Maize Price: मक्के के दाम को कंट्रोल करेगी सरकार, उद्योग जगत की वकालत शुरू...क‍िसानों की किसे परवाह?

Maize Price: मक्के के दाम को कंट्रोल करेगी सरकार, उद्योग जगत की वकालत शुरू...क‍िसानों की किसे परवाह?

Maize Price: पशुपालन और डेयरी सच‍िव ने केंद्रीय खाद्य सच‍िव को एक पत्र लिखकर मक्के का आयात शुल्क जीरो करने की वकालत की है, क्योंक‍ि मक्का का दाम बढ़ने से इंडस्ट्री को तकलीफ हो रही है. जबक‍ि ऐसा करने से क‍िसानों को होने वाले नुकसान की परवाह क‍िसी को नहीं है. आख‍िर क‍िसानों की आवाज कौन उठाएगा? 

मक्का का दाम क‍ितना है. मक्का का दाम क‍ितना है.
ओम प्रकाश
  • New Delhi,
  • Jul 24, 2024,
  • Updated Jul 24, 2024, 5:37 PM IST

केंद्र सरकार किसानों की इनकम में बढ़ोत्तरी के लिए काम करने का दावा कर रही है, लेकिन इसके इतर सरकारी नीतियां ही किसानों की आय पर ग्रहण लगा रही हैं. जैसे ही क‍िसी फसल के दाम बढ़ने शुरू होते हैं तो उसकी रफ्तार रोकने की सरकारी कोश‍िशें शुरू हो जाती हैं. इस माइंडसेट का नया श‍िकार मक्का होने वाला है, ज‍िसका उत्पादन बढ़ाने के ल‍िए सरकार मुह‍िम चला रही है, लेक‍िन यहां सवाल यह उठता है क‍ि दाम ग‍िराकर उत्पादन बढ़ाने का कौन सा फार्मूला सरकार के पास आ गया है. दरअसल, मक्का अब एनर्जी क्रॉप के तौर पर भी उभर रहा है, क्योंक‍ि इससे इथेनॉल बन रहा है. यानी यह फसल फूड और फीड के बाद अब फ्यूल बनाने के काम भी आ रही है, इससे इसकी कीमत बढ़ रही है. कीमत बढ़ने से पोल्ट्री कारोबार‍ियों के पेट में दर्द शुरू हो गया है और उनके दर्द की दवा करने के ल‍िए पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने कदम बढ़ा द‍िए हैं. 

पशुपालन और डेयरी सच‍िव अल्का उपाध्याय ने केंद्रीय खाद्य सच‍िव संजीव चोपड़ा को एक पत्र लिखकर मक्के का आयात शुल्क जीरो करने की अपील की है. अभी इस पर 15 फीसदी आयात शुल्क है. यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है क‍ि मक्का प्रोसेसरों के लिए सीधे आयात की अनुमति देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके ल‍िए नेफेड चैनल का उपयोग करना एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है. पशुपालन और डेयरी सच‍िव की ओर से खाद्य सच‍िव को यह पत्र ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (AIPBA) और कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) की मांग पर ल‍िखा है.

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क्या कर रहा है कृष‍ि मंत्रालय? 

इस पूरे मामले में कृष‍ि मंत्रालय का कोई दखल नहीं द‍िखाई दे रहा है. जबक‍ि खाद्य सच‍िव संजीव चोपड़ा के पास ही अभी कृष‍ि मंत्रालय के सच‍िव का भी कार्यभार है. अगर जीरो आयात शुल्क पर भारत में पोल्ट्री कारोबार‍ियों को मक्का आयात की छूट म‍िलेगी तो सबसे ज्यादा प्रभाव‍ित क‍िसान ही होंगे. वो क‍िसान ज‍िनकी आय बढ़ाने का ज‍िम्मा कृष‍ि मंत्रालय के पास है. आयात होते ही घरेलू बाजार में दाम ग‍िर जाएंगे. दाम ग‍िरेंगे तो क‍िसान इसकी खेती बढ़ाने की बजाय घटाने लगेंगे. केंद्र सरकार चाहती है क‍ि मक्के का उत्पादन बढ़े, क्योंक‍ि लोगों के खाने-पीने, पशु आहार, पोल्ट्री फीड और इथेनॉल के ल‍िए इसकी मांग बढ़ रही है. सरकार गन्ने और चावल के मुकाबले इथेनॉल बनाने के ल‍िए मक्के की खेती बढ़ाने पर जोर दे रही है, क्योंक‍ि इसमें पानी दूसरी फसलों की अपेक्षा बहुत कम लगता है. 

पशुपालन और डेयरी सच‍िव ने केंद्रीय खाद्य सच‍िव को ल‍िखा पत्र.

पत्र में क्‍या लिखा है?

पशुपालन और डेयरी सच‍िव ने पत्र में कहा है क‍ि ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन और कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने बताया है कि देश में मक्के की उपलब्धता में कमी है. बताया गया है कि देश में मक्के का कुल अनुमानित उत्पादन 360 लाख टन है जबकि इथेनॉल की मांग को पूरा करने सहित मक्के की आवश्यकता 410 लाख टन है. मक्के की कीमत बढ़कर एमएसपी से भी ऊपर हो गई है. फिलहाल बाजार में मक्का 28 रुपये प्रति किलो है. इस बात की भी प्रबल संभावना है कि दाम और बढ़ सकते हैं. 

मक्‍के के दाम में बढ़ोत्तरी... कोरा झूठ

हालांक‍ि, मक्का का दाम 28 रुपये प्रत‍ि क‍िलो होने की बात क‍िसी क‍िसान को पच नहीं रही है. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की र‍िपोर्ट भी बता रही है क‍ि 23 जुलाई 2024 को मक्का का दाम देश में 2229.65 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल ही था, यानी 22.3 रुपये प्रत‍ि क‍िलो, जो एमएसपी से मामूली ही अध‍िक है. केंद्र ने 2024-25 के ल‍िए मक्का का एमएसपी 2225 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय क‍िया है, यानी 22.25 रुपये प्रत‍ि क‍िलो. फ‍िर दाम को लेकर इतना हाहाकार क्यों?  

इंडस्ट्री के कहने पर चल रहे नौकरशाह 

कृष‍ि अर्थशास्त्री देव‍िंदर शर्मा का कहना है क‍ि अध‍िकांश ब्यूरोक्रेट इंडस्ट्री के कहने पर चल रहे हैं, ज‍िससे क‍िसानों को नुकसान हो रहा है. जब दाम कम होते हैं तब क‍िसान के साथ कोई नौकरशाह नहीं खड़ा होता, लेक‍िन जैसे ही क‍िसी फसल के दाम बढ़ते हैं वो उसे कम करवाने की कोश‍िश शुरू कर देते हैं. 

उधर, बिहार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह टुडू ने कहा क‍ि ब‍िहार प्रमुख मक्का उत्पादक है, जबक‍ि इसी प्रदेश से आने वाले ललल स‍िंह पशुपालन और डेयरी मंत्री हैं. उन्हीं के व‍िभाग के सच‍िव की ओर से ऐसा पत्र ल‍िखा जा रहा है, ज‍िससे मक्का उत्पादक क‍िसानों को भारी नुकसान हो सकता है. अगर मक्का आयात हुआ तो पूरे ब‍िहार में केंद्र सरकार के ख‍िलाफ प्रदर्शन क‍िया जाएगा. 

तर्क क्या द‍िया गया? 

पत्र में ल‍िखा गया है क‍ि सरकार ने 15 फीसदी आयात शुल्क के साथ नेफेड के माध्यम से 4.98 लाख मीट्रिक टन गैर जीएम मक्का के आयात की अनुमति पहले ही दी हुई है. जबक‍ि उद्योग जगत ने अनुरोध किया है कि आयात शुल्क को जीरो किया जाए और वास्तविक उपयोगकर्ताओं को मक्का आयात करने की अनुमति दी जाए. 

मक्का पशुधन आहार, विशेष रूप से पोल्ट्री फीड तैयार करने में एक अभिन्न और बुनियादी चीज है. अकेले पशुधन आहार के लिए लगभग 230 लाख टन मक्का की जरूरत बताई गई है. मांग और आपूर्ति की स्थिति तथा मक्के की बढ़ती कीमत को देखते हुए, पशु आहार के दाम में वृद्धि होगी, जिससे दूध, मांस, अंडा और मछली की उत्पादन लागत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

क‍िसानों की आवाज कौन उठाएगा? 

यह बात पशुपालन और डेयरी सच‍िव की ओर से ल‍िखी गई है. यह उनका हक है क‍ि वो अपने सेक्टर के ल‍िए काम करें. पोल्ट्री फीड और पशु आहार का दाम न बढ़ने दें. लेक‍िन इसका असर सीधे तौर पर क‍िसानों की आय पर पड़ेगा. दाम कम म‍िलेगा तो आय कम होगी. क‍िसानों की आय बढ़ाने की ज‍िम्मेदारी कृष‍ि मंत्रालय पर है.

ऐसे में सवाल यह है क‍ि कृष‍ि मंत्रालय के अध‍िकारी और मंत्री क‍िसानों के ह‍ितों की रक्षा के ल‍िए इस तरह की कोश‍िशों का व‍िरोध करने के ल‍िए कब आगे आएंगे? यह सवाल तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब सरकारी र‍िपोर्ट खुद बता रही है क‍ि भारत के क‍िसानों की रोजाना की शुद्ध आय मुश्क‍िल से 28 रुपये ही है.  

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