राजस्थान में बीते पांच दिन से मौसम ने किसानों को परेशान कर के रख दिया है. प्रदेश में बुधवार को एक इंच बरसात हुई. साथ ही कई जगह ओले भी गिरे. इससे कई जिलों में फसलों को काफी नुकसान हुआ है. पश्चिमी राजस्थान में जीरा, ईसबगोल की फसल को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. वहीं, पूर्वी राजस्थान में खेतों में काट कर रखी हुई सरसों की फसल खराब हुई है. बेमौसम हुई इस बारिश ने किसानों की फसल भारी मात्रा में बर्बाद की है. ऐसे में किसानों को मुआवजा देने के लिए प्रशासन भी एक्शन मोड में आ गया है. जिसके तहत राजस्थान सरकार ने बारिश से खराब फसलों की सात दिन में गिरदावरी कराने का निर्देश दिया है.
राजस्थान में बुधवार को कई जिलों में बारिश के साथ-साथ ओलावृष्टि हुई. पूरे प्रदेश में एक इंच तक बारिश दर्ज की गई है. पश्चिमी विक्षोभ के असर से प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, भरतपुर, अजमेर और कोटा संभाग के कुछ जिलों में बरसात हुई है. वहीं, माउंट आबू, बारां, झालावाड़ जिलों में बारिश के साथ-साथ ओलावृष्टि भी हुई है. इन स्थानों पर करीब 40 किमीप्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं. सबसे अधिक बारिश जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ में 20 मिमी दर्ज की गई.
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उधर, उदयपुर संभाग के राजसमंद में भी ओले गिरे और बारिश हुई है. राजसमंद जिले में तीन दिन से मौसम खराब है. ऐसे में यहां मक्का, जौ और सरसों की फसल को नुकसान हुआ है. यहां दो दिन में 10 एमएम बारिश दर्ज हुई है. हालांकि नुकसान का आंकलन नहीं हुआ है, लेकिन बारिश से गेहूं का दाना काला पड़ेगा. इससे किसानों को भाव नहीं के बराबर मिलेंगे.
इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान में बाड़मेर जिले के सात और आठ मार्च को शिव और बायतु में बरसात ने किसानों के चेहरे मुरझा दिए. बारिश, तेज हवा और ओलों ने फसलों को जमीदोंज कर दिया. इससे पहले क्षेत्र के धोरीमन्ना, गुड़ामालानी, चौहटन, धनाऊ और सेड़वा इलाकों में ओले और बारिश हुई. तेज बरसात से फसलों में 70-80 प्रतिशत नुकसान की आशंका जताई जा रही है.
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बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा ने गुरुवार को संभागीय आयुक्तों और जिला कलक्टरों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग से फीडबैक लिया. मुख्य सचिव ने ज़िला कलक्टरों को निर्देश दिए कि वे सात दिनों में नुकसान का आकलन करें. इसके लिए विशेष गिरदावरी की जाए. गिरदावरी के रिपोर्ट जल्दी भेजें ताकि सरकार प्रभावित किसानों को राहत दे सके.
बता दें कि फसल खराबे की सूचना किसानों को इंश्योरेंस कंपनी के टोलफ्री नंबर, एप, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि, स्थानीय कृषि कार्यालय या संबंधित बैंक में निर्धारित प्रपत्र में भरकर दे सकते हैं.
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