रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई का वक्त आ गया है. नवंबर का महीना इसके लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है. इसलिए वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि किसान अच्छी किस्मों के बीजों का पहले ही इंतजाम कर लें. अच्छी पैदावार के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज लगता है. इसी आधार पर अपनी खेती के लिए बीज और खाद का इंतजाम समय रहते कर लें.मौसम को ध्यान में रखते हुए गेंहू की बुवाई के लिए खाली खेतों को तैयार करें. जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो उनमें क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी को 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें. नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की होनी चाहिए.
गेहूं की अगेती किस्मों की बात करें तो इनमें एचडी 3385, एचडी 3386, एचडी 3298, एचडी 2967, एचडी 3086, एचडी सीएसडब्लू 18, डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371, डीबीडब्ल्यू 372 और डीबीडब्ल्यू 327 प्रमुख हैं. एचडी 3385 अधिक उपज देने वाली किस्म है. यदि समय पर इसकी बुवाई की जाती है तो प्रति हेक्टेयर 80-100 क्विंटल तक की पैदावार देती है. गेहूं की यह किस्म उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के खेतों के लिए उपयुक्त मानी गई है. डीबीडब्ल्यू 370 की उत्पादन क्षमता 86.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इस किस्म में प्रोटीन कंटेंट 12 प्रतिशत, जिंक 37.8 पीपीएम और आयरन 37.9 पीपीएम होता है.
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तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें. मिट्टी जांच के बाद अगर सल्फर की कमी हो तो 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई पर डालें. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान जरूर रखें. सरसों की उन्नत किस्में- पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30, पूसा सरसों-31 और पूसा सरसों-32 हैं. प्रति एकड़ 1.5-2 किलोग्राम बीज की जरूरत होगी.
बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को जरूर देख लें ताकि अंकुरण प्रभावित न हो. बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @ 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है. कम फैलने वाली किस्मों की बुवाई 30 सेंमी और अधिक फैलने वाली किस्मों की बुवाई 45-50 सेंमी दूरी पर बनी पंक्तियों में करें. विरलीकरण द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सेंमी कर लें.
तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई में ओर अधिक देरी न करें अन्यथा फसल की उपज में कमी होगी. देरी से फसल में कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. उन्नत किस्में -पूसा प्रगति और आर्किल हैं. बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें.
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