किसानों तक जल्द पहुंचानी होगी शोध की तकनीकें, तभी भरेगा दुनिया का पेट

किसानों तक जल्द पहुंचानी होगी शोध की तकनीकें, तभी भरेगा दुनिया का पेट

नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक कृषि सम्मेलन का मुख्य निष्कर्ष यह है कि दुनिया की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का एकमात्र रास्ता कृषि शोध की नई तकनीकों को प्रयोगशालाओं से निकालकर तेजी से किसानों तक पहुंचाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल नवाचार करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसका वास्तविक लाभ किसान के खेत तक पहुँचना अनिवार्य है।.किसानों को इन आधुनिक तकनीकों से सशक्त बनाकर ही भविष्य की खाद्य चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.

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क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Sep 09, 2025,
  • Updated Sep 09, 2025, 8:53 AM IST

नई दिल्ली, कृषि नवाचार पर एक वैश्विक मंथन के लिए दुनिया भर के शीर्ष कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और नीति निर्माता यहाँ डायलॉगनेक्स्ट सम्मेलन के लिए जुटे हैं. 8 और 9 सितंबर को आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में, इस बात पर गहन विचार-विमर्श हो रहा है कि खेती की उन्नत तकनीकों और खोजों को किस प्रकार अपनाया जाए, जिससे दुनिया के हर व्यक्ति के लिए भोजन सुनिश्चित हो सके. सम्मेलन का मुख्य जोर इस बात पर है कि कृषि में हो रहे नए आविष्कारों को केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रखकर, उन्हें जल्द से जल्द किसानों तक पहुँचाना अनिवार्य है, ताकि वे उनका भरपूर लाभ उठा सकें.इस बड़े सम्मेलन का आयोजन वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़ फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है. इस प्रयास में सीआईएमएमआईटी (CIMMYT), बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (BISA) और भारत की अपनी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) जैसी जानी-मानी संस्थाएँ सहयोग कर रही

शोध की तकनीकें किसान तक ले चलो"

इस वर्ष के वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़ फाउंडेशन का सम्मेलन का विषय बहुत सरल और शक्तिशाली है: "इसे किसान तक ले चलो". इसका सीधा सा मतलब है कि खेती से जुड़ी कोई भी नई खोज, तकनीक या जानकारी प्रयोगशालाओं और किताबों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उसे सीधे खेत में काम कर रहे किसान तक पहुँचना चाहिए. असली बदलाव तभी आएगा जब किसान इन नवाचारों को अपनाएगा. यह विषय पिछले साल मेक्सिको में हुए इसी तरह के एक सम्मेलन की सोच को आगे बढ़ाता है. इस कार्यक्रम में भारत की उन हस्तियों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में असाधारण काम किया है.

दुनिया के विशेषज्ञों ने क्या कहा?

वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़ फाउंडेशन केवरिष्ठ निदेशक, निकोल प्रेंगर उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि यह सम्मेलन भारत में हो रहा है. लगभग 60 साल पहले, महान वैज्ञानिक डॉ. नॉर्मन बोरलॉग ने भारत में गेहूँ की क्रांति की शुरुआत की थी, जिससे देश को एक बड़े अकाल से बचाया गया था. डायलॉगनेक्स्ट का लक्ष्य उसी भावना को आगे बढ़ाना है. आने वाले दशकों में दुनिया की आबादी बहुत तेज़ी से बढ़ेगी, और हमें उन सभी लोगों के लिए स्थायी रूप से भोजन उपलब्ध कराने के लिए बड़े और साहसिक कदम उठाने होंगे.”ब्रैम गोवार्ट्स  जो महानिदेशक,CIMMYT और BISA है उन्होंने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा, “भारत कृषि नवाचार और नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यहाँ के प्रयास न केवल उत्पादकता बढ़ा रहे हैं, बल्कि पर्यावरण का भी ध्यान रख रहे हैं. यह आयोजन भारत के इन सफल प्रयासों को वैश्विक मंच पर ले जाने और अन्य देशों के साथ साझा करने में मदद करेगा.

डॉ. मांगी लाल जाट सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग और महानिदेशक, आईसीएआर ने कहा कि आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "दुनिया भर में हो रहे बड़े बदलाव कृषि और खाद्य प्रणालियों के लिए जटिल चुनौतियां पैदा कर रहे हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए, हमें ऐसे समाधान खोजने होंगे जो छोटे किसानों को केंद्र में रखें. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन समाधानों को जल्दी से लागू किया जाए. इसके लिए विज्ञान, नवाचार और वितरण में अधिक निवेश और साझेदारी की आवश्यकता है. भारत, जहां कृषि में तेजी से बदलाव हो रहा है, वह दुनिया के अन्य विकासशील देशों के लिए एक मॉडल और नवाचार केंद्र के रूप में काम कर सकता है.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की अनुमानित 9.7 अरब आबादी के भोजन की गंभीर चुनौती को ध्यान में रखते हुए, भारत में डायलॉगनेक्स्ट नामक एक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें किसान-केंद्रित नवाचार, छोटे किसानों का उत्पादन बढ़ाना, विकासशील देशों के बीच सहयोग, बेहतर पोषण व खाद्य प्रणालियां और कृषि में अगली पीढ़ी को शामिल करने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो रही है. यह आयोजन हरित क्रांति के जनक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. नॉर्मन बोरलॉग की विरासत को समर्पित एक त्रि-भागीय वैश्विक श्रृंखला का दूसरा चरण है, जिसका समापन अक्टूबर 2025 में अमेरिका के आयोवा में नॉर्मन ई. बोरलॉग अंतर्राष्ट्रीय संवाद के साथ होगा.

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