
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में केले की गिरती कीमतों को लेकर किसानों के विरोध के बीच एक केला किसान का प्रदर्शन सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. सरकार के हस्तक्षेप तक आधे कपड़ों में रहने की शपथ ली है. महाराष्ट्र की सीमा से सटे बुरहानपुर जिले को एमपी का सबसे बड़ा केला उत्पादक जिला माना जाता है और यहां के अधिकांश किसानों की आजीविका इसी फसल पर निर्भर है.
जिले के किसान 44 साल के किशोर वसांकर ने कहा कि बुरहानपुर में इस समय केले की कीमतें सिर्फ 2 से 3 रुपये प्रति किलो मिल रही हैं.उन्होंने बताया कि किसानों को भारी नुकसान हो रहा है और वह कर्ज में डूबते जा रहे हैं. किशोर वसांकर ने कहा, 'जब तक स्थानीय किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता मैं अपने शरीर के ऊपरी हिस्से पर कपड़े और पैरों में जूते नहीं पहनूंगा.'
वसांकर का कहना है कि बुरहानपुर में केले की फसल को साल 2018 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत शामिल नहीं किया गया है, जबकि महाराष्ट्र के किसान इस केंद्रीय योजना का लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया, 'व्यापारी किसानों से केले को बेहद सस्ती दरों पर खरीद रहे हैं और फिर खुदरा बाजार में उन्हें ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं.'
इसी बीच, बड़ी संख्या में किसानों ने अपने ट्रैक्टरों के साथ गुरुवार को बुरहानपुर शहर में प्रदर्शन किया और मांग की कि केले की फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत शामिल किया जाए. प्रदर्शन के दौरान किसान जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में घुसने की कोशिश करने लगे लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अफरातफरी में कार्यालय के प्रवेश द्वार का शीशा टूट गया. शहर के पुलिस अधीक्षक गौरव पाटिल ने कहा कि किसानों को समझाया गया और प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से खत्म हो गया.
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