Rice Export: भारत के गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में भारी ग‍िरावट, एक ही साल में 26 फीसदी कम हुई कमाई

Rice Export: भारत के गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट में भारी ग‍िरावट, एक ही साल में 26 फीसदी कम हुई कमाई

केंद्र सरकार ने आयात से म‍िलने वाले डॉलर की च‍िंता क‍िए ब‍िना साफ क‍िया है क‍ि वो घरेलू बाजार में चावल के दाम को काबू में रखने के ल‍िए निर्यात को रेगुलेट कर रही है. इसके तहत कुछ महत्वपूर्ण फैसले ल‍िए गए हैं. फ‍िलहाल, साल 2023-24 में भारत ने स‍िर्फ 37804.4 करोड़ रुपये का ही गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट क‍िया. आख‍िर इसकी वजह क्या है? 

चावल न‍िर्यात में भारी कमी. चावल न‍िर्यात में भारी कमी.
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • May 14, 2024,
  • Updated May 14, 2024, 1:45 PM IST

एक तरफ भारत से बासमती चावल का एक्सपोर्ट लगभग 26 फीसदी बढ़ गया है तो दूसरी ओर गैर बासमती चावल के न‍िर्यात में 26 फीसदी की ही गिरावट दर्ज की गई है. एक ही साल में चावल का एक्सपोर्ट 13,284.4 करोड़ रुपये कम हो गया है. डॉलर के ल‍िहाज से यह ग‍िरावट 28.1 फीसदी की है. सवाल यह है क‍ि आख‍िर एक्सपोर्ट में इतनी ग‍िरावट कैसे आई? दरअसल, केंद्र सरकार ने इस वक्त हर तरह के चावल न‍िर्यात पर क‍िसी न क‍िसी तरह की शर्त लगा रखी है. क‍िसी का न‍िर्यात पूरी तरह से बैन है तो क‍िसी पर भारी भरकम न‍िर्यात शुल्क लगा हुआ है, इसल‍िए चावल का न‍िर्यात इस साल बुरी तरह से प्रभाव‍ित हुआ है. हालांक‍ि, सरकार ने साफ क‍िया है क‍ि उसकी प्राथम‍िकता पहले अपने घरेलू मोर्चे पर महंगाई को रोकना है. अपने उपभोक्ताओं के ह‍ितों की रक्षा के ल‍िए एक्सपोर्ट कम भी हो जाए तो कोई द‍िक्कत नहीं. 

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के मुताब‍िक साल 2023-24 में हमने स‍िर्फ 37804.4 करोड़ रुपये का ही गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट क‍िया, जबक‍ि प‍िछले साल इसके न‍िर्यात से र‍िकॉर्ड 51,088.8 करोड़ रुपये म‍िले थे. बाजार व‍िशेषज्ञों का कहना है क‍ि 20 जुलाई 2023 से ही गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है, ताकि घरेलू बाजार में महंगाई न बढ़े. इसल‍िए न‍िर्यात में इतनी बड़ी ग‍िरावट देखने को म‍िली है. हालांक‍ि बासमती चावल के एक्सपोर्ट ने इस साल र‍िकॉर्ड बना द‍िया है. 

रेगुलेट हो रहा एक्सपोर्ट 

केंद्र सरकार ने आयात से म‍िलने वाले डॉलर की च‍िंता क‍िए ब‍िना साफ क‍िया है क‍ि वो घरेलू बाजार में चावल के दाम को काबू में रखने के ल‍िए निर्यात को रेगुलेट कर रही है. इसके तहत कुछ महत्वपूर्ण फैसले ल‍िए गए हैं. हालांक‍ि, इन फैसलों से क‍िसानों को नुकसान हुआ है. 

टूटे चावल के निर्यात पर 9 सितंबर 2022 से ही रोक लगी हुई है. दूसरी ओर, गैर-बासमती सफेद चावल पर पहले 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया. इसके बाद 20 जुलाई 2023 को इसके निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई. देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रत‍िशत है.

सेला राइस यानी उबले चावल का एक्सपोर्ट हो सकता है. लेक‍िन इसके न‍िर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगी हुई है. पहले यह ड्यूटी 31 मार्च 2024 तक के ल‍िए लगाई गई थी, ज‍िसे बाद में अन‍िश्च‍ित काल के ल‍िए आगे बढ़ा द‍िया गया है. 

क‍ब क‍ितना रहा चावल न‍िर्यात.

रोक के बावजूद कैसे हो रहा न‍िर्यात 

राइस एक्सपोर्ट से जुड़े व‍िशेषज्ञ ब‍िनोद कौल का कहना है क‍ि दुन‍िया के कुल चावल न‍िर्यात में प‍िछले साल तक भारत की ह‍िस्सेदारी करीब 40 फीसदी की थी, जो अब एक्सपोर्ट कम होने से घट गई है. करीब 70 लाख टन कम एक्सपोर्ट हुआ है. भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के न‍िर्यात पर रोक लगाई हुई है. इसके बावजूद कुछ देशों को गैर-बासमती सफेद चावल का एक्सपोर्ट हुआ है. ऐसा निर्यात प्रतिबंधों में ढील देकर क‍िया गया है. सहकार‍िता मंत्रालय की कंपनी नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड के जर‍िए सरकार-से-सरकार (G2G) आधार पर चावल भेजा जा रहा है. 

कौल का कहना है क‍ि जब न‍िर्यात पर रोक लगी थी तब भी सरकार ने कहा था क‍ि एक्सपोर्ट बैन जरूर है, लेक‍िन हम पड़ोसी और कमजोर मुल्कों की खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करेंगे. इसका मतलब यह है क‍ि गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट में प्राइवेट सेक्टर की भूम‍िका नहीं है. ज‍िन देशों को चावल की आवश्यकता है वो भारत से र‍िक्वेस्ट कर रहे हैं. इसके बाद जरूरी समझने पर सरकार अपनी इस कंपनी के माध्यम से उन्हें चावल का न‍िर्यात कर रही है.   

र‍िकॉर्ड भाव पर एक्सपोर्ट 

भारत ने चावल का एक्सपोर्ट भले ही कम क‍िया है, लेक‍िन दाम पहले की अपेक्षा बहुत अच्छा ल‍िया है. साल 2023-24 में हमने 411 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन के दाम पर गैर बासमती चावल का एक्सपोर्ट क‍िया. भारत को गैर बासमती चावल का इतना दाम कभी नहीं म‍िला था. केंद्र सरकार की एक र‍िपोर्ट के अनुसार 2022-23 के दौरान इंटरनेशनल बाजार में भारत को 357 डॉलर प्रत‍ि टन का ही भाव म‍िला था. यानी 2023-24 में हमें 54 डॉलर प्रत‍ि टन ज्यादा का भाव म‍िला. साल 2021-22 में हमें 355 और 2020-21 में 366 डॉलर प्रत‍ि टन का भाव म‍िला था.  

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