Pulses Price: दालों की कीमत में जारी है गिरावट, किसानों ने की सरकार से एक गुजारिश 

Pulses Price: दालों की कीमत में जारी है गिरावट, किसानों ने की सरकार से एक गुजारिश 

Pulses Price: भारत में इस समय दालों की सप्‍लाई ज्‍यादा है. बंदरगाहों पर रूस और कनाडा से पीली मटर की खेपों की बाढ़ आने की वजह से ऐसा हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार से सस्ते आयात को रोकने का अनुरोध किया गया है ताकि बुवाई के मौसम में कीमतें स्थिर रहें. साथ ही किसान ज्‍यादा  रकबे की बुवाई के लिए प्रेरित हों,

pulses Production estimate 2025 to 2034pulses Production estimate 2025 to 2034
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Aug 02, 2025,
  • Updated Aug 02, 2025, 1:21 PM IST

किसानों और व्यापारियों के एक संगठन ने भारत सरकार से दालों के सस्ते आयात पर रोक लगाने की अपील की है. इस अपील का मकसद दालों की कीमतों को स्थिर रखना है ताकि किसानों को दालों की खेती बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा सके. आपको बता दें कि पिछले दिनों खरीफ सीजन की बुवाई के जो आंकड़ें आए हैं, उनसे साफ होता है कि किसान दालों खासकर अरहर की बुवाई से पीछे हट रहे हैं. इस दाल की बुवाई में गिरावट देखी गई है. 

ताकि किसान करें ज्‍यादा बुवाई 

अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट ने कृषि किसान एवं व्यापार संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार बलदेवा ने कहा कि भारत में इस समय दालों की सप्‍लाई ज्‍यादा है. बंदरगाहों पर रूस और कनाडा से पीली मटर की खेपों की बाढ़ आने की वजह से ऐसा हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार से सस्ते आयात को रोकने का अनुरोध किया गया है ताकि बुवाई के मौसम में कीमतें स्थिर रहें. साथ ही किसान ज्‍यादा  रकबे की बुवाई के लिए प्रेरित हों, जिससे अगले 2-3 वर्षों में देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि जब पिछले साल चने की खेती में गिरावट आई थी तो संघ ने सबसे पहले सरकार से पीली मटर और चने पर आयात शुल्क कम करने का अनुरोध किया था. उन्होंने सस्ते आयात पर रोक लगाने के अपने संघ के रुख को उचित ठहराया. 

सरकार ने लिया बड़ा फैसला 

सरकार ने मार्च 2026 तक अरहर, पीली मटर और उड़द के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट की मंजूरी दे दी है. इस वजह से भारतीय बाजारों में दालों का आयात लगातार बढ़ रहा है. खास तौर पर, पीली मटर, जिसका आयात 400 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर होता है, को अन्य दालों की कीमतों में गिरावट का कारण माना जा रहा है. इस फैसले से दालों की कीमतों पर दबाव पड़ने और इस प्रमुख वस्तु के संबंध में आत्मनिर्भर भारत के एजेंडे की परीक्षा होने की उम्मीद है. दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक होने के बावजूद, भारत बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. 

बाजार में सस्ती दालों की बाढ़

भारत ने पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 66.3 लाख टन दालों का आयात किया यह साल 2023 की तुलना में लगभग दोगुना है. पीली मटर का आयात 29 लाख टन या कुल आयात टोकरी का 45 प्रतिशत था. साल  2023 तक, भारत ने कोई पीली मटर आयात नहीं की थी. सरकार को दालों के आयात पर अंकुश लगाना चाहिए. दालों की कीमतों को कम करने के लिए, सरकार ने शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी है, और इससे कनाडा, अफ्रीकी देशों और रूस के निर्यातकों के लिए 'डंपिंग का द्वार खुल गया है'. सरकार ने 15 मई, 2021 से 'मुक्त श्रेणी' के तहत तुअर और दिसंबर 2023 से पीली मटर के आयात की अनुमति दी थी। इसके बाद, मुक्त व्यवस्था को समय-समय पर बढ़ाया गया है. 

कीमतों में गिरावट

ड्यूटी फ्री आयात के प्रभाव से दालों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे आ गई हैं. चना की कीमतें पिछले अगस्त में 8,000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं, जबकि तुअर की कीमतें 11,000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं. इसी अवधि में पीली मटर की कीमतें 4,100 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 3,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं. कीमतों में गिरावट के कारण तुअर की खेती पहले ही कम हो चुकी है. सामान्य मॉनसून के बावजूद, जुलाई के अंत तक तुअर की खेती का रकबा 8 प्रतिशत घटकर 34.90 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि पिछले साल 37.99 लाख हेक्टेयर में तुअर की खेती हुई थी. तुअर की खेती का सामान्य रकबा लगभग 45 लाख हेक्टेयर होता है. 

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