देश के तीसरे बड़े सरसों उत्पादक हरियाणा की मंडियों में सरसों की बंपर आवक हो रही है. व्यापारी इस बार कम दाम दे रहे हैं. इसलिए ज्यादातर किसान एमएसपी पर अपनी उपज बेचना चाहते हैं. देश में अब तक 2,57,719 मीट्रिक टन सरसों की खरीद हो चुकी है. जिसमें से अकेले हरियाणा का हिस्सा 205942 मीट्रिक टन का है. इसके साथ ही इस राज्य ने देश में सबसे ज्यादा सरसों खरीदने का रिकॉर्ड बना दिया है. जिसके बदले यहां के किसानों को एमएसपी के तौर पर 1122 करोड़ रुपये मिलेंगे. देश में अब तक 1,26,622 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों बेचा है, जिसमें से ज्यादातर हरियाणा के ही हैं. अपने सूबे के किसानों के हितों के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से सरसों खरीद समय से पहले करने की अपील की थी, जिसे केंद्र ने मान लिया और इसका यहां के किसानों को अब फायदा मिल रहा है.
पहले सरकार ने 28 मार्च से सरसों की खरीद शुरू करने की घोषणा की थी. लेकिन इससे किसानों को नुकसान हो रहा था. जल्दी पकने वाली किस्मों के उत्पादकों को अपनी उपज एमएसपी से नीचे निजी खरीदारों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था. इसकी जानकारी मिलने के बाद सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर समय से पहले खरीद शुरू करने का अनुरोध किया. इसके बाद खरीद कार्य 20 मार्च से शुरू करने की अनुमति मिल गई. इसकी वजह से यहां खरीद जल्दी पूरी होती दिख रही है. जिन राज्यों में सरकारी खरीद में देरी हो रही है उनमें किसानों को नुकसान हो रहा है. वो व्यापारियों को एमएसपी से कम दाम पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर हैं.
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सरसों खरीद के लिए केंद्र का एक नियम है कि कुल उत्पादन का सिर्फ 25 फीसदी एमएसपी पर खरीदा जाएगा. कई राज्यों में इतनी सरकारी खरीद भी नहीं होती. हालांकि, हरियाणा अक्सर इस लिमिट के आसपास पहुंचता रहा है. रबी मार्केटिंग सीजन 2018-19 में यहां 2.3 लाख मीट्रिक टन सरसों की खरीद हुई थी, जो राज्य के कुल उत्पादन का 21.1 फीसदी थी. इसी तरह 2019-20 में हरियाणा में एमएसपी पर 2.5 लाख मीट्रिक टन सरसों खरीदा गया, जो सूबे के कुल उत्पादन का 23.7 फीसदी रहा. बात करें 2020-21 की तो 3.1 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई जो कुल उत्पादन का 24.6 फीसदी था. इसके बाद ओपन मार्केट में सरसों का दाम एमएसपी से ज्यादा हो गया, इसलिए दो साल तक यहां सरसों खरीद न के बराबर हुई.
नाफेड के अनुसार मध्य प्रदेश में अब तक 23098 मीट्रिक टन सरसों की खरीद हुई है. जिसके बदले वहां के किसानों को एमएसपी के तौर पर 125.88 करोड़ रुपये मिलेंगे. मध्य प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा सरसों उत्पादक प्रदेश है. इस साल सरसों का एमएसपी 5440 रुपये प्रति क्विंटल तय है. मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि प्रति किसान सरसों की रोजाना खरीद की सीमा को 25 क्विंटल से बढ़ा कर 40 क्विंटल कराया गया है. सरसों का उत्पादन 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़ा कर 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर माना गया है, ताकि किसान एमएसपी पर ज्यादा फसल बेच पाएं.
पटेल का कहना है कि सरकार ने अप्रैल 2020 से किसानों को लाभान्वित करने के लिए सरसों की सरकारी खरीद गेहूं से पहले शुरू की. इससे पहले इसकी खरीद गेहूं के बाद होती थी. सरकार के निर्णय से किसानों को उनकी उपज का सीधे-सीधे एक से 2 हजार रूपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त लाभ हुआ. अब किसान सरसों की फसल को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर नहीं हैं. व्यापारियों को अपने उद्योगों के लिए सरसों की उपज को समर्थन मूल्य से अधिक पर खरीदना पड़ा, इसका लाभ सीधा किसानों को मिला.
नाफेड के अनुसार देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक प्रदेश राजस्थान में अब तक 11085 मीट्रिक टन सरसों की खरीद हो चुकी है. बदले में एमएसपी के तौर पर 60.41 करोड़ रुपये मिलेंगे. यहां 15 लाख टन से अधिक सरसों की खरीद की जानी है. बात गुजरात की करें तो यहां अब तक किसानों ने अब तक 17582 मीट्रिक टन सरसों एमएसपी पर बेची है. बात करें ओपन मार्केट में सरसों के दाम की तो ज्यादातर मंडियों में 3800 से लेकर 5000 रुपये का भाव मिल रहा है.
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