कुल्लू में बरसात ने धोए बागवानों के अरमान, 1 करोड़ रुपये की फसलें बर्बाद

कुल्लू में बरसात ने धोए बागवानों के अरमान, 1 करोड़ रुपये की फसलें बर्बाद

हिमाचल के कुल्लू जिले के किसानों और बागवानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. खेतों में खड़ी टमाटर, मक्का, गोभी और शिमला मिर्च जैसी सब्जियां पूरी तरह सड़ चुकी हैं. वहीं, नाशपाती और सेब जैसे प्रमुख बागवानी फलों की फसल भी बारिश की मार से बर्बाद हो गए हैं.

बरसात ने धोए बागवानों के अरमानबरसात ने धोए बागवानों के अरमान
मनम‍िंदर अरोड़ा
  • Kullu,
  • Aug 01, 2025,
  • Updated Aug 01, 2025, 5:30 AM IST

लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने हिमाचल के कुल्लू जिले के किसानों और बागवानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. खेतों में खड़ी टमाटर, मक्का, गोभी और शिमला मिर्च जैसी सब्जियां पूरी तरह सड़ चुकी हैं. वहीं, नाशपाती और सेब जैसे प्रमुख बागवानी फलों की फसल भी बारिश की मार से बर्बाद हो गए हैं. नुकसान इतना अधिक है कि उसका भरपाई करना आसान नहीं होगा. खेतों में अपने सामने सड़ती फसल को देखकर किसान और बागवान काफी परेशान हो गए हैं और उनको अब भविष्य की चिंता सताने लगी है.

इतने करोड़ रुपये की फसल बर्बाद

कुल्लू जिले में बारिश से बागवानी फसलों को 1.15 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है. इसके साथ ही बागवानी विभाग द्वारा सब्जियों और अन्य फसलों के नुकसान का आकलन 56 लाख रुपये से अधिक बताया गया है. वहीं, लगातार बारिश से संपर्क मार्ग ही नहीं, बल्कि कई मुख्य सड़कें भी बंद हो चुकी हैं, जिससे सब्जी और फल मंडियों में किसानों-बागवानों की पहुंच बंद गई है. परिवहन न होने के कारण ट्रेडर्स और आढ़ती माल खरीदने से कतराने लगे हैं, जिससे खेतों में ही फसल सड़ने लगी है. ऐसे में मंडियों में न तो खरीदार हैं और न ही किसानों को भाव मिल रहा है.

किन वजहों से सड़ रही फसलें?

बता दें कि कुल्लू घाटी में इन दिनों टमाटर, मक्का, शिमला मिर्च और गोभी की भरपूर फसल खेतों में तैयार थी. लेकिन लगातार बारिश के कारण न तो समय पर स्प्रे हो पाया और न ही फसल को तोड़ा जा सका. ऐसे में ज्यादा नमी से फसलें खेतों में ही गलने और सड़ने लगे हैं. इसके अलावा मिट्टी बहने से कई जगहों पर तो खेत ही खत्म हो गए हैं.

वहीं, इस बार प्री-मॉनसून बारिश के चलते नाशपाती का तुड़ान नहीं हो पाया है. फल पेड़ों पर ही पक कर सड़ गया या गिर गया. साथ ही सेब की पत्तियों में स्कैब और फफूंदी जैसे रोगों का प्रकोप देखा गया, जिससे फल का आकार प्रभावित हुआ है.ऐसे में  किसानों का कहना है कि इस बार का सेब बाजार में चल नहीं पाएगा, क्योंकि क्वालिटी और साइज दोनों कमजोर है.

सेब की फसल पर भी दिख रहा संकट

बागवान देवराज का कहना है कि समय से पहले मॉनसून की दस्तक और लगातार हो रही भारी बारिश के चलते सबसे पहले नाशपाती की फसल को नुकसान पहुंचा है. बारिश के कारण तुड़ान नहीं हो पाया और फल पेड़ों पर ही सड़ गया है, जो थोड़ा बहुत माल मंडियों तक पहुंचा है, वह भी रास्ते बंद होने के कारण सही दामों पर बिक नहीं सका है. अब सेब की फसल पर भी संकट मंडरा रहा है. ज्यादा नमी के कारण पत्तियों में बीमारी लग गई है और फल का आकार भी नहीं बन पाया है. आढ़ती अब फल खरीदने से डर रहे हैं क्योंकि मुख्य मार्ग और संपर्क सड़कों की स्थिति कभी भी खराब हो सकती है.

किसान को हुआ भारी आर्थिक नुकसान

किसान राजेश ने बताया कि उन्होंने इस बार खेत में 4 हज़ार टमाटर के पौधे लगाए थे, लेकिन बारिश के कारण सारी फसल खेत में ही सड़ गई है. इसके अलावा गोभी और शिमला मिर्च भी लगाई है, लेकिन अगर यही हालात रहे तो ये भी खराब हो जाएगी. उन्होंने बताया कि मंडियों में फसलों के सही दाम नहीं मिल रहे हैं. हमारा मुख्य रोजगार खेती ही है, ऐसे में फसलें खराब होने से आर्थिक नुकसान हुआ है.

कई बागीचों को हुआ भारी नुकसान 

उद्यान विभाग कुल्लू के उपनिदेशक रामनाथ ठाकुर ने बताया कि बरसात के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के कारण जिले के कई बागीचों को भारी नुकसान हुआ है. उद्यान विभाग ने कुल्लू में 1 करोड़ 15 लाख रुपये का प्रारंभिक नुकसान आंका है. अब तक 5147 हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसलों को नुकसान पहुंचा है. लगातार बारिश से फलों में बीमारियां भी बढ़ रही हैं.

56 लाख रुपये का फसल नुकसान

कृषि विभाग कुल्लू के उपनिदेशक सुशील शर्मा ने बताया कि अब तक कुल्लू जिले में 22 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का और 18 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर सहित अन्य नकदी फसलों को नुकसान हुआ है. प्रारंभिक तौर पर करीब 56 लाख रुपये का नुकसान आंका गया है. अगर बारिश ऐसे ही जारी रही, तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.

भारी बारिश से आजीविका पर संकट

जाहिर है कुल्लू घाटी में किसान और बागवान इस समय दोहरी मार झेल रहे हैं. एक तरफ आसमान से बरसती आफत, तो दूसरी ओर मंडियों तक न पहुंच पाने की बेबसी. अगर हालात जल्द नहीं संभले तो ना सिर्फ इस सीजन की फसलें बर्बाद होंगी, बल्कि हज़ारों परिवारों की आजीविका पर भी गंभीर संकट खड़ा हो सकता है. 

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