राजस्थान के उत्तरी जिले हनुमानगढ़ में मंगलवार को किसानों ने भाखड़ा से पानी की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू किया है. सैंकड़ों की संख्या में संगरिया के पास नगराना टोल प्लाजा को किसानों ने बंद कर दिया. किसानों की मांग है कि पिछले दिनों धरने के बाद प्रशासन ने 1200 क्यूसेक पानी देने का आश्वासन दिया था. आठ मई को भाखड़ा से पानी छोड़ा भी गया, लेकिन उसकी मात्रा सिर्फ 200-250 क्यूसेक ही था. जबकि इस पानी में राजस्थान का हिस्सा ही 850 क्यूसेक का है.
ग्रामीण किसान-मजदूर समिति के रणजीत सिंह ने कहा कि आज का चक्काजाम दो घंटे का सांकेतिक प्रदर्शन है. प्रशासन ने वादे के मुताबिक पानी नहीं छोड़ा है. अगर जल संसाधन विभाग ने हमारी मांग नहीं मानी तो बुधवार को और भी बड़ा प्रदर्शन किसानों की ओर से किया जाएगा.
ग्रामीण किसान-मजदूर समिति के रणजीत सिंह ने किसान तक को बताया, “हनुमानगढ़ को सिंचाई के लिए पानी इंदिरा गांधी नहर से मिलता है, लेकिन इसमें 30 जून तक बंदी है. ऐसे में हमें नरमा बिजाई के लिए पानी नहीं मिल रहा. आईजीएनपी से पहले सरहिंद नहर के जरिए हमें पानी मिलता था. हम किसान कुछ दिनों के लिए इस नहर से पानी की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन का कहना है कि इससे पंजाब की जरूरत ही पूरी होती है. पंजाब में सरकारी आदेश है कि वहां 15 जून से पहले धान की बुवाई नहीं होती. इसीलिए हमारी मांग है कि 15 जून तक सरहिंद नहर में आ रहे पानी को हमें बिजाई के लिए उपलब्ध कराया जाए.
रणजीत जोड़ते हैं, “भाखड़ा में पेयजल के लिए 400 क्यूसेक पानी की सप्लाई की जा रही है. इसीलिए अब सभी जगह पानी का भंडारण हो चुका है. ऐसे में किसानों को बिजाई के लिए पानी की जरूरत है. इसीलिए आरडी 496 पर बनाए गए पौंड लेवल को तोड़कर कटाव पाटने की तैयारी शुरू की जाए. साथ ही किसानों को 850 क्यूसेक की जगह 1200 क्यूसेक पानी देना शुरू किया जाए. ये पानी गुरूवार यानी चार मई से देना शुरू किया जाए.”
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हमारी मांगों पर चीफ इंजीनियर अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने आरडी 496 पर मिट्टी के कट्टे भरवाने की बात कही थी. किसानों ने चीफ इंजीनियर के कहने से धरना खत्म किया. लेकिन अब किसानों को कहना है कि आठ मई से प्रशासन से पानी देना शुरू किया, लेकिन मांग के अनुसार सप्लाई नहीं किया दा रहा. अभी भी हमें 200-250 क्यूसेक पानी ही मिल रहा है. इसीलिए मंगलवार नौ मई को टोल प्लाजा पर चक्काजाम किया गया है.
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रणजीत कहते हैं कि पिछले दिनों हुई बातचीत में चीफ इंजीनियर ने 850 क्यूसेक पानी छोड़ने की बात कही, लेकिन इससे हमारी जरूरत पूरी नहीं हो रही. अब जब पानी छोड़ा गया है तो वह सिर्फ 200-250 क्यूसेक ही है. इसीलिए सभी किसान प्रतिनिधि 1200 क्यूसेक पानी देने की मांग कर रहे हैं.
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