राजस्थान के किसानों को मिली एमएसपी की अधूरी गारंटी: मूंग और चना बाहर, क्यों है किसानों में नाराजगी?

राजस्थान के किसानों को मिली एमएसपी की अधूरी गारंटी: मूंग और चना बाहर, क्यों है किसानों में नाराजगी?

राजस्थान के किसानों के लिए एमएसपी पर दलहन फसलों की शत-प्रतिशत खरीद की घोषणा, लेकिन मूंग और चना को बाहर रखना किसानों के लिए बड़ा झटका. पढ़ें पूरी कहानी और किसानों की नाराजगी.

किसानों के साथ हुआ धोखाकिसानों के साथ हुआ धोखा
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Oct 13, 2025,
  • Updated Oct 13, 2025, 7:16 PM IST

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में राजस्थान में एक बड़ी घोषणा की- दलहन फसलों की 100 प्रतिशत खरीद की गारंटी की. यह घोषणा सुनकर सामान्य रूप से कोई भी किसान खुश हो जाएगा, खासकर वो किसान जो दलहन उत्पादन से जुड़े हैं. लेकिन जब इसकी वास्तविकता सामने आती है, तो किसानों को लगता है जैसे उनके साथ धोखा हुआ है.

सिर्फ अरहर, उड़द और मसूर को मिला लाभ

इस घोषणा में मूंग और चना जैसी प्रमुख फसलों को शामिल नहीं किया गया, जबकि ये राजस्थान की मुख्य दलहन फसलें हैं. मूंग के उत्पादन में राजस्थान देशभर में पहले स्थान पर है, जो कुल उत्पादन का लगभग 49% है. वहीं, चना का उत्पादन भी राज्य में 18% के करीब है और इसकी आर्थिक अहमियत बहुत अधिक है. इसके बावजूद इन दोनों फसलों को इस गारंटी से बाहर रखना किसानों के लिए "कटे घाव पर नमक छिड़कने" जैसा है.

राजस्थान में दलहन उत्पादन की स्थिति

राजस्थान में दलहन की स्थिति पर नजर डालें तो:

  • मूंग – देश में पहला स्थान (49% उत्पादन)
  • चना – देश में तीसरा स्थान (18% उत्पादन)
  • उड़द – देश में सातवां स्थान (6% उत्पादन)
  • अरहर और मसूर – नाममात्र उत्पादन

इससे साफ होता है कि मूंग और चना राजस्थान की मुख्य फसलें हैं. परंतु इनको गारंटी योजना से बाहर रखना भेदभाव जैसा लगता है.

पहले भी हुआ था वादा, लेकिन अधूरा

सरकार की ओर से पहले 25% से अधिक दलहन और तिलहन की खरीद नहीं करने की सीमा तय की गई थी, जिसे 31 अगस्त 2022 को 40% तक बढ़ाया गया. फिर अप्रैल 2023 में अरहर, उड़द और मसूर की 100% खरीद की घोषणा हुई. पर मूंग और चना के मामले में वही पुरानी नीति बनी रही. अब गृह मंत्री ने अप्रैल 2023 की इसी पुरानी घोषणा को ही नई घोषणा की तरह दोहराया, जिससे किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

किसान संगठनों की प्रतिक्रिया

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने इस घोषणा पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह घोषणा सिर्फ दिखावे की है. उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्षों से राजस्थान के किसान मूंग और चना के लिए एमएसपी पर शत-प्रतिशत खरीद की मांग कर रहे हैं. इसके लिए वे भारत सरकार के कृषि मंत्रियों – नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान से भी कई बार बातचीत कर चुके हैं, लेकिन परिणाम शून्य रहा.

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

घोषणा के समय राजस्थान के कई जनप्रतिनिधि और मुख्यमंत्री भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी इस भेदभाव पर सवाल नहीं उठाया. यह चुप्पी किसानों के लिए और भी निराशाजनक है.

देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की बात तो की जा रही है, लेकिन मूंग और चना जैसे प्रमुख उत्पादकों को गारंटी योजना से बाहर रखना इस नीति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है. राजस्थान के किसान अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस भेदभावपूर्ण रवैये को बदलेगी और उन्हें भी दाने-दाने की खरीद की गारंटी मिलेगी.

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