कई राज्‍यों में भारी बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बड़ा खतरा, Agromet ने बताए बचाव के उपाय

कई राज्‍यों में भारी बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बड़ा खतरा, Agromet ने बताए बचाव के उपाय

भारत मौसम विज्ञान विभाग के डिवीजन एग्रोमेट ने गंगा के मैदानी क्षेत्र पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और उत्तराखंड भारी बारिश और ओलावृष्टि की आशंका को लेकर किसानों को फसलों के बचाव के ल‍िए जरूरी एडवाइजरी जारी की है. पढ़‍िए किन उपायों से फसलों को बचाया जा सकता है.

Crop Protection From Hailstorm Crop Protection From Hailstorm
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 20, 2025,
  • Updated Feb 20, 2025, 12:09 PM IST

बीते कुछ दिनों से मौसम बदला हुआ है. पश्चि‍मी विक्षोभ और चक्रवाती परिसंचरण के सक्रिय होने के कारण हिमालयी राज्‍यों भारी बारिश और बर्फबारी हो रही है. वहीं, कई मैदानी राज्‍यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की स्थिति बन रही है. इसे लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग के डिवीजन एग्रोमेट ने जरूरी सलाह जारी की है. एग्रोमेट किसानों को फसलों की सुरक्षा को लेकर चेतावनी और जरूरी सलाह देता है. मौसम विभाग ने गंगा के मैदानी क्षेत्र पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और उत्तराखंड भारी बारिश और ओलावृष्टि की आशंका जताई है. इस आशंका को लेकर एग्रोमेट ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है.

आंधी-तूफान से फसलों को नुकसान की आशंका

एडवाइजरी में कहा गया है कि अलग-अलग स्थानों पर बिजली चमकने तेज हवाओं और ओलावृष्टि के साथ आंधी-तूफान के कारण बागान, बागवानी और खड़ी फसलों को नुकसान हो सकता है. ओलावृष्टि से खुले स्थानों पर लोगों और मवेशियों को चोट भी लग सकती है. सलाह दी जाती है कि लोग पेड़ के नीचे न ठहरें, किसी पक्‍के सुरक्षिति स्‍थान में शरण ले. मवेशियों को भी पेड़ के नीचे न बांधें.

इन फसलों को ओलावृष्टि जाल लगाकर बचाएं

उक्‍त राज्‍यों में किसानों और बागवानों को फलों के बागों और सब्जियों के पौधों को यांत्रिक क्षति से बचाने के लिए ओलावृष्टि जाल या ओलावृष्टि कैप लगाने की सलाह दी गई है. एग्रोमेट ने कटी हुई फसल को सुरक्षित जगह पर रखने और खेतों में पड़ उपज को तिरपाल की चादरों से ढकने की सलाह दी है. साथ ही कहा है कि किसान बागवानी फसलों को यांत्रिक सहायता और सब्जियों को सहारा दें.

पशुओं के रखरखाव पर भी दें ध्‍यान

विभाग ने भारी बारिश और ओलावृष्टि के दौरान पशुओं को शेड के अंदर रखने और उन्हें संतुलित चारा देने के लिए कहा है. साथ ही चारा को खराब होने से बचाने के लिए सुरक्षित जगह का चयन करने की सलाह दी है. इससे पहले, एग्रोमेट ने 22 फरवरी तक जम्‍मू-कश्‍मीर और हि‍माचल प्रदेश के लिए एडवाइजरी जारी की थी. यहां किसानों और बागवानों को गेहूं, सरसों, दालों, अन्य खड़ी फसलों, सब्जियों और बागवानी फसलों के खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है, ताकि पानी न रुके और फसल को नुकसान न पहुंचे.

मौसम विभाग ने जनवरी से मार्च तक के त्रैमासिक पूर्वानुमान में फरवरी में तापमान सामान्‍य से अध‍िक रहने की भविष्‍यवाणी की थी, साथ ही बारिश सामान्‍य से कम रहने की बात कही है. वहीं, मार्च में भी तापमान बढ़ा रहने और बारिश कम होने से बागवानी फसलों पर असर पड़ सकता है. मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि तापमान बढ़ा रहने के कारण गेहूं और सरसों का उत्‍पादन प्रभावित हो सकता है. लेकिन, कई कृषि वै‍ज्ञानिकों का कहना है‍ कि‍ गेहूं का बंपर होगा, घबराने की जरूरत नहीं है.

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