
बिहार के दरभंगा जिला मुख्यालय से तक़रीबन सत्तर किलोमीटर दूर किरतपुर प्रखंड में गेहुंआ नदी से अचानक आई बाढ़ के कारण सैकड़ों एकड़ में लगी फसलें तबाह हो गई हैं. किसान यह समझ ही नहीं पा रहे कि बेमौसम बाढ़ का पानी कैसे उनके अरमानों पर पानी फेर गया. कैसे इस पानी ने इस पूरे इलाके के किसानों को बर्बाद कर दिया. बाढ़ का पानी फिलहाल रसियारी, झगरूआ, तरवारा, भुभौल सहित कई गांवों के निचले इलाके के खेतों में फैल गया है जिससे किसानों की लहलहाती फसल बर्बाद होने के कगार पर है.
इस इलाके के किसान चाह कर भी अपनी फसल नहीं बचा पा रहे हैं. ऐसे में उन्हें आने वाले समय में होने वाले आर्थिक नुकसान का भय अभी से ही सताए जा रहा है. किसानों की मानें तो अभी खेत में लगे गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन की फसलें डूब गई हैं. अपनी फसलों को डूबता देख किसान बेहद परेशान हैं. ऐसे किसानों की परेशानी सबसे ज्यादा है जिन्होंने महाजनों से कर्ज़ लेकर खेती की. इस उम्मीद में कि फसल अच्छी होगी तो उनके घर आंगन में खुशियां बरसेंगी. विपरीत परिस्थिति देख किसान सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें कुछ मुआवजा मिलेगा.
बाढ़ के पीछे नेपाल से आए पानी को वजह बताया जा रहा है. नेपाल के पानी से कोसी नदी में पानी का स्तर बढ़ा है. वहां से गेहुंआ नदी में बाढ़ का पानी आया है. इसलिए बिना बारिश के भी इस बार गेहुंआ नदी में पानी का स्तर इतना बढ़ गया कि उसने तटबंधों को पार कर दूर-दर तक अपना फैलाव कर लिया. इसका पानी सैकड़ों एकड़ खेतों में फैल गया.
किसानों ने साफ कहा कि अचानक आई बाढ़ से बर्बाद फसल का मुआवजा सरकार दे. साथ ही बाढ़ के पानी की मार झेलने वाले इस पूर्वी इलाके को बाढ़ की विपदा से भी बचाने का प्रयास करे ताकि हर साल की यह आपदा दूर हो सके. फसल नुकसान की पुष्टि करते हुए किरतपुर प्रखंड के अंचलाधिकारी ने कहा कि इसका आकलन करने का निर्देश दिया गया है. फसल नुकसान आकलन के बाद मुआवजा जारी करने के लिए उच्च अधिकारी को सूचना दे जाएगी. उन्होंने माना कि बाढ़ के पानी से रसियारी, झगरुआ, भूभौल, तरवारा के आलावा कई और गावों में फसल नुकसान हुआ है. फिलहाल बाढ़ के पानी को रोकने और निकासी के भी उपाय किए जा रहे हैं.
महिला किसान सीता देवी ने बताया कि अचानक आई बाढ़ के कारण उनका खेत पूरी तरह से पानी में डूब गया है. महाजन का कर्ज और गहने बंधक और बेच कर खेती में पैसा लगाया है. अब फसल बाढ़ के पानी में डूब कर खराब हो गई है. अब वह खुद क्या खाएंगी और बच्चों को क्या खिलाएंगी. पशुओं के लिए चारे का इंतजाम भी नहीं हो सकेगा. महाजन का कर्ज भी चुकता करना है. अब तो सरकार ही मदद करेगी, तब ही कुछ हो सकता है. सरकार पर ही अब आसरा है.
किसान मंगू चौपाल ने बताया कि गेहुंआ नदी में पानी आने से उनका खेत डूब गया है. फसल पूरी तरह से बह गई है. कुछ नहीं बचा है. यह हाल हर साल का है. यह इलाका बाढ़ प्रभावित है. पानी और बाढ़ में हम लोग कैद हो जाते हैं. कहीं आ जा भी नहीं सकते. अब बेमौसम बाढ़ के पानी ने यहां के किसानों को बर्बाद कर दिया है. कैसे आगे जीवन चलेगा, पता नहीं. सरकार हमलोगों को बाढ़ के पानी से निजात दिलाए, नहीं तो यहां का किसान कहीं का नहीं रहेगा. सभी फसलें यहां बर्बाद हो जाता है.
किरतपुर के अंचल अधिकारी आशुतोष सनी ने बताया कि अचानक गेहुंआ नदी में बाढ़ आ जाने के कारण क्षेत्र में लगी फसल बर्बाद हो गई है. जानकारी मिलने पर अपने कृषि अधिकारियों को क्षेत्र का निरीक्षण करने और फसल क्षति का आकलन करने का निर्देश दिया गया है. फसल नुकसान का आकलन होने के बाद वरीय पदाधिकारी को रिपोर्ट सौंपी जाएगी. इसके बाद आगे की कार्यवाही होगी. फिलहाल गेहुंआ नदी में बाढ़ का पानी आने से रसियारी, झगरुआ, भूभौल, तरवारा सहित अन्य कुछ गांवों के खेतों में बाढ़ का पानी आया है. बाढ़ के पानी को रोकने और उसके बहाव को रास्ता देने का काम किया जा रहा है ताकि और ज्यादा फसल नुकसान न हो सके.(प्रहलाद कुमार की रिपोर्ट)
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