिकारियों का अनुमान है कि कुल 68,000 हेक्टेयर में से लगभग 30,000 हेक्टेयर भूमि, जिस पर सावां और थालाडी की खेती की जाती है वो बारिश से प्रभावित हुई है. जिले में रविवार सुबह तक 24 घंटों में औसतन 7 सेमी के साथ कुल 42.42 सेमी बारिश दर्ज की गई.
मयिलादुथुराई के एक कृषि अधिकारी ने कहा कि केवल लगभग 100 हेक्टेयर में कटाई पूरी हुई है. बाकी फसल अगले एक महीने में कटने की उम्मीद है. वहीं, क्षेत्र में खेती पर बारिश के असर का आकलन किया जा रहा है. कराईकल में अधिकारियों का अनुमान है कि कुल 4,500 हेक्टेयर में से करीब 4,000 हेक्टेयर में उगाई गई मौसमी धान की फसल बारिश से प्रभावित हुई है.