पराली जलाने की रफ्तार बढ़ी: पंजाब में अब तक 126 केस, आने वाले दिनों में हालात बिगड़ने की चेतावनी

पराली जलाने की रफ्तार बढ़ी: पंजाब में अब तक 126 केस, आने वाले दिनों में हालात बिगड़ने की चेतावनी

पंजाब में पराली जलाने के 10 नए मामले सामने आए हैं, जिससे कुल आंकड़ा 126 पर पहुंच गया है. जानिए कैसे यह समस्या वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है और आने वाले दिनों में क्या है स्थिति की गंभीरता.

पंजाब में खेतों में आग की घटनाएं तेजपंजाब में खेतों में आग की घटनाएं तेज
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Oct 13, 2025,
  • Updated Oct 13, 2025, 12:02 PM IST

पंजाब में पराली जलाने के मामलों में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है. रविवार को राज्य में कुल 10 नए खेतों में आग लगने के मामले सामने आए हैं, जिससे इस सीजन में अब तक कुल मामलों की संख्या 126 तक पहुंच गई है. पिछले तीन दिनों में ही 30 प्रतिशत से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.

रविवार को जिन 10 मामलों की पुष्टि हुई, उनमें से 4 केस फिरोजपुर से, जबकि अमृतसर और तरनतारन से 3-3 केस सामने आए हैं.

पिछले वर्षों के मुकाबले अभी कम हैं केस

12 अक्टूबर 2025 को जो आंकड़े सामने आए हैं, वे 2023 और 2024 की तुलना में काफी कम हैं. 2023 में इसी दिन 13 मामले आए थे, जबकि 2024 में यह संख्या 177 थी. विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन यह स्थायी नहीं है.

मलवा बेल्ट में कटाई शुरू- बढ़ सकते हैं मामले

विशेषज्ञों और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मलवा बेल्ट में धान की कटाई अभी शुरू ही हुई है, और आने वाले 10 दिनों में पराली जलाने के मामलों में तेजी आ सकती है. अक्टूबर 15 से लेकर नवंबर 15 के बीच का समय सबसे अधिक संवेदनशील होता है क्योंकि इस दौरान अधिकतर किसान अपनी फसल काटते हैं और पराली जलाते हैं.

वायु गुणवत्ता अभी बेहतर

अभी तक वायु गुणवत्ता अन्य वर्षों की तुलना में बेहतर स्थिति में है. खन्ना में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 104 रिकॉर्ड किया गया, जबकि पटियाला (94), जालंधर (88), अमृतसर (86), लुधियाना (85), बठिंडा (81) और मंडी गोबिंदगढ़ (65) पर रहा. हालांकि, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी ने चेताया है कि अगले सप्ताह में हालात बिगड़ सकते हैं, क्योंकि मलवा क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने की संभावना है.

समाधान की जरूरत

सरकार और प्रशासन को चाहिए कि किसानों को वैकल्पिक समाधान उपलब्ध कराए जाएं, ताकि पराली जलाने की जरूरत न पड़े. जागरूकता और तकनीकी मदद से इस गंभीर समस्या को रोका जा सकता है. हालांकि इस साल अब तक पराली जलाने के मामलों में गिरावट आई है, लेकिन आने वाले दिनों में इसके बढ़ने की आशंका बनी हुई है. सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा सके.

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