Basmati Rice Export: क्या भारत के इस फैसले का पाक‍िस्तान उठाएगा फायदा?

Basmati Rice Export: क्या भारत के इस फैसले का पाक‍िस्तान उठाएगा फायदा?

भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा बासमती चावल निर्यातक है. प‍िछले एक साल में ही इसका न‍िर्यात 45.83 फीसदी बढ़ गया है. लेक‍िन, अब 1200 डॉलर न्यूनतम एक्सपोर्ट प्राइस वाले फैसले से भारत अपने बड़े ग्राहक आधार को खो सकता है. ज‍िससे इसके व्यापार और खेती से जुड़े लोगों को आर्थ‍िक नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है.

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Basmati Rice Export: क्या भारत के इस फैसले का पाक‍िस्तान उठाएगा फायदा? भारत से बासमती का क‍ितना एक्सपोर्ट (Photo-Kisan Tak).

केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल का म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) 1200 अमेर‍िकी डॉलर प्रत‍ि टन करने के फैसले के ख‍िलाफ राइस इंडस्ट्री में गुस्सा है. पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने इसे सरकार मनमाना फैसला करार द‍िया है.लाल किला, दावत, इंडिया गेट, महारानी, ​​ज़ीबा और क्राउन जैसे बासमती ब्रांड इस एसोस‍िएशन के सदस्य हैं. इसके डायरेक्टर अशोक सेठी ने 'क‍िसान तक' से कहा क‍ि इस फैसले से भारतीय बासमती बाजार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झटका लगेगा. क्योंक‍ि हमारा प्रतिद्वंदी देश पाक‍िस्तान इस फैसले का पूरा फायदा उठाने की कोश‍िश करेगा. बासमती का उत्पादन भारत और पाक‍िस्तान में ही होता है. सरकार को अपने इस फैसले को र‍िव्यू करना चाह‍िए. 

भारत 140 से अधिक देशों में बासमती चावल का एक्सपोर्ट करता है. अब केंद्र के नए फैसले ने न‍िर्यातकों की च‍िंता बढ़ा दी है. क्योंक‍ि एपीडा ने 1200 अमेरिकी डॉलर से कम मूल्य के बासमती चावल के सौदों को रज‍िस्टर्ड करने से इनकार कर दिया है. सवाल यह है क‍ि केंद्र सरकार के फैसले से न‍िर्यातकों को द‍िक्कत क्या है? सेठी ने इस सवाल का जवाब द‍िया. उनका कहना है क‍ि ज्यादा दाम होने से हमारे अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को खोने का डर पैदा हो गया है. बड़ी संख्या में शिपमेंट आगे की डिलीवरी के लिए विभिन्न बंदरगाहों पर भेजे जाने के लिए तैयार हैं. लेक‍िन अब दाम बढ़ जाएगा, ज‍िससे पुराने सौदे रद्द हो सकते हैं और दुश्मन मुल्क को इसका फायदा पहुंचेगा. इस वक्त 900 डॉलर से अधिक म‍िन‍िमन एक्सपोर्ट प्राइस नहीं होना चाह‍िए. 

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क‍िसी से राय ल‍िए ब‍िना हुआ इतना बड़ा फैसला

सेठी ने कहा क‍ि भारत में 2 फीसदी लोग ही एवन क्लास का बासमती खाते हैं. बाकी बासमती चावल एक्सपोर्ट हो जाता है. ज्यादातर लोग यहां टूटा बासमती खाते हैं. इस तरह जो ब‍िजनेस व‍िशुद्ध रूप से एक्सपोर्ट का है उस पर इतना बड़ा फैसला क्यों ल‍िया गया. इस फैसले से हमारा बासमती एक्सपोर्ट कम हो जाएगा, ज‍िससे क‍िसानों को नुकसान होगा. इतना बड़ा फैसला लेने से पहले सरकार ने सबसे बड़े बासमती उत्पादकों और न‍िर्यातकों पंजाब-हर‍ियाणा से भी कोई राय नहीं ली. यह ताज्जुब की बात है. इसल‍िए इसे हम मनमाना फैसला करार देते हैं. बासमती का एक्सपोर्ट प्राइवेट डील‍िंग के आधार पर होता है न क‍ि गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट. इसल‍िए न‍िर्यातकों से बातचीत करके ही इस बारे में फैसला ल‍िया जाना चाह‍िए था. 

सरकार ने क्यों उठाया इतना बड़ा कदम 

  • घरेलू बाजार में चावल का दाम बढ़ रहा है. इसल‍िए, चुनावों को देखते हुए क‍िसी भी तरह से सरकार दाम पर अपना न‍ियंत्रण बनाए रखना चाहती है. 
  • इस कड़ी में केंद्र ने 20 जुलाई से गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई. इसकी गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में करीब 36 फीसदी की ह‍िस्सेदारी है. 
  • टूटे चावल का एक्सपोर्ट 8 स‍ितंबर 2022 से ही बैन है. गैर बासमती में अब स‍िर्फ सेला चावल (Parboiled Rice) ही एक्सपोर्ट हो सकता है. ज‍िसकी गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में ह‍िस्सेदारी लगभग 44 परसेंट है. 
  • सरकार ने अब Parboiled Rice के निर्यात पर भी 20 फीसदी ड्यूटी लगा दी है. यह फैसला 16 अक्टूबर से प्रभावी होगा. पर्याप्त घरेलू स्टॉक बनाए रखने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए ऐसा कदम उठाया गया है. 
  • अब सरकार को लगा क‍ि बासमती के नाम पर गैर बासमती का न‍िर्यात हो रहा है. इसल‍िए इसका म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस 1200 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन कर द‍िया. यह फैसला 15 अक्टूबर तक लागू रहेगा. 
  • एक्सपोर्टर एसोस‍िएशन सरकार के तर्क से सहमत नहीं है. सेठी का कहना है क‍ि सरकार को अगर यह आशंका है क‍ि बासमती के नाम पर गैर बासमती चावल का न‍िर्यात क‍िया जा रहा है तो ऐसा करने वालों को पकड़ना उसका काम है, लेक‍िन ऐसी क‍िसी बात की आड़ में पूरी इंडस्ट्री को तहस-नहस करने वाला फैसला क‍िसी भी सूरत में ठीक नहीं है. बासमती के दाम पर गैर बासमती चावल कौन खरीदेगा?  
भारत का बासमती चावल न‍िर्यात.

बासमती के न‍िर्यात का र‍िकॉर्ड

भारत ने साल 2022-23 में र‍िकॉर्ड 38,523.54 करोड़ रुपये का बासमती चावल एक्सपोर्ट क‍िया, जो 2021-22 के मुकाबले 45.83 फीसदी अधिक है. हमने एक साल में 45,58,909 मीट्र‍िक टन बासमती का एक्सपोर्ट करके नया कीर्त‍िमान बना द‍िया. अब जो 1200 डॉलर से कम दाम पर इसे एक्सपोर्ट न कर पाने का फैसला ल‍िया गया है वो हमारी बासमती इंडस्ट्री को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा झटका देगा. क्योंक‍ि आयातक सस्ता होने की वजह से पाक‍िस्तान का बासमती खरीदना शुरू कर सकते हैं. 
 
 बासमती चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है. लेक‍िन इस फैसले से एक्सपोर्ट कम हो जाएगा. हमें अपने देश के लिए मूल्यवान विदेशी मुद्रा अर्जित करने और पंजाब और अन्य जगहों पर हमारे मेहनती बासमती क‍िसानों को अधिक राजस्व प्रदान करने में मदद करने के लिए निर्यात करने का अधिकार है. लेक‍िन सरकार अब हमारे प्राइवेट काम में बाधा बन रही है.  

एक्सपोर्ट वाले चावल की क‍ितनी लागत

वर्तमान में बासमती-1509 धान का औसत दाम 3200 रुपये प्रति क्विंटल है. क्रीमी सेला चावल के लिए इसकी लागत का मूल्यांकन क‍िया जाए जो प्रोसेस‍िंग और अन्य खर्चों के साथ उबले हुए चावल का दाम 6300 रुपये क्व‍िंटल होगा. यह लगभग 900 अमेरिकी डॉलर प्रति टन पर निर्यात के लिए उपलब्ध होगा. लेक‍िन इसे कभी भी 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन पर नहीं बेचा जा सकता. इस उबले हुए चावल को मध्य पूर्व के देशों या अरब देशों में बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है. जहां का बाजार अब प्रभाव‍ित होगा. 

कम‍िटमेंट को कैसे पूरा करेंगे न‍िर्यातक?

भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा बासमती चावल निर्यातक है. अब बढ़े हुए एमईपी की वजह से भारत अपने बड़े ग्राहक आधार को खो देगा और अभूतपूर्व इसके व्यापार से जुड़े लोगों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा. भारतीय निर्यातकों के पास पहले से ही 850 से 900 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की औसत कीमत पर चावल के बड़े ऑर्डर हैं, जबकि कुछ शिपमेंट पाइपलाइन में हैं और कुछ निर्यात अनुबंध पहले से ही एपीडा और बैंकों के साथ रज‍िस्टर्ड हैं. अब केंद्र के नए फैसले से निर्यातकों को बड़ी दुविधा का सामना करना पड़ रहा है कि वे अपनी निर्यात के कम‍िटमेंट को कैसे पूरा करें. 

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