कश्मीर घाटी में इस समय सेब की खेती करने वाले किसान काफी खुश हैं. कई महीनों की सुस्ती के बाद, सोपोर फल मंडी में एक बार फिर सीजन की पहली सेब की फसल बेचने के लिए लाई जा रही है. फल मंडी सेब की खुशबू और गाड़ियों के शोर से गुलजार है. रोजाना तड़के, पिकअप ट्रक, ट्रैक्टर, छोटी वैन और घोड़ा गाड़ियां फलों की पेटियों से लदे सोपोर के मजबूग गांव की ओर रवाना होते हैं. मजबूग में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मंडी स्थित है. जुलाई में लगातार हुई बारिश ने बागवानों को न केवल फलों की बंपर फसल, बल्कि बेहतरीन गुणवत्ता वाले सेबों की भी अच्छी उम्मीद दी है. मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कश्मीर में, खासकर उन इलाकों में जहां हाई क्वालिटी वाले सेब पैदा होते हैं, सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है.
जुलाई वह महीना होता है जब फलों का विकास सबसे ज्यादा होता है और इसलिए यह महीना फलों के के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय बन जाता है. बारिश ने न सिर्फ सेब की कई शुरुआती किस्मों को शानदार रंग दिया है, बल्कि फसल को भी पकाया है. सेब के किसान साहिब अहमद खान के हवाले से हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा है, 'जब जून में भीषण गर्मी पड़ रही थी तो हम बहुत ही खराब स्थिति में थे. लेकिन पहली बारिश के बाद हमें उम्मीदें जगीं और और अब बंपर फसल होने के कयास लगाए जा रहे हैं.' उन्होंने बताया कि पूरे कश्मीर में सेब के बागों में अच्छे फल हैं, और यहां तक कि हाई डेंसिटी वाले सेबों की भी इस मौसम में अच्छी पैदावार हुई है.
इस समय, हजरतबली और रेड डिलीशियस जैसी दो-तीन शुरुआती किस्मों के अलावा, कश्मीर भर में हाई क्वालिटी वाले सेबों की तीन-चार किस्मों की भी कटाई हो रही है. किसानों का कहना है कि शुरुआत से ही स्थानीय और बाहरी मंडियों का बाजार बहुत अच्छा है. सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फयाज अहमद मलिक ने बताया कि मंडी से रोजाना 40 से 50 सेब के ट्रक लदे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि घाटी की बाकी मंडियों से भी दर्जनों ट्रक भेजे जा रहे हैं. अभी तक बाजार अच्छा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि समय पर हुई बारिश के कारण फलों की गुणवत्ता अच्छी है.
फयाज अहमद के अनुसार अब हर गुजरते दिन के साथ मंडियों में और भी ज्यादा ट्रक आएंगे और अगले महीने तक देश भर में 300 से 400 फलों के ट्रक भेजे जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने किसानों को बेहतर मुनाफे की उम्मीद भी जताई है. कश्मीर भारत का सबसे बड़ा सेब उत्पादक क्षेत्र है, जो इस राज्य को 8,000 से 10,000 हजार करोड़ से भी ज्यादा का रेवेन्यू प्रदान करता है और जीडीपी में इसका करीब 8-10 फीसदी तक का योगदान है. यह केंद्र शासित प्रदेश प्रति वर्ष लगभग 20 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन करता है. करीब सात लाख किसान परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बागवानी क्षेत्र से जुड़े हैं.
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