Soybean Production: सोयाबीन उत्‍पादन 20.5 लाख टन गिरने का अनुमान, SOPA ने बताई बड़ी वजहें

Soybean Production: सोयाबीन उत्‍पादन 20.5 लाख टन गिरने का अनुमान, SOPA ने बताई बड़ी वजहें

देश में सोयाबीन उत्पादन इस साल 20.5 लाख टन घटकर 105.36 लाख टन रहने का अनुमान है. सोपा ने खराब मौसम, कम बुवाई, घटती उत्पादकता और येलो मोज़ेक वायरस को नुकसान की वजह बताया.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 10, 2025,
  • Updated Oct 10, 2025, 3:33 PM IST

देश में ‘पीला सोना’ सोयाबीन का उत्पादन इस साल करीब 20.5 लाख टन घटकर 105.36 लाख टन रहने का अनुमान है. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि कम बुवाई, घटती उत्पादकता और प्रतिकूल मौसम इसके प्रमुख कारण हैं. सोपा ने यह अनुमान अपनी वार्षिक रिपोर्ट में जारी किया, जो इंदौर में आयोजित ‘इंटरनेशनल सोया कॉन्क्लेव 2025’ में जारी की गई. सम्मेलन में देशभर से तिलहन उद्योग से जुड़े सैकड़ों प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

114.56 लाख हेक्टेयर में हुई थी बुवाई

रिपोर्ट के अनुसार, चालू खरीफ मौसम में सोयाबीन की बुवाई 114.56 लाख हेक्टेयर में की गई, जबकि उत्पादन 105.36 लाख टन और औसत उत्पादकता 920 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही. पिछले साल यानी 2024 के खरीफ सीजन में 118.32 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी और उत्पादन 125.82 लाख टन दर्ज किया गया था, तब औसत उत्पादकता 1,063 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही थी.

सोयाबीन पर भारी पड़ी मौसम की मार

सोपा के अध्यक्ष दवेश जैन ने कहा, “इस साल मौसम ने सोयाबीन फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. खासकर राजस्थान में भारी बारिश से कई इलाकों में उत्पादन आधा रह गया.”

वहीं, सोपा के कार्यकारी निदेशक डी. एन. पाठक ने बताया कि कई राज्यों में येलो मोज़ेक वायरस के प्रकोप ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया. मध्य प्रदेश के कई जिलों में लगातार बारिश से फसल बर्बाद हो गई.

मध्‍य प्रदेश में भावांतर भुगतान योजना लागू

इस नुकसान की भरपाई के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने ‘भावांतर भुगतान योजना’ शुरू की है. इस योजना के तहत यदि मंडियों में व्यापारी किसानों से सोयाबीन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम भाव पर करते हैं तो सरकार किसानों को यह अंतर राशि देगी.

खाद्य तेल आयात पर खर्च हो रहा भारी पैसा

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपनी कुल खाद्य तेल जरूरतों का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करना पड़ता है, जिस पर हर साल लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा खर्च होती है. सोपा ने सुझाव दिया है कि देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सोयाबीन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा, जिसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों और बेहतर कृषि तकनीकों को अपनाने की जरूरत है.

सोयाबीन पर इतना है एमएसपी

केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले वर्ष के 4,892 रुपये प्रति क्विंटल से 436 रुपये अधिक है. उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मौसम की मार और बीमारियों पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो आने वाले वर्षों में देश की तेल आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करना और कठिन हो सकता है. (पीटीआई)

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