प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुवाई का वक्त आने वाला है. लेकिन, इसकी खेती का पूरा फायदा उठाने के लिए आपको समय पर बुवाई के साथ-साथ अच्छी किस्मों का भी चयन करना होगा. ऐसी ही एक किस्म गुजरात स्थित आणंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने विकसित की है. जो न सिर्फ एक महीने पहले तैयार होगी बल्कि बंपर पैदावार भी देगी. दोनों लिहाल से यह किसानों के लिए फायदे का सौदा है. यह किस्म शीघ्र पकने वाली है. सिर्फ 94 दिन में तैयार हो जाती है. जबकि, सामान्य तौर पर 125 से 130 दिन में सरसों तैयार होती है. इसकी औसत उपज 2791 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. इसका नाम गुजरात सरसों-8 है. जिसे आनंद हेमा भी कहते हैं. जीएम सरसों-8 के नाम से भी इसे जाना जाता है.
इस किस्म को पिछले साल यानी 2022 में रिलीज किया गया था. गुजरात के मौसम और मिट्टी के लिए यह किस्म मुफीद है. इसलिए आणंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक किसानों को रबी मौसम के दौरान सिंचित स्थिति में जल्दी पकने वाली इस किस्म की बुवाई करने की सलाह दे रहे हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि आनंद हेमा यानी जीएम सरसों-8 का उत्पादन गुजरात सरसों-1 (GM-1) से 18.57 फीसदी और पूसा मस्टर्ड (PM-25) से 20.03 प्रतिशत अधिक है.
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जीएम सरसों-8 में तेल की मात्रा 38.39 फीसदी है. जो जीएम-1 और पीएम-25 किस्म से अधिक है. जीएम-1 किस्म में तेल की मात्रा 36.25 फीसदी और पीएम-25 में 35.52 फीसदी है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक जीएम सरसों-8 में 1071.46 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तेल की उपज है. जबकि जीएम-1 में 853.69 और पीएम-25 में तेल की उपज 826.20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. गुजरात देश का छठा सबसे बड़ा सरसों उत्पादक है. यहां पर देश के कुल उत्पादन का 4.2 फीसदी उत्पादन होता है. नई किस्मों के जरिए किसान इसे बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
इस किस्म को विकसित करने वाली टीम के लीडर डॉ. अजय भानवाड़िया का कहना है कि इसकी बुवाई 15 अक्टूबर के बाद कर देनी चाहिए. जल्दी तैयार होने की वजह से इस किस्म के सरसों पर खस्ता फफूंदी रोग और एफिड यानी माहू का असर कम होता है. इससे खर्च कम लगता है. पैदावार ज्यादा होती है. इन दोनों रोगों की वजह से सरसों की खेती सबसे ज्यादा प्रभावित होती है.
देश में सरसों की औसत उत्पादकता 2020-21 में 1524 किलो प्रति हेक्टेयर थी. जबकि गुजरात सरसों-8 की उत्पादकता 2791 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलने के लिए हमें ऐसी ही ज्यादा उत्पादकता वाली किस्मों पर जोर देना पड़ेगा. ताकि कम खेती में ज्यादा पैदावार हो.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित आरएच 1424 की पैदावार 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म 139 दिन में पकती है. इसकी दूसरी किस्म आरएच 1706 को पकने में 140 दिन का समय लगता है. इसकी पैदावार 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. ऐसे में गुजरात सरसों-8, इन दोनों किस्मों से भी अच्छी है.
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