बिहार के मुंगेर की महिला किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर उच्च गुणवत्ता वाली और पौष्टिक सब्जियों का उत्पादन शुरू कर दिया है. मुंगेर, बिहार की रहने वाली शारदा कुमारी ने एक बार फिर न सिर्फ बिहार बल्कि मुंगेर का भी नाम रोशन किया है. वह अन्य किसानों और खासकर महिला किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गई हैं.
दरअसल शारदा कुमारी आलू, बैंगन और टमाटर की खेती छोड़कर अब ब्रोकली की खेती कर रही हैं. शारदा कुमारी आत्मा समूह का हिस्सा हैं जहां उन्हें ब्रोकली की खेती के बारे में जानकारी दी गई. जिसके बाद उन्होंने 1 एकड़ जमीन में इसकी खेती की और आज उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.
खराब लाइफस्टाइल को सही करने के लिए लोग स्वस्थ खानपान और योग की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में ब्रोकली का सेवन सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. यह प्रोटीन और विटामिन का अच्छा स्रोत है. जिसके कारण यह एक हेल्दी ऑप्शन है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या हैं इसके फायदे.
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ब्रोकली की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, बशर्ते मिट्टी बहुत अम्लीय या क्षारीय न हो. इसकी सफल खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त होती है. पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी होती है. हल्की बनावट वाली मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जा सकती है. ब्रोकली की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0-7.0 होना चाहिए.
ब्रोकली की खेती के लिए मैदानी इलाकों में जुलाई के महीने में नर्सरी में अगेती किस्मों की बुवाई की जाती है. अगस्त में मध्यम किस्मों और अक्टूबर में पछेती किस्मों को लगाना उचित रहता है. पहाड़ी इलाकों में मई से नवंबर के बीच ब्रोकली की खेती फायदेमंद रहती है. घाटी वाले इलाकों में अगस्त में मध्यम किस्मों और सितंबर तक पछेती किस्मों की नर्सरी में बुवाई कर देनी चाहिए.