लहसुन ने निकाले आंखों से आंसू, नासिक में 400 रुपये किलो के पार हुआ रेट, जानें कब आएगी कीमतों में गिरावट

लहसुन ने निकाले आंखों से आंसू, नासिक में 400 रुपये किलो के पार हुआ रेट, जानें कब आएगी कीमतों में गिरावट

मार्केट में लहसुन की आपूर्ति ज्यादातर गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से होती है. लेकिन इस साल इन राज्यों में अक्टूबर-नवंबर के दौरान बेमौसम बारिश के चलते लहसुन की फसल खराब हो गई. इससे उत्पादन में गिरावट आने से लहसुन की किल्लत हो गई है.

लहसुन की कीमत में क्यों लगी है आग. (सांकेतिक फोटो)लहसुन की कीमत में क्यों लगी है आग. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 31, 2023,
  • Updated Dec 31, 2023, 3:05 PM IST

महंगाई है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है. एक चीज सस्ती होती है, तब तक दूसरी चीज महंगी हो जाती है. प्याज के रेट में गिरावट आनी शुरू हुई तो अब लहसुन की कीमत में आ लग गई है. यह इतना महंगा हो गया है कि आम जनता के किचन का बजट खराब हो गया है. कई लोगों ने तो लहसुन ही खरीदना छोड़ दिया है. महंगाई का आलम यह है कि खुदरा मार्केट में लहसुन का रेट 350 से 450 रुपये किलो तक पहुंच गया है. व्यापारियों का कहना है कि जब तक बाजार में लहसुन आपूर्ति की कमी दूर नहीं हो जाती, कीमतें इसी दायरे में रहेंगी.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केट यार्ड के एक थोक विक्रेता ने कहा कि सप्लाई प्रभावित होने से बाजार में लहसुन की कमी हो गई है, जिसकी चलते कीमतें बढ़ी हैं. ऐसे मार्केट में लहसुन की आपूर्ति ज्यादातर गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से होती है. लेकिन इस साल इन राज्यों में अक्टूबर-नवंबर के दौरान बेमौसम बारिश के चलते लहसुन की फसल खराब हो गई. इससे उत्पादन में गिरावट आने से लहसुन की किल्लत हो गई है. वहीं, कुछ व्यापारियों ने यह भी कहा कि खरीफ लहसुन की कटाई में देरी हो गई है. इसके चलते भी कीमतें बढ़ी हैं.

नहीं हो रही लहसुन की उतनी बिक्री

पुलगेट सब्जी बाजार के सब्जी विक्रेता नासिर सैयद ने कहा कि हम आमतौर पर थोक बाजार से 50 किलोग्राम लहसुन खरीदते हैं. ये 2-3 दिन में बिक जाता है. लेकिन अब, इसे बेचने में अधिक समय लग रहा है. जब प्याज की कीमतें बढ़ीं तो मुझे कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा और अब लहसुन भी महंगा हो गया है. वहीं, कुछ विक्रेताओं ने कहा कि बाजार में लहसुन की आपूर्ति जनवरी के मध्य तक स्थिर हो जानी चाहिए, लेकिन तब तक कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है. एक दुकानदार ने कहा कि कीमत अधिक होने से ज्यादातर ग्राहक 50-100 ग्राम से ज्यादा लहसुन नहीं खरीद रहे हैं. मैंने पिछले 2-3 दिनों में तीन किलोग्राम से अधिक लहसुन नहीं बेचा है. महंगाई का आलम यह है कि अधिकांश थोक खरीदार, जो छिला हुआ लहसुन खरीदते थे, अब कंदों का विकल्प चुन रहे हैं. 

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ये थी थोक कीमत

वहीं, विक्रेता हारून शेख ने कहा कि रेस्तरां एक समय में लगभग 10 किलोग्राम छिला हुआ लहसुन खरीदते थे, लेकिन अब ऊंची कीमतों के कारण कई लोग इसके बजाय बल्ब खरीद रहे हैं. कोल्हापुर एपीएमसी और खुदरा बाजारों में लहसुन की कीमतों में भी पिछले दो हफ्तों में थोड़ी गिरावट आई है. कोल्हापुर के खुदरा बाजारों में कीमतें लगभग 220-230 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जबकि एक सप्ताह पहले यह 250-270 रुपये प्रति किलोग्राम थीं. पिछले दो महीनों में लहसुन के मूल्य निर्धारण के रुझान को देखते हुए, नासिक एपीएमसी के विक्रेताओं ने कहा कि लहसुन की औसत थोक कीमत 57 प्रतिशत अधिक थी. लहसुन का औसत थोक मूल्य अक्टूबर में 105 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर दिसंबर में 165 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया. 

थोक कीमतों में गिरावट शुरू होगी

वहीं, नासिक के खुदरा बाजारों में, लहसुन की कीमतें अक्टूबर में 200-300 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर दिसंबर में 320 से 450 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं. लहसुन व्यापारियों ने कहा कि वर्तमान में थोक बाजारों में जो लहसुन आ रहा है, वह मार्च-मई अवधि में काटी गई फसलों का है. लहसुन व्यापारी दीपक मदान ने कहा कि लहसुन की नई फसल की नियमित आवक अगले साल जनवरी के मध्य तक शुरू हो जाएगी, जब बाजार में नई फसल की सप्लाई शुरू हो जाएगी तो थोक कीमतों में गिरावट शुरू होगी.

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