रबी सीजन 2022-23 में अब तक 665.58 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले वर्ष से 18.56 लाख हेक्टेयर अधिक है. इनमें सबसे ज्यादा 7.83 लाख हेक्टेयर का योगदान तिलहन फसलों का है. कृषि विशेषज्ञ इसे देश के लिए सुखद बता रहे हैं, क्योंकि हम करीब 55 फीसदी खाद्य तेल दूसरे देशों से मंगा रहे हैं और उस पर सालाना करीब एक लाख करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. ऐसे में भारत में तिलहन फसलों का रकबा बढ़ रहा है तो एक तरह से खाद्य तेलों के मामले में हमारी विदेशी निर्भरता कुछ कम होगी. यह सब संभव हो रहा है ओपन मार्केट में तिलहन फसलों के अच्छे दाम की वजह से.
भारत में तिलहन फसलों का सामान्य रकबा 78.81 लाख हेक्टेयर माना जाता है. लेकिन, कुछ वर्षों से इन फसलों का अच्छा दाम मिलने की वजह से इसके क्षेत्र में लगातार विस्तार हो रहा है. पिछले वर्ष यानी 2021-22 में 6 जनवरी तक सरसों, मूंगफली, कुसुम, सूरजमुखी, तिल और अलसी की खेती 97.66 लाख हेक्टेयर में हुई थी. जबकि इस साल इन फसलों का रकबा 105.49 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. यानी तिलहन के सामान्य क्षेत्र के मुकाबले इस बार बुवाई 26.68 लाख हेक्टेयर में बढ़ गई है.
तिलहन फसलों के रकबा में जो वृद्धि दिखाई दे रही है उसमें सरसों का अहम योगदान है. देश में सरसों की फसल का सामान्य क्षेत्र 63.46 लाख हेक्टेयर माना जाता है. लेकिन इस साल 6 जनवरी तक यह 95.34 लाख हेक्टेयर हो गया है. जबकि 2021-22 में इसका क्षेत्र महज 88.42 लाख हेक्टेयर था. यानी अकेले सरसों का एरिया पिछले साल के मुकाबले 6.92 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. सरसों का दाम पिछले दो साल से एमएसपी से अधिक मिल रहा है. उम्मीद है कि इस साल यह 97 लाख हेक्टेयर हो जाएगा.
रबी फसल वर्ष 2021-22 में सरसों का रकबा 91.44 लाख हेक्टेयर था. जबकि 2020-21 में इसका क्षेत्र सिर्फ 73.12 लाख हेक्टेयर ही था. यानी अच्छे दाम की वजह से किसानों का रुझान इसकी खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है. कृषि विशेषज्ञ बिनोद आनंद का कहना है कि किसानों का रुझान उन्हीं फसलों की तरफ अधिक होता है, जिनका मार्केट में दाम अच्छा मिलता है. सरसों का भाव ओपन मार्केट में 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक है. इसलिए इस फसल में किसानों को फायदा दिखाई दे रहा है. तिलहन फसलों का रकबा बढ़ना किसानों की सेहत के लिए भी ठीक है और देश के लिए भी.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक तिलहन फसलों का रकबा राजस्थान (4.43 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (2.73 लाख हेक्टेयर), ओडिशा (0.65 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (0.65 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (0.62 लाख हेक्टेयर) और आंध्र प्रदेश (0.16 लाख हेक्टेयर) में बढ़ गया है. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, नागालैंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर और असम में भी एरिया बढ़ा है.
जबकि उत्तर प्रदेश (0.77 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (0.49 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.29 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (0.24 लाख हेक्टेयर), झारखंड (0.13 लाख हेक्टेयर), कर्नाटक (0.03 लाख हेक्टेयर) और उत्तराखंड में रकबा कम हुआ है.
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