गेहूं की नई किस्म (सांकेतिक तस्वीर)चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU) ने किसानों की आय बढ़ाने और अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत गेहूं की किस्म डब्ल्यूएच-1402 (WH-1402) विकसित की है. इस किस्म के बीज देश और प्रदेश के अधिक से अधिक किसानों तक पहुंच सकें, इसके लिए विश्वविद्यालय ने निजी क्षेत्र की कंपनी श्री संत सीड्स एलएलपी, टोहाना के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज की उपस्थिति में यह समझौता हुआ. विश्वविद्यालय की ओर से अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने जबकि कंपनी की ओर से निदेशक मलकीत सिंह और गुरमीत सिंह ने हस्ताक्षर किए.
कुलपति प्रो. काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार नई और उन्नत किस्में विकसित कर रहे हैं ताकि किसानों को अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता वाली फसल मिल सके. विश्वविद्यालय ने गेहूं की अगेती, पछेती और समय पर बिजाई करने योग्य कई किस्में विकसित की हैं.
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि WH-1402 किस्म की बिजाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक है. इसकी बीज दर 100 किलो प्रति हेक्टेयर रखी गई है. इस किस्म को दो बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है — पहली बिजाई के 20-25 दिन बाद और दूसरी बिजाई के 80-85 दिन बाद.
यह किस्म 100 दिन में बालियां निकालती है और 147 दिन में पूरी तरह पक जाती है. इसकी बालियां लंबी (14 सेंटीमीटर) और लाल रंग की होती हैं. पौधे की ऊंचाई लगभग 100 सेंटीमीटर है, जिससे इसके गिरने की संभावना बहुत कम रहती है. इसमें 11.3 प्रतिशत प्रोटीन, 77.7 किलो/हेक्टोलिटर वजन, लौह तत्व 37.6 पीपीएम और जिंक 37.8 पीपीएम पाया गया है, जिससे यह पौष्टिकता के लिहाज से भी बेहतरीन किस्म मानी जा रही है.
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. पाहुजा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार, बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र मोर, डॉ. करमल सिंह, डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. एम.एस. दलाल, आईपीआर सेल प्रभारी डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. रेणु मुंजाल और डॉ. जितेंद्र भाटिया सहित कई वैज्ञानिक उपस्थित रहे.
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