उधमपुर जिले के चन्थल गांव के किसान इन दिनों एक बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं. गांव के पास बनी एक नाली, जो रेलवे लाइन से होकर आती है, खेतों में गंदा पानी और कचरा ला रही है. यह नाली जम्मू-कश्मीर पब्लिक डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (JKPDC) द्वारा बनाई गई है, लेकिन उसमें रेलवे का गंदा पानी और प्लास्टिक कचरा लगातार खेतों में बह रहा है, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं.
गांव के किसान विकास शर्मा ने एएनआई को बताया कि बारिश के समय यह नाली ओवरफ्लो हो जाती है और सारा गंदा पानी खेतों में आ जाता है. उन्होंने कहा, "यह नाला जेकेपीडीसी ने बनाया है, लेकिन सारा कचरा और पानी रेलवे का आता है. हमने इंजीनियरों से कहा, लेकिन कोई देखने नहीं आया. इतना प्लास्टिक आता है कि लगता ही नहीं कि प्लास्टिक बैन है."
किसानों का कहना है कि जेकेपीडीसी ने नाला तो बनाया, लेकिन अब वह यह कहकर जिम्मेदारी नहीं ले रही कि पानी रेलवे का है. वहीं रेलवे विभाग ने भी अब तक इस समस्या को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. किसानों की कई बार की अपील के बावजूद, कोई अधिकारी मौके पर नहीं आया.
चन्थल गांव के एक और किसान गणेश दत्त ने बताया, "रेलवे की नाली हमारे खेत में खुलती है. हमने कहा कि इसे आगे बढ़ाओ, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. 1.5 कनाल धान की फसल हमने लगाई थी, लेकिन सब बर्बाद हो गई."
यह नुकसान केवल खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों की मेहनत और आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर डाल रहा है.
इस समस्या ने प्लास्टिक बैन की प्रभावशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. नाले में जमा हो रही प्लास्टिक की मात्रा दिखाती है कि इस पर सख्ती से अमल नहीं हो रहा है.
किसानों ने जिला उपायुक्त (DC) और JKPDC से मांग की है कि इस नाले की स्थिति का तुरंत जायज़ा लिया जाए और जल्द से जल्द कोई समाधान निकाला जाए, ताकि उनकी फसलें और भविष्य सुरक्षित रह सके.
उधमपुर के किसानों की यह समस्या केवल खेतों की नहीं, बल्कि सिस्टम की अनदेखी का भी उदाहरण है. यदि समय पर सही कदम नहीं उठाए गए, तो इसका असर ना केवल किसानों पर पड़ेगा, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय जीवन पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा.
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