किसानों को हर साल किसी न किसी फसल को बेचने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस सीजन में भी किसानों को बाजरे की उपज बेचने के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं. हरियाणा के रेवाड़ी अनाज मंडी में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां मंडी में सुबह से ही किसान टोकन कटाने के लिए लाइन में खड़े हैं. टोकन मिलेगा तो फसल बिकेगी.
किसानों का कहना है कि सरकार किसानों के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है. जिसके कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि ये हर साल की बात है. मंडी सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को हर साल ऐसे ही परेशान होना पड़ता है.
जानकारी के मुताबिक खरीद एजेंसी 2200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजरे की खरीद कर रही है. एमएसपी की बची राशि सरकार भवांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को देगी. लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि कैसे उपज खरीद प्रकिया की जा रही है. उन्हें टोकन कटाने के लिए लाइनों में खड़े होकर परेशान होना पड़ रहा है.
किसानों का कहना है कि सरकार उनके लिए कागजों में बहुत कुछ करती है. बात भी करती है, लेकिन धरातल पर वैसा कुछ नहीं होता. मंडी में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि किसान आसानी से फसल बेच सकें. जिसके कारण हम किसानों को पहले सरसों की बिक्री के लिए परेशान होना पड़ा और अब बाजरा बेचने के लिए परेशान होना पड़ रहा है.
परेशान होकर मार्केट कमेटी के ऑफिस में कुछ किसानों ने हंगामा भी किया. कमेटी के ऑफिस में बैठकर कई किसानों ने किसान एकता जिंदाबाद के नारे भी लगाए.
सुबह से ही रेवाड़ी अनाज मंडी के बाहर लगी ट्रैक्टरों की लंबी कतारें बता रही हैं कि हालात कितने खराब हैं. मंडी में टोकन नहीं काटने से किसान परेशान हो रहे हैं.