ब्रोकली की खेती से आत्मनिर्भर बनीं मुंगेर की शारदा कुमारी, ATMA योजना से मिला लाभ

ब्रोकली की खेती से आत्मनिर्भर बनीं मुंगेर की शारदा कुमारी, ATMA योजना से मिला लाभ

खराब लाइफस्टाइल को सही करने के लिए लोग स्वस्थ खानपान और योग की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में ब्रोकली का सेवन सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. यह प्रोटीन और विटामिन का अच्छा स्रोत है. जिसके कारण यह एक हेल्दी ऑप्शन है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या हैं इसके फायदे.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 06, 2025,
  • Updated Mar 06, 2025, 6:21 PM IST

बिहार के मुंगेर की महिला किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर उच्च गुणवत्ता वाली और पौष्टिक सब्जियों का उत्पादन शुरू कर दिया है. मुंगेर, बिहार की रहने वाली शारदा कुमारी ने एक बार फिर न सिर्फ बिहार बल्कि मुंगेर का भी नाम रोशन किया है. वह अन्य किसानों और खासकर महिला किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गई हैं.

1 एकड़ जमीन में कर रहीं खेती

दरअसल शारदा कुमारी आलू, बैंगन और टमाटर की खेती छोड़कर अब ब्रोकली की खेती कर रही हैं. शारदा कुमारी आत्मा समूह का हिस्सा हैं जहां उन्हें ब्रोकली की खेती के बारे में जानकारी दी गई. जिसके बाद उन्होंने 1 एकड़ जमीन में इसकी खेती की और आज उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.

प्रोटीन का स्रोत है ब्रोकली

खराब लाइफस्टाइल को सही करने के लिए लोग स्वस्थ खानपान और योग की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में ब्रोकली का सेवन सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. यह प्रोटीन और विटामिन का अच्छा स्रोत है. जिसके कारण यह एक हेल्दी ऑप्शन है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या हैं इसके फायदे.

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ब्रोकली के फायदे

  • विटामिन सी का भंडार- ब्रोकली में फूलगोभी से भी ज़्यादा विटामिन सी होता है. विटामिन सी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने और त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है.
  • विटामिन K- ब्रोकली में विटामिन K की मात्रा भी बहुत अच्छी होती है. इसलिए इसे खाने से विटामिन K की कमी पूरी होती है.
  • दिल के लिए सेहतमंद- ब्रोकली में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है और दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करता है.
  • आंखों की सेहत- ब्रोकली में बीटा-कैरोटीन होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए अच्छा होता है.

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कैसे करें ब्रोकली की खेती

ब्रोकली की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, बशर्ते मिट्टी बहुत अम्लीय या क्षारीय न हो. इसकी सफल खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त होती है. पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी होती है. हल्की बनावट वाली मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जा सकती है. ब्रोकली की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0-7.0 होना चाहिए.

ब्रोकली की खेती के लिए मैदानी इलाकों में जुलाई के महीने में नर्सरी में अगेती किस्मों की बुवाई की जाती है. अगस्त में मध्यम किस्मों और अक्टूबर में पछेती किस्मों को लगाना उचित रहता है. पहाड़ी इलाकों में मई से नवंबर के बीच ब्रोकली की खेती फायदेमंद रहती है. घाटी वाले इलाकों में अगस्त में मध्यम किस्मों और सितंबर तक पछेती किस्मों की नर्सरी में बुवाई कर देनी चाहिए.

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