जई की HJ-8 किस्म क्यों है पशुपालकों की पहली पसंद, इतने क्विंटल प्रति हेक्टर देती है उपज

जई की HJ-8 किस्म क्यों है पशुपालकों की पहली पसंद, इतने क्विंटल प्रति हेक्टर देती है उपज

जई एक ऐसी फसल है जो पशुपालकों के लिए हरे चारे का सबसे जरूरी स्रोत मानी जाती है. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित की गई “HJ-8” किस्म अब किसानों के बीच खासी लोकप्रिय हो रही है. ये किस्म अच्छा हरा चारा, अधिक उपज और पोषक तत्वों से भरपूर है.

उत्तर पश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.उत्तर पश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ होगा.
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Oct 13, 2025,
  • Updated Oct 13, 2025, 7:30 AM IST

जई एक ऐसी फसल है जो किसानों के लिए दोहरा काम करती है. इसे किसान उगाकर बेच भी सकते हैं और अपने पशुओं के लिए बेहतरीन चारे का इंतजाम भी कर पाते हैं. इसलिए हम आपको जई की एक उमदा किस्म के बारे में बता रहे हैं - जई की HJ-8 किस्म. इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार ने विकसित किया है. जई की ये किस्म मुख्य रूप से चारे के उत्पादन के लिए ही है. इसकी बड़ी खासियत ये है कि दो-कटाई वाली किस्म है, जिसमें हरे चारे की उपज भी अच्छी खासी मिलती है. अगर आपको भी अपने खेत में जई की बुवाई करना है तो एक बार जई की HJ-8 किस्म के बारे में जरूर समझ लें.

क्या है बुवाई का सही समय और क्षेत्र?

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में विकसित की गई जई की ये किस्म साल 2014 में अधिसूचित की गई थी. इस किस्म को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी राज्यों में रबी सीजन की फसल के रूप में उपयुक्त बताया गया है. जई की HJ-8 किस्म की बुवाई का सबसे सही समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाता है और इसे आप नवंबर के तीसरे सप्ताह तक भी बो सकते हैं. खास बात ये है कि जई की HJ-8 किस्म मौसम के उतार-चढ़ाव को लेकर सहनशील है और इसलिए अगर कोई किसान देर से भी बोता है तो भी इसकी उपज अच्छी मिलेगी.

जई की HJ-8 किस्म की खासियत और दाम

जई की HJ-8 किस्म के पौधे की बनावट खास है. इसका पौधा मजबूत और मीडियम हाइट वाला होता है. साथ ही इसकी पत्तियां गहरी हरी रंग की होती हैं. जई की इस किस्म का झाड़ भी अच्छा होता है और यही वजह है कि चारे की मात्रा भी ज्यादा मिलती है. जई की इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा लगभग 10–12% होती है. इसी कारण दुधारू पशुओं के लिए इस जई का चारा बेहद पौष्टिक होता है और उनका दूध उत्पादन भी बढ़ता है. 

साथ ही साथ इस किस्म में कैल्शियम और फाइबर भी कूट-कूटकर भरा होता है. इसके अलावा HJ-8 किस्म में पत्ती झुलसा रोग और जंग जैसी आम बीमारियों के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है. जई की HJ-8 किस्म के बीज का एक 10 किलो का पैकेट 900 रुपये में मिल जाता है. 

उपज और कटाई की विधि

अगर उपज क्षमता की बात करें तो जई की HJ-8 किस्म की औसत उपज 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टर बताई जाती है. वहीं इसके सूखे चारे की उपज भी करीब 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल सकती है. अगर HJ-8 किस्म की कटाई का अंतराल देखें तो बुवाई के करीब 65 से 70 दिनों के बाद इस जई की पहली कटाई ले सकते हैं. अगर किसान होशियारी से काम लें तो एक सीजन इस जई की 2 से 3 कटाई तक संभव है.

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