दार्जिलिंग में बाढ़-भूस्‍खलन से दर्जनों चाय बागान तबाह, 50 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

दार्जिलिंग में बाढ़-भूस्‍खलन से दर्जनों चाय बागान तबाह, 50 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

दार्जिलिंग की पहाड़ियों में भारी बारिश और भूस्खलन से 30 से ज्यादा चाय बागान तबाह हो गए और फसल बह गई. भयावह भूस्‍खलन की घटनाओं में मजदूरों के घर उजड़ गए और उत्पादन भी ठप पड़ गया है. इससे उद्योग को करीब 50 करोड़ का नुकसान होने की आशंका है.

Darjeeling Tea Production AffectedDarjeeling Tea Production Affected
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 09, 2025,
  • Updated Oct 09, 2025, 7:04 PM IST

दार्जिलिंग की पहाड़ियों में हालिया भारी बारिश और भूस्खलन ने चाय उद्योग को गहरा झटका दिया है. बंगाल के उत्‍तर इलाके में आई अचानक बाढ़ और मलबे के सैलाब ने करीब 30 से 35 चाय बागानों को बुरी तरह तबाह कर दिया है. बारिश, बाढ़ और भूस्‍खलन के चलते चाय की फसल बह गईं, श्रमिकों के घर उजड़ गए और कई बागानों में काम पूरी तरह ठप है. बागान मालिकों का अनुमान है कि कुल नुकसान 50 करोड़ रुपये से कम का नहीं होगा. बागान मालिकों और उद्योग संगठनों ने बैठक बुलाने का निर्णय लिया, ताकि नुकसान का आकलन किया जा सके और आगे की रणनीति तय की जा सके. कई बागानों में बिजली और सड़क संपर्क पूरी तरह टूट गया था. हालांकि बुधवार को बिजली बहाल कर दी गई.

चाय बागानाें को जमीन को भारी नुकसान

बागारिया ग्रुप के चेयरमैन एस.एस. बागारिया ने बताया कि उनकी तीन चाय बागानों में भूमि और पौधों का भारी नुकसान हुआ है. उनका अनुमान है कि कुल मिलाकर उद्योग को कम से कम 50 करोड़ रुपये की क्षति हुई है. वहीं, चामोंग टी ग्रुप के चेयरमैन अशोक लोहिया ने कहा कि 71 परिचालित बागानों में से लगभग आधे बुरी तरह प्रभावित हैं. कई स्थानों पर मजदूरों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है, क्योंकि बागानों के अंदरूनी रास्ते ध्वस्त हो गए हैं.

15 प्रतिशत फसल के चौपट होने की आशंका

सरकार और गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) सड़कें साफ करने में जुटे हैं, लेकिन बागानों के भीतर के रास्ते बहाल करना इस समय सबसे जरूरी है. लोहिया ने कहा कि अगर जल्द सड़क संपर्क बहाल नहीं हुआ तो अक्टूबर-नवंबर की शरद ऋतु की फसल, जो सालाना उत्पादन का करीब 15 प्रतिशत होती है पूरी तरह चौपट हो जाएगी. पिछले साल दार्जिलिंग चाय का उत्पादन 60 लाख किलोग्राम से भी कम रहा था.

30 बागानों पर गंंभीर असर

दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के प्रधान सलाहकार संदीप मुखर्जी ने बताया कि ज्यादातर नुकसान मिरिक और पोखरियाबोंग इलाके के बागानों में हुआ है. लगभग 30 बागान गंभीर रूप से प्रभावित हैं. औसतन हर बागान में करीब दो से ढाई एकड़ चाय वाली जमीन भूस्खलन में बह गई है. लोहिया ने बताया कि उनकी कंपनी के एक बागान में करीब 10,000 चाय पौधे बह गए, जो लगभग दो हेक्टेयर क्षेत्र के बराबर है. 

1968 के बाद सबसे बड़ी त्रासदी: बिनोद मोहन

दार्जिलिंग में 6 बागान के मालि‍क बिनोद मोहन ने कहा कि यह आपदा 1968 के बाद सबसे बड़ी त्रासदी है. उनके सियोक एस्टेट में दो मजदूरों की मौत हुई और कई श्रमिकों के घर बह गए. केवल इसी बागान में 60 से अधिक भूस्खलन की घटनाएं दर्ज हुईं, जिससे करीब 20 एकड़ चाय भूमि का नुकसान हुआ.

बागारिया ने भी बताया कि उनकी तीन बागानों में लगभग 10 हेक्टेयर भूमि बह गई है. कुल मिलाकर 32 लोगों की मौत हुई है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. कई गांव अब भी सड़क से कटे हुए हैं और पर्यटक फंसे हुए हैं. दार्जिलिंग की मशहूर सुगंधित चाय की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है.

उत्पादन में गिरावट और परिवहन बाधाओं के कारण कोलकाता टी ऑक्शन सेंटर में चाय की मात्रा घट सकती है. इससे दार्जिलिंग चाय की कीमतें बढ़ने की संभावना है. कोलकाता टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के एक अधिकारी ने बताया कि 14 और 24 अक्टूबर को होने वाली नीलामियों में लगभग 1.15 लाख किलोग्राम दार्जिलिंग चाय की कैटलॉगिंग हुई है, लेकिन इसके बाद की बिक्री के लिए मात्रा घट सकती है. पिछली नीलामी में 65,000 किलो से ज्यादा चाय पेश की गई थी, जिसमें से करीब 46,000 किलो बिकी और औसत भाव 468 रुपये प्रति किलो रहा था. (पीटीआई)

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