गेहूं उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत में रबी सीजन के सबसे प्रमुख फसलों में से एक है. रबी सीजन में गेहूं की बुवाई का सबसे सही समय अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर नवंबर के पहले पखवाड़े तक माना जाता है. इस साल नवंबर के दूसरे पखवाड़े तक पिछले साल की तुलना में लगभग 95% बुआई पूरी हो चुकी है. लेकिन कुछ किसानों की खरीफ की फसल में देरी से कटाई या फिर मानसून के ऊपर नीचे होने की वजह से गेहूं की बुवाई भी काफी लेट हो जाती है. अगर आप अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाए तो हम आपको गेहूं की कुछ पछेती किस्मों के बारे में बता रहे हैं जो 25 दिसंबर और उसके भी बाद तक बोई जा सकती हैं.
गेहूं की पछेती किस्में भी दो तरह की होती हैं. एक वे पछेती किस्में होती हैं जो देर से बोई जाती हैं यानी 25 दिसंबर तक भी इन किस्मों की बुवाई संभव है. दूसरी तरह की गेहूं की ऐसी पछेती किस्में हैं जो बहुत देर से यानी 25 दिसंबर के भी बाद बोई जा सकती हैं.
ये ऐसी पछेती किस्में हैं जिनकी बुवाई किसान सिंचित क्षेत्रों में 25 दिसंबर तक आराम से कर सकते हैं. हालांकि अलग-अलग राज्य के मौसम के हिसाब से गेहूं की ये किस्में भी अलग-अलग आती हैं. ये सभी अच्छी उपज देने वाली किस्में हैं जो भारत के गेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में देर से बोई गई सिंचित परिस्थितियों में अच्छी पैदावार देती हैं-
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अगर कुछ कारणों से आप 25 दिसंबर तक भी गेहूं की बुवाई नहीं कर पाएं हैं तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है. गेहूं की कई सारी आधुनिक किस्में ऐसी भी हैं जो 25 दिसंबर के बाद भी बोई जा सकती हैं. बहुत अधिक देरी से बुवाई के बावजूद भी ये किस्में पैदावार अच्छी देती हैं.
HD 3271, HI1621 और WR 544 गेहूं की ऐसी किस्में हैं जो दिसंबर खत्म होने तक भी बुवाई के लिए उपयुक्त हैं. खास बात ये है कि ये सभी किस्में किसी एक निश्चित राज्य या क्षेत्र नहीं, बल्कि सभी सिंचित क्षेत्रों में देरी से बुआई के लिए बेस्ट हैं.
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