बफर स्टॉक के लिए पांच लाख मीट्रिक टन प्याज की हो रही खरीद में नेफेड यानी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (NAFED) के कुछ अधिकारी बड़ा खेल कर रहे थे. पहले से ही सस्ते में खरीदकर रखे गए प्याज को नए यानी बढ़े हुए दाम पर खरीदा दिखाकर बड़ा गोलमाल किया जा रहा था. साथ ही सीधे किसानों से खरीद करने की बजाय नेफेड मंडी में व्यापारियों से प्याज मंगा रहा था. इन दोनों गड़बड़ियों को खुद नेफेड के नए चेयरमैन जेठाभाई अहीर ने पकड़ लिया है. दरअसल, उन्हें गड़बड़ियों की शिकायत मिली थी और वो उसके बाद औचक निरीक्षण पर पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने इन दोनों चर्चाओं पर मुहर लगा दी. अब उन्होंने एक कमेटी बनाकर नेफेड में सुधार के लिए कदम उठाने का एलान कर दिया है. ताकि संस्था की इमेज कंज्यूमर फ्रेंडली न बनकर किसान फ्रेंडली बने. 'किसान तक' से बातचीत में अहीर ने कहा कि गड़बड़ी करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी.
अहीर ने कहा कि प्याज के दाम और किसानों की परेशानी को लेकर मुझे काफी शिकायत मिल रही थी. लोग बता रहे थे कि यहां बहुत बड़ा घपला हो रहा है. अच्छी तरह से काम नहीं हो रहा है. किसानों को अच्छी तरह से पैसा नहीं मिल रहा है. उसके बारे में देखने के लिए मैं चुपचाप नासिक आया. इस दौरान नासिक में कई जगहों पर गया, हालात देखे. तब पता चला कि वहां मंडी से माल आता है और उसे एफपीओ का बनाकर दिखाया जाता है. इसे देखा और फोटो लिया.
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नए चेयरमैन ने कहा कि बफर स्टॉक के लिए जितना नेफेड का माल खरीदा गया है, उससे डबल माल तो नेफेड से जुड़े एफपीओ के गोडाउन में पहले से पड़ा था. उसका भी मैंने फोटो लिया है. इसका मतलब यह है कि पहले ही सस्ते में प्याज खरीद लिया जाता है और दाम बढ़ने पर नेफेड से ज्यादा पैसा लिया जाता है. यह सब गलत काम हो रहा था. मैंने खुद सब देख लिया है. यहां कुछ लोग गलत रहे हैं. किसानों से नेफेड को सीधे प्याज खरीदना चाहिए. यह नेफेड की पॉलिसी है. नेफेड फार्मर के लिए बना है. उस किसान को आइडेंटिफाई करना चाहिए. पैसा उसके खाते में डालना चाहिए.
अहीर ने कहा कि मैंने काफी चीजें लिख ली हैं. अब दिल्ली पहुंचकर मैं कमेटी गठित करुंगा. उसे पूरी जांच के लिए भेजूंगा. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद जिन-जिन लोगों को इस पूरे मामले में संलिप्त पाया जाएगा उन पर एक्शन लिया जाएगा. मैं नेफेड के चेयरमैंन के तौर पर बोल रहा हूं कि किसानों को पूरा पैसा नहीं मिल रहा है. बिचौलिए फायदा उठा रहे हैं. उसको खत्म करने के लिए मैं आया हूं यहां.
साफ सुथरा काम करना है. हमारे सहकारिता मंत्री का विजन है कि किसानों की आय दोगुनी हो. सहकारिता मंत्री ने खुद बोला है कि जाकर विजिट करो उसकी वजह से यहां आया हूं. मंडी में दाम ज्यादा मिल रहा है और किसान को नेफेड की ओर से कम भाव का ऑफर किया जा रहा है. ऐसी सूचना पर मैं आया हूं. ताकि किसानों को दाम ज्यादा मिले. किसानों को सही दाम मिले यह हमारा मकसद है, क्योंकि नेफेड किसानों के लिए बना है.
महाराष्ट्र के किसानों ने नेफेड के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. कई साल से लगातार किसान यह मांग कर रहे हैं कि नेफेड की प्याज खरीद पारदर्शी होनी चाहिए. यह पता ही नहीं चलता कि नेफेड किससे प्याज खरीद रहा है और कैसे दाम तय कर रहा है. एक सहकारी एजेंसी कैसे पिछले साल 24 रुपये पर प्याज खरीदे और इस साल दाम घटाकर 21 रुपये कर सकती है, जबकि प्याज उत्पादन की लागत बढ़ रही है. इस साल बाजार में प्याज का दाम 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है तो नेफेड सिर्फ 2100 से 2900 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर ही प्याज खरीदना चाहता है. इसलिए महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन ने राज्य के किसानों से अपील कर दी है कि वो नेफेड को बफर स्टॉक के लिए प्याज न बेचें.
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