
हरियाणा में सरकार के धान खरीद अभियान के बीच सिरसा में परमल धान की खरीद को लेकर कथित घोटाले का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि मंडियों में भीड़ और लंबी कतारों का फायदा उठाकर कई व्यापारी किसानों को सरकारी खरीद केंद्रों से भटका रहे हैं. किसानों को निजी गोदामों में धान बेचने के लिए लालच दिया जा रहा है, जहां बिना किसी टोकन या अधिकृत प्रक्रिया के फसल खरीदी जा रही है. जानकारी के अनुसार, इन निजी गोदामों में किसानों से प्रति क्विंटल 6 से 10 किलो तक की कटौती की जा रही है. इतना ही नहीं, धान में नमी की जांच मशीनों से नहीं, बल्कि दानों को दांतों से काटकर की जा रही है. इस तरह की मनमानी से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
‘दि ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मंडी के बाहर बने इन गोदामों में हर दिन दर्जनों ट्रॉलियां पहुंच रही हैं. गुरुवार को लार्ड शिवा कॉलेज रोड स्थित रानिया-एलेनाबाद मिनी बाईपास के पास 3-4 निजी गोदामों में धान के विशाल ढेर लगे देखे गए. आधे अधूरे फर्श पर मजदूर धान की बोरियां भरने में जुटे हुए थे. मजदूरों ने बताया कि वे केवल लोडिंग-अनलोडिंग का काम करते हैं और उन्हें नहीं पता कि गोदाम का मालिक कौन है. बताया जा रहा है कि इन जगहों पर रोजाना 30 से 40 ट्रॉली धान पहुंच रही हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि इन बोरियों पर पंजाब के लेबल लगे हैं, जिससे अनियमितताओं की आशंका और गहरा रही है.
नाथूसरी चोपटा के एक किसान ने बताया कि वह अपनी फसल लेकर मंडी पहुंचा था, लेकिन उसे टोकन दिए बिना गोदाम भेज दिया गया. वहां मौजूद खरीदार ने धान कटौती कर कहा कि इसमें 22 प्रतिशत नमी है, जबकि मशीन से कोई जांच नहीं की गई. किसान ने बताया कि उससे पहले 10 किलो प्रति क्विंटल कटौती मांगी गई, पर बहुत मिन्नतों के बाद यह घटाकर 8 किलो कर दी गई. इसी तरह एक अन्य किसान की फसल में 6 किलो प्रति क्विंटल कटौती की गई.
बरगुढ़ा क्षेत्र के एक किसान ने भी इसी तरह का अनुभव साझा किया. उसने बताया कि मंडी में मौजूद एक व्यापारी ने उसे इंडस्ट्रियल एरिया रोड के पास स्थित गोदाम भेजा. वहां जब कटौती बताई गई तो वह मायूस हो गया, पर मजबूरी में अपनी फसल बेचनी पड़ी. इस पूरे मामले पर जब सिरसा मार्केट कमेटी के सचिव वीरेन्द्र मेहता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि निजी खरीदार तभी धान खरीद सकते हैं जब वे मार्केट फीस अदा करें और रिकॉर्ड बनाए रखें. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति बिना टोकन और बिना फीस दिए धान खरीद या भंडारण करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
मेहता ने किसानों से अपील की कि अगर उन्हें जबरन या लालच में फंसाकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है तो वे तुरंत मार्केट कमेटी कार्यालय से संपर्क करें. उन्होंने कहा कि मंडियों में पर्याप्त नमी जांच मशीनें उपलब्ध हैं, इसलिए किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलेगा और उन्हें किसी कटौती या फर्जी परीक्षण का शिकार नहीं होना चाहिए.
मेहता ने यह भी बताया कि लार्ड शिवा कॉलेज रोड पर स्थित तीन गोदामों को डिप्टी कमिश्नर की अनुमति से मंडियों के विस्तार केंद्र के रूप में नामित किया गया है, ताकि भीड़ कम हो सके. वहां धान केवल उन्हीं टोकनों के आधार पर रखा जा रहा है, जो मंडी से जारी किए गए हैं. इस क्षेत्र में कुल चार गोदाम हैं.
हालांकि, वास्तविकता यह है कि कई किसान अब भी भीड़ और देरी से बचने के लिए अपनी फसल सीधे निजी व्यापारियों को बेच रहे हैं. उन्हें तत्काल भुगतान का लालच दिया जाता है जबकि व्यापारी मंडी फीस से बचने के लिए इस रास्ते को चुनते हैं. दोनों पक्षों को अस्थायी लाभ होता है, लेकिन सरकार को मंडी शुल्क के रूप में भारी नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, किसान अपनी मेहनत की कीमत घटाकर देने को मजबूर हैं.