हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में धान की कटाई शुरू हो गई है वहीं कुछ इलाकों में किसान फसल में रोग लगने से चिंतित है. दरअसल, धान की फसल में फॉल्स स्मट बीमारी का पता चलने से अंबाला और कुरुक्षेत्र के किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि दक्षिणी चावल के काले धारीदार बौने वायरस और बेमौसम बारिश के कारण वे पहले से ही नुकसान झेल रहे थे. इसके बाद अब इस फफूंद रोग ने खड़ी धान की फसल पर हमला कर दिया है. उनका दावा है कि इससे अनाज की क्वालिटी के साथ-साथ उत्पादन पर भी असर पड़ेगा.
अंबाला के हमीदपुर गांव के पूर्व सरपंच और धान की खेती करने वाले जसबीर सिंह ने कहा कि उन्होंने इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए तरह-तरह के स्प्रे आजमाए, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिले. इस बीमारी ने फसल पर फूल आने के समय हमला किया था और रोकथाम बेहद जरूरी थी. लेकिन बेमौसम बारिश के कारण समय पर फफूंद नाशक का छिड़काव नहीं हो पाया.
कुरुक्षेत्र के असमानपुर गांव के धान उत्पादक किसान गुरलाल सिंह ने कहा कि फॉल्स स्मट ने धान की फसल को प्रभावित किया है, जिसका असर उपज पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस साल उन्हें भारी नुकसान होने की आशंका है. हालांकि यह रोग हर साल फसल को प्रभावित करता है, लेकिन इस साल इसका प्रकोप ज्यादा है. उन्होंने कहा कि सरकार और कृषि विशेषज्ञों को इसका स्थायी समाधान निकालना चाहिए और किसानों को नुकसान से बचाना चाहिए.
भारतीय किसान यूनियन (पेहोवा) के प्रवक्ता प्रिंस वड़ैच ने कहा कि इस साल किसानों को बौनापन वायरस, जलभराव और अब फॉल्स स्मट से भारी नुकसान हुआ है. इस बीमारी का खेतों में आसानी से पता चल जाता है, लेकिन इसके बढ़वार को रोकने के लिए कोई उचित उपचार नहीं है. ऐसे में सरकार को गिरदावरी का आदेश देकर किसानों को मुआवजा देना चाहिए.
कुरुक्षेत्र के कृषि उपनिदेशक (डीडीए) करमचंद ने कहा कि जिले में, खासकर मानेसर क्षेत्र में धान के खेतों में कुछ जगहों पर फॉल्स स्मट का पता चला है. ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी तरह का स्प्रे न करें या फसल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करें, क्योंकि इससे रोग और फैल सकता है. उन्होंने कहा कि इससे फसल का रंग खराब हो सकता है और पैदावार पर भी असर पड़ेगा.
इसी तरह, अंबाला के कृषि उपनिदेशक, डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा कि मुख्यतः बरारा, नारायणगढ़ और साहा क्षेत्रों में लगभग 600 एकड़ धान की फसल में फॉल्स स्मट की सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि इस रोग का असर सबसे अधिक संकर किस्मों में देखा जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि चूंकि कटाई शुरू हो चुकी है, इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे स्प्रे का प्रयोग न करें, क्योंकि फसल 5-10 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाएगी.