
ओडिशा सरकार ने राज्य को आलू उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इस साल राज्य में 50,000 एकड़ से अधिक भूमि पर आलू की खेती की जाएगी. उप मुख्यमंत्री के.वी. सिंह देव की अध्यक्षता में गुरुवार को इसे लेकर उच्च स्तरीय बैठक हुई. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण आलू बीज समय से उपलब्ध कराए जाएं, ताकि खेती सुचारू रूप से शुरू हो सके. कृषि विभाग के अनुसार, इस योजना के तहत करीब 3 लाख क्विंटल आलू बीज की जरूरत होगी, जिसे किसानों को अग्रिम रूप से (पहले से) उपलब्ध कराया जाएगा.
कृषि विभाग ने नवंबर के पहले सप्ताह से बीज आपूर्ति शुरू करने की तैयारी कर ली है. यह आपूर्ति ब्लॉकवार मांग और वितरण प्रणाली के अनुसार की जाएगी. इसके साथ ही सरकार ने 6,000 हेक्टेयर में प्याज, 1,000 हेक्टेयर में मिर्च और 300 हेक्टेयर में लहसुन की खेती कराने की भी योजना बनाई है.
मालूम हो कि वर्तमान में ओडिशा आलू और अन्य कुछ सब्जियों की आपूर्ति के लिए बंगाल पर निर्भर रहता है. बंगाल आलू के प्रमुख उत्पादक राज्यों में शुमार है. ऐसे में जब भी आलू की खेती पर असर पड़ता है तो ओडिशा को आलू की सप्लाई मिलना मुश्किल हो जाता है. साथ ही आलू के महंगे होने से भी ओडिशा के आम लोगों की थाली महंगी हो जाती है और उनका घरेलू बजट भी बिगड़ने लग जाता है.
वहीं, कभी बंगाल से अनियमित सप्लाई होने के कारण भी ओडिशा को उत्तर प्रदेश या अन्य राज्यों से आलू मंगवाना पड़ता है. पिछले साल ऐसी स्थितियां बनने पर उत्तर प्रदेश से ओडिशा को आलू की खेप भेजी गई थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल ओडिशा के खाद्य आपूर्ति मंत्री केसी पात्रा ने बंगाल से चरणबद्ध तरीके से आलू की खरीद बंद करने और उत्तर प्रदेश से खरीद जारी रखने की बात कही थी.
उस समय उन्होंने बंगाल पुलिस और सत्तारूढ़ टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर ओडिशा के व्यापारियों से बदसलूकी का आरोप लगाया था. उन्होंने बंगाल पुलिस और टीएमसी कार्यकर्ताओं राज्य के व्यापारियों से अवैध वसूली का भी आरोप लगाया था. मंत्री ने यह बयान बीते साल अगस्त में दिया था, जब राज्य में आलू की कीमतें 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी.
बता दें कि ओडिशा में आलू की काफी मांग रहती है. ऐसे में जब भी आलू की सप्लाई पर असर पड़ता है और कीमतें बढ़ती है तो सरकार की टेंशन बढ़ जाती है. वहीं, विधानसभा में भी यह मुद्दा बहुत जल्द उठता है. विपक्षी पहले भी इसे लेकर राज्य की बीजेपी सरकार को घेर चुके हैं. ऐसे में अब सरकार इस साल आलू उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य तय किया है. (पीटीआई के इनपुट के साथ)