रजनीगंधा की खेती बना देगी किसानों को अमीर, जानिए बुवाई और कमाई का तरीका

रजनीगंधा की खेती बना देगी किसानों को अमीर, जानिए बुवाई और कमाई का तरीका

अगर आप किसान हैं और खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आपको ऐसी फसल के बारे में जानना चाहिए जिससे आप तगड़ी कमाई कर सकते हैं. इस खबर में आपको रजनीगंधा की खेती से होने वाली कमाई के बारे में बताने जा रहे हैं.

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नयन त‍िवारी
  • Noida,
  • Aug 07, 2025,
  • Updated Aug 07, 2025, 12:27 PM IST

हमारे देश में ज्यादातर किसान पारंपरिक फसलों की बुवाई छोड़कर आधुनिक फसलों की बुवाई कर रहे हैं. मॉर्डन फार्मिंग करने वाले किसान अच्छी खासी कमाई के साथ आगे बढ़ रहे हैं. कुछ ऐसे भी किसान देखे हैं जो अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती से जुड़े और लाखों की कमाई की. आप भी खेती में उतर कर कुछ अलग और बेहतर कमाई करना चाहते हैं तो रजनीगंधा की खेती कीजिए. रजनीगंधा फूलों की एक खास किस्म है जिसकी खेती किसानों को अमीर बना देगी. 

रजनीगंधा की खेती कैसे करें

रजनीगंधा की खेती के लिए 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली दोमट या बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती के लिए. खेत की अच्छी भुरभुरी जुताई कर लीजिए इसके बाद पाटा चला लीजिए. मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाने के लिए गोबर की सड़ी हुई खाद मिलाएं. इसके अलावा खेतों में कतारबद्ध तरीके से छोटी-छोटी मेड बनाएं. मेड से मेड की दूरी में कम से कम 30 सेमी रखें. इन्हीं मेड़ों पर 20-20 सेमी की दूरी का ध्यान रखते हुए रजनीगंधा के बल्ब रोपे जाते हैं. 

रोपाई और खाद-पानी का तरीका

रजनीगंधा के कंदों को क्यारियों में रोपा जाता है. क्यारियों में रोपाई करने के बाद इन्हें खाद और पानी कब दिया जाता है इसके बारे में भी जानना जरूरी है. बारिश के दिनों में जरूरत के हिसाब से ही पानी दें और जलभराव न होने दें लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि मिट्टी सूखने ना पाए नहीं तो कंद अच्छे से तैयार नहीं हो पाते हैं.

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खाद की बात करें तो रोपाई के 10-12 दिन बाद ही नाइट्रोजन दें, एक महीने बाद फिर दें. खाद डालने के 1-2 दिन बाद हल्की सिंचाई जरूर करें. 

रजनीगंधा से कमाई कैसे करें?

रजनीगंधा की खेती करने वाले किसान एक एकड़ से 2-3 लाख रुपये भी कमा सकते हैं. रजनीगंधा के फूलों का उपयोग इत्र और अन्य कॉस्मेटिक बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा इन फूलों से कई तरह की दवाइयां भी बनाई जाती हैं. कुछ कंपनियां भी होती हैं जो किसानों से सीधे संपर्क करके उनसे कान्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाती हैं. 

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