भारत के किसानों की मेहनत रंग लाई है. किसानों की मेहनत से देश का मान विश्व स्तर पर बढ़ा है. नतीजतन भारत पहली बार एग्री एक्सपोर्ट के मामले में विश्व के टाॅप 10 देशों में शामिल हुआ है. असल में भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है इस विशाल देश की अधिकांश आबादी खेती से जुड़ी है. भारत का कृषि क्षेत्र बहुत प्रगतिशील रहा है. कृषि क्षेत्र की उन्नति का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आज भी देश के ग्रामीण इलाकों के अधिकांश लोग और शहर के छोटे लोगों की आय का आधार केवल कृषि है.सरकार लगातार किसान और किसानी को आगे ले जाने का प्रयास करती है. किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार और हर राज्य की सरकार नई- नई योजनाएं लेकर आती हैं.
इस क्षेत्र में कृषि यंत्रों और आधुनिक तरीकों के इस्तेमाल से भारत में खेती का रकबा बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर अनाजों की पैदावार में भी काफी इजाफा हुआ है. देश कृषि क्षेत्र में तेज गति के साथ आगे बढ़ रहा है यही कारण है कि भारत ने कृषि निर्यात के मामले में जबरदस्त बढ़त बनाई है. भारत इस मामले में पहली बार दुनिया के शीर्ष दस देशों की सूची में शामिल हुआ है. आइए जानते हैं इस उपलब्धि के पीछे क्या वजह रही है.
भारत की इस सफलता के पीछे किसानों की मेहनत है. जिसके तहत भारत सरकार ने कई कृषि उत्पादों का दुनियाभर में बीते साल एक्सपोर्ट किया है. इसमें अगर बात करें तो गेहूं, चावल, चीनी जैसे उत्पाद प्रमुख है. हालांकि अभी गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक है. लेकिन, भारत की इस उपलब्धि के पीछे गेहूं की भूमिका अहम रही है. असल में रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में गेहूं का संकट गहरा गया था. इस वजह से भारतीय गेहूं ने दुनिया की भूख मिटाई.
वहीं भारत सरकार की तरफ से कृषि को बढ़ावा देने वाली योजना भी अहम रही है. असल में भारत की पहचान कृषि से जुड़ी है, हम सभी ने बचपन से पढ़ा है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है. सरकार ने कृषि क्षेत्र के उत्थान और निरंतर विकास को गति देने के लिए कई तरह की किसान हितैषी योजनाओं को बढ़ावा दिया है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, सिंचाई योजना, कृषि यंत्रों की खरीदी पर सब्सिडी की योजना जैसी ढेरों योजनाओं की मदद से किसानों को काफी लाभ हुआ है और कृषि क्षेत्र का विकास हुआ.
ये भी पढ़ें तिलहन फसलों की बुवाई का बना रिकॉर्ड, अब दूसरे देशों पर कम होगी खाद्य तेलों की निर्भरता
अंतर्राष्ट्रीय महासभा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर दुनियाभर के लोगों के बीच मोटे अनाजों की विशेषता का प्रचार कर उसे अपने आहार में शामिल करने की अपील की और साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय ईयर ऑफ मिलेट्स का नाम दिया गया मोटे अनाजों का प्रचार प्रसार करने के साथ- साथ देश में इसकी खेती को भी विशेष महत्व दिया गया. भारत में खेती का रकबा बढ़ने के साथ- साथ पैदावार में भी जबरदस्त बढ़त देखी.
इस तरह की किसान हितैषी योजनाओं को लागू कर देश में कृषि जगत को गति दी गई है जिसका परिणाम यह रहा कि देश दुनिया भर में कृषि उत्पादों का निर्यात करने के मामले में पहली बार शीर्ष 10 देशों की सूची में शामिल हुआ.
ये भी पढ़ें ; मचान विधि का कमाल, एक पौधे से 1 हजार लौकी की उपज ले रहा ये किसान