Onion Price: प्याज किसानों पर वज्रपात, 56 फीसदी गिरा दाम...अब क्या करेंगे किसान?

Onion Price: प्याज किसानों पर वज्रपात, 56 फीसदी गिरा दाम...अब क्या करेंगे किसान?

Onion Price: जहां बाकी सब्जियों जैसे आलू और टमाटर की कीमतों में इजाफा हुआ तो वहीं प्‍याज की कीमतें जस की तस बनी हुई हैं और इसमें कोई भी बदलाव नहीं हुआ है. कृषि विभाग की तरफ से भी आए आंकड़ों से कुछ ऐसा ही इशारा मिलता है कि किसानों को इस साल अभी तक कोई राहत नहीं मिल सकी है. एक हफ्ते में टमाटर के दाम तो बढ़े हैं लेकिन प्‍याज की कीमतों ने किसानों परेशान किया हुआ है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Aug 04, 2025,
  • Updated Aug 04, 2025, 12:31 PM IST

मॉनसून में जहां एक तरफ टमाटर और आलू उगाने वाले किसान मुनाफे से खुश हैं तो वहीं प्याज किसानों पर जैसे बिजली ही गिर पड़ी है. देश की कई मंडियों में प्याज के दाम धड़ाम हो चुके हैं. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की एक र‍िपोर्ट बता रही है क‍ि प‍िछले साल के मुकाबले प्याज के दाम में लगभग 56 फीसदी की ग‍िरावट आ गई है. दाम में ग‍िरावट का स‍िलस‍िला थमने का नाम नहीं ले रहा है. क‍िसान सरकार से राहत की गुहार लगा रहे हैं, लेक‍िन सरकार हाथ पर हाथ धरी बैठी नजर आ रही है. नतीजा यह है क‍ि दाम बढ़ने की बजाए प‍िछले एक सप्ताह में ही 15 फीसदी और ग‍िर गए हैं. क‍िसानों का कहना है क‍ि अगर यही हाल रहा तो वो प्याज की खेती करना कम या बंद कर देंगे, ज‍िसकी वजह से आने वाले द‍िनों में सरकार को खाद्य तेलों और दालों की तरह इसे भी आयात करना पड़ेगा.  

हालात ये हैं कि हजारों-लाखों का निवेश करने वाले किसानों के लिए उपज की लागत तक निकाल पाना भी मुश्किल हो गया है. सरकारी आंकड़े चीख-चीखकर कह रहे हैं कि इस बार प्याज की खेती करने वाले किसानों को खून के आंसू रोने पड़ रहे हैं. ऐसे में सवाल बस यही है कि किसान क्या करें-प्‍याज की खेती ही छोड़ दें या फिर घाटा उठाकर ये सब कुछ सहते रहें क्योंकि सरकार की तरफ से अभी तक राहत के ल‍िए कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया है. 

प्याज पर ही संकट 

पिछले एक हफ्ते में आलू, प्‍याज और टमाटर के दामों पर अगर नजर डालें तो समझ आ जाएगा कि कैसे किसानों को इसने परेशान किया हुआ है. गौरतलब है कि आलू, प्‍याज और टमाटर तीनों ही ही जरूरी वस्‍तुओं की श्रेणी में हैं लेकिन संकट सिर्फ प्‍याज के किसानों पर बढ़ा है. 

26 जुलाई 2025 से 2 अगस्‍त 2025 तक प्‍याज की कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है. जो आंकड़ें आए हैं उसके अनुसार- 

  • प्‍याज के दाम 1328.49  रुपये प्रति क्विंटल से 1129.63 रुपये पर पहुंच गए हैं. 
  • आलू की अगर बात करें तो 26 जुलाई को इसका दाम 1128 रुपये प्रति क्विंटल से 1069.09 प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है. 
  • टमाटर की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है. 26 जुलाई को इसकी कीमतें जहां 2991.98 रुपये प्रति क्विंटल थीं तो 2 अगस्‍त को ये 3383.83 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई हैं. 

दो साल में क्‍या हुई स्थिति

अब अगर हम पिछले एक महीने की बात करें या तुलना करें तो भी प्‍याज स्थिति में कोई ज्‍यादा बदलाव नहीं हुआ है. 2 जुलाई 2025 को 1289 रुपये प्रति क्विंटल था और इसका मतलब है कि एक महीने में इसकी कीमतों में करीब 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 

अगर एक साल पहले की स्थिति की बात करें तो 2 अगस्‍त 2024 को प्‍याज की कीमत 2551 रुपये प्रति क्विंटल थी और साफ है कि कीमतों में 50 फीसदी से ज्‍यादा की गिरावट दर्ज की गई है. दो साल पहले यानी 2 अगस्‍त 2023 को प्‍याज की कीमत 1416 रुपये प्रति क्विंटल थी और इससे तुलना करें तो पता लगता है कि कीमतों में करीब 15 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. 

फडणवीस को लिखी चिट्ठी 

किसानों को इस साल अभी तक कोई राहत नहीं मिल सकी है. प्‍याज के किसानों ने महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चिट्ठी लिखी है और उनसे अपील की है कि वो इस मसले पर एक मीटिंग बुलाएं. महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ(एपीएमसी) के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले और नासिक जिला अध्यक्ष जयदीप भदाने द्वारा दिए गए इस पत्र में प्याज की गिरती कीमतों के कारण किसानों के सामने आ रहे गंभीर वित्तीय संकट पर प्रकाश डाला गया है.

क‍िसानों ने दी चेतावनी 

वहीं पिछले दिनों एपीएमसी में आयोजित एक मीटिंग में, महाराष्‍ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ ने सपोर्ट प्राइस और लंबे समय के लिए नीतिगत उपायों की मांग करते हुए कई प्रस्ताव पास किए.  संघ के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्य भर के किसान प्रतिनिधियों, एपीएमसी सदस्यों और सहकारी नेताओं ने भाग लिया. इसमें मुख्य मांग थी कि प्‍याज के लिए न्‍यूनतम समर्थत मूल्‍य यानी एमएसपी को 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक सुनिश्चित किया जाए. अभी यह वर्तमान 1,275 रुपये प्रति क्विंटल है. दिघोले ने साफ कहा है कि अगर इसी तरह से प्‍याज की कीमतें गिरती रहीं और किसानों के लिए कुछ नहीं किया गया तो फिर इसकी खेती बंद करने के लिए उन्‍हें मजबूर होना पड़ेगा. 

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