वैसे तो हल्दी की खेती मुनाफा देने वाली फसल है. लेकिन हल्दी की अधिक उपज लेने के लिए किसानों को सही समय पर खेती करना और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी होता है. ऐसे में बरसात का मौसम हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. इस दौरान लगाई गई हल्दी की फसल अच्छी पैदावार देती है. दरअसल, बाजारों में हल्दी की मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलता है. ऐसे में अगर इस बरसात हल्दी की खेती करना चाहते हैं तो कुछ विशेष किस्में हैं. जिसकी पैदावार अधिक होती है. इन किस्मों की खेती से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं.
सिम पीतांबर:- सिम पीतांबर हल्दी की एक खास किस्म है. इस किस्म की खेती अगस्त के महीने में की जाती है. इस किस्म को केंद्रीय औषधीय और सगंध अनुसंधान संस्थान (CIMAP) ने विकसित किया है. वैसे तो हल्दी की सामान्य किस्में 7 से 9 महीने में तैयार होती हैं लेकिन पीतांबर किस्म मात्र 5 से 6 महीने ही तैयार हो जाती है. इस किस्म में कीटों का ज्यादा असर नहीं पड़ता है. वहीं इस किस्म से एक हेक्टेयर में 650 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है.
सोरमा किस्म:- सोरमा किस्म हल्दी की अधिक उपज देने वाली किस्म है. इस किस्म के कंद अंदर से नारंगी रंग के होते हैं. इस किस्म को खुदाई के लिए तैयार होने में 210 दिन यानी 7 महीने लगते हैं. इससे प्राप्त होने वाली उपज की बात करें तो इस किस्म से प्रति एकड़ करीब 80 से 90 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है.
सुगंधम किस्म:- सुगंधम हल्दी की ये किस्म 200 से 210 दिनों में तैयार हो जाती है. इस हल्दी का आकार थोड़ा लंबा होता है और रंग हल्का पीला होता है. किसान इस किस्म से प्रति एकड़ 80 से 90 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म में रोग लगने का खतरा कम रहता है.
सुदर्शन किस्म:- सुदर्शन हल्दी की ये किस्म आकार में छोटी होती है, लेकिन दिखने में खूबसूरत होती है. ये किस्म मात्र 8 महीनों में तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति एकड़ 110 से 115 क्विंटल की पैदावार होती है. वहीं, ये किस्म कई औषधीय गुणों के लिए भी फेमश है.
आर एच-5 किस्म:- आर एच 5 हल्दी की ये एक खास किस्म है. इस किस्म के पौधे करीब 80-100 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं. इस किस्म को तैयार होने में करीब 210 से 220 दिन लगते है. इस किस्म से 200 से 220 क्विंटल प्रति एकड़ हल्दी की पैदावार प्राप्त की जा सकती है.वहीं, ये किस्म कई रोगों के प्रतिरोधी है.
एक एकड़ में हल्दी की खेती के लिए करीब लगभग 6 क्विंटल बीज की जरूरत होती है. वहीं, हल्दी की बुवाई खरीफ सीजन में यानी जुलाई और अगस्त के पहले सप्ताह तक होती है. हल्दी के लिए बलूई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. यदि जमीन का पीएच 8 से 9 भी है तब भी उसमें हल्दी की खेती हो जाती है.इसकी खेती में एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 20 से 35 सेंटीमीटर की तक होनी चाहिए. बुवाई के समय हल्दी के लिए प्रति हेक्टेयर 120 से 150 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस, 80 किलो पोटाश और इतनी ही मात्रा साड़ी गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए.