ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) लाने के बावजूद गेहूं के दाम में कमी नहीं दिख रही है. सवाल यह है कि आखिर ओएमएसएस का किसे फायदा मिल रहा है. यह स्कीम उपभोक्ताओं के फायदे के लिए चलाई जा रही है या फिर मिलर्स के. ओएमएसएस के तहत सरकार आम उपभोक्ताओं को सस्ता गेहूं नहीं देती बल्कि सस्ता गेहूं मिलता है बड़े मिलर्स और कुछ सरकारी एजेंसियों को. ताकि आटा सस्ता मिले. लेकिन केंद्र सरकार के ही आंकड़े कह रहे हैं कि न गेहूं सस्ता हुआ है और न आटा. ओपन मार्केट में गेहूं का औसत दाम 29.96 जबकि अधिकतम दाम 59 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. वाराणसी में 29 और मेरठ में 30 रुपये किलो का दाम चल रहा है. हालांकि, ई-नाम मंडी पर रेट कुछ कम है.
केंद्र सरकार ने 9 अगस्त को यह एलान किया था कि वो महंगाई को काबू में करने के लिए ओएमएसएस के तहत 50 लाख टन गेहूं रियायती दर पर बेचेगी. उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार इस दिन देश में गेहूं का औसत दाम 29.82 रुपये और अधिकतम दाम 53 रुपये प्रति किलो था. जबकि 31 अगस्त को गेहूं का औसत दाम बढ़कर 29.96 रुपये और अधिकतम 59 रुपये प्रति किलो हो गया.
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जब 9 अगस्त को ओपन मार्केट सेल स्कीम घोषित की गई थी उस दिन देश में आटा का औसत दाम 35.18 रुपये और अधिकतम दाम 67 रुपये किलो था. जबकि 31 अगस्त को आटा का न्यूनतम भाव 35.36 और अधिकतम दाम 67 रुपये किलो था. हरियाणा का करनाल जिला जो गेहूं बेल्ट है वहां पर आटा का दाम 38 रुपये प्रति किलो है. श्रीनगर में इसका भाव 57 रुपये किलो तक पहुंच गया है. अमेठी में 36 रुपये किलो दाम चल रहा है.
देश के ज्यादातर बाजारों में गेहूं का दाम एमएसपी से अधिक चल रहा है. साल 2023-24 के लिए एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि ओपन मार्केट में इसका दाम 3000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है. सरकार ने 13 मई 2022 से ही गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन लगाया हुआ है. तीन बार ओपन मार्केट सेल स्कीम आ चुकी है फिर भी दाम कम नहीं हुए हैं. कुछ किसान इस उम्मीद में अभी तक गेहूं स्टोर करके रखे हुए हैं कि 2022 की तरह उन्हें 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम मिलेगा.
Source: e-NAM
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