इस साल हुई अच्छी बारिश से कृषि सेक्टर की ग्रोथ भी लहलहा उठी है. ये बात हाल ही में आए सकल मूल्य वर्धन (GVA) के आंकड़े कह रहे हैं. एक ओर बाकी सभी सेक्टर की ग्रोथ रेंगती दिखी, तो वहीं कृषि सेक्टर और इससे जुड़ी गतिविधियों की GVA ग्रोथ में मजबूती दर्ज की गई. ताजा के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (Q2FY25) के दौरान, कृषि सेक्टर की सालाना वृद्धि 3.5 प्रतिशत तक पहुंच गई. कृषि में दिख रही इस ग्रोथ का कारण मजबूत मानसून है.
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में जीवीए वृद्धि 2.0 प्रतिशत रही. पिछली चार तिमाहियों में, इस क्षेत्र ने 0.4 प्रतिशत से 2.0 प्रतिशत के बीच मामूली ग्रोथ ही दर्ज की थी. एक अंग्रेजी अखबार, 'बिजनेस स्टेंडर्ड' की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञ मानते हैं कि वित्त वर्ष 2025 में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों का 4 प्रतिशत से अधिक का अच्छा प्रदर्शन ग्रामीण मांग को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा. इसके साथ ही ये वित्त वर्ष 2025 के लिए घरेलू खपत मांग के आखिरी विश्लेषण में भी अहम हो सकता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि यह ग्रोथ इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि शहरी खपत मांग सुस्त बनी हुई है.
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री, मदन सबनवीस का कहना है कि तीसरी तिमाही में हमारा अनुमान है कि ये जीवीए ग्रोथ और भी बेहतर होगी, क्योंकि तब तक खरीफ की भरपूर फसल का पूरा प्रभाव सामने आ जाएगा और रबी की बुवाई का रुझान भी धीरे-धीरे दिखने लगेगा.
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इसी साल मई में नेशनल स्टेटिकल ऑफिस (NSO) के भी आंकड़े सामने आए थे. इन आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 की अंतिम तिमाही में कृषि क्षेत्र में सिर्फ 1.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. ये वृद्धि पिछली अक्टूबर से दिसंबर तिमाही की वृद्धि दर के ही बराबर है. इन आंकड़ों से पता चला था कि 2023-24 (वित्त वर्ष 24) में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए सकल मूल्य वर्धन (GVA) रेंगते हुए सिर्फ 1.4 प्रतिशत की दर से ही बढ़ी थी, जो 2018-19 के बाद सबसे धीमी है.
विशेषज्ञों ने माना था कि खराब मानसूनी वर्षा के बावजूद, पिछले वित्त वर्ष की सकारात्मक वृद्धि दर अच्छी थी. ये कृषि क्षेत्र का लचीलापन और खराब बारिश से इसपर कम होते प्रभाव को दर्शाता है. यानी कि ग्रोथ को फसल क्षेत्र के बजाय संबंधित क्षेत्रों द्वारा भी बढ़ावा दिया जा सकता था. आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में स्थिर दामों पर मापी गई कृषि क्षेत्र की ग्रोथ 4.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी. वहीं तिमाही-दर-तिमाही आधार पर, Q3FY23 में वृद्धि 4.8 प्रतिशत और Q4FY23 में 7 प्रतिशत थी. गौर करने वाली बात ये है कि कृषि से जुड़े क्षेत्र, जैसे - पशुपालन, मुर्गीपालन, मछली, मांस, अंडे, बागवानी और वानिकी, पिछले कई सालों से फसल क्षेत्र की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं.
मई में आई रिपोर्ट के अनुसार, फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई से जून) में खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल की तुलना में 6.2 प्रतिशत कम है. तिलहन का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 11.5 प्रतिशत कम है और दलहन का उत्पादन फसल वर्ष 2022-23 की तुलना में 10 प्रतिशत कम रिकॉर्ड किया गया. इसी तरह चावल का उत्पादन भी घटकर लगभग 123.81 मिलियन टन रह गया है, जो फसल वर्ष 2022-23 की तुलना में 8.8 प्रतिशत कम है.
कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के आए सकल मूल्य वर्धन (GVA) के ये आंकड़े अहम क्यों हैं, ये भी समझना जरूरी है. जीवीए के आंकड़े अहम इसलिए हैं, क्योंकि इसका उपयोग जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) को समायोजित करने के लिए किया जाता है. बता दें कि जीडीपी किसी देश की कुल अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख संकेतक मानी जाती है. इसी तरह सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) एक आर्थिक मीट्रिक है जो किसी क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापत है.
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