
बाराबंकी जिले के एक युवा प्रगतिशील किसान मयंक वर्मा ने बींस की खेती से सफलता की नई मिसाल कायम की है. मयंक पिछले 2 वर्षों से बींस की खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें शानदार मुनाफा मिल रहा है. सरसोंदी गांव के किसान मयंक वर्मा ने बताया कि बींस की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लागत बहुत कम आती है और एक बार लगाने पर तीन साल तक फायदा मिलता है. उन्होंने अक्टूबर में बींस का बीज बोया था और अब तक एक बार तुड़ाई कर चुके हैं, जबकि दूसरी फसल तैयार हो चुकी है. बता दें कि रबी के सीजन में बींस एक प्रमुख फसल है. यह न केवल प्रोटीन देती है, बल्कि खेतों की उर्वरक शक्ति को भी बढ़ाती है. इसलिए इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है.
उन्होंने बताया कि उनको एक बीघे में एक लाख रुपये तक का मुनाफ़ा होता है जबकि लागत के नाम पर मात्र 30 हज़ार का खर्च प्रति बीघा आता है. इसकी बुवाई अक्टूबर में की जाती है और ये 60 दिन की फ़सल है. छोटे और कम ज़मीन वाले किसानों के लिए बींस की खेती मुनाफ़ा देने वाली खेती है. वहीं एक बीघे में 30 क्विंटल बींस की पैदावार होती है.
मयंक बताते हैं कि इस साल हम दो बीघे में बींस की खेती कर रहे है. जबकि एक बीघे में एक किलो बीज की खपत होती है, और एक किलो बीज 2200 रुपये का मिलता है. वहीं मिल्चिंग का खर्च की बात करें तो एक बीघे में 1500 रुपये की लागत आती है. उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर एक बीघे में 30 हजार रुपये का खर्च आता है. और मुनाफा एक लाख से अधिक हो जाता है.
एक बीघे में 300 टुकड़े बांस की लग जाते है. 25 किलो लोहे का तार. उन्होंने कहा कि मलचिंग विधि से खेती करने पर बेहतर परिणाम मिलते हैं. बीज की बुवाई 1 फीट की दूरी पर करना चाहिए और नाले के बीच का फासला 2.5 फीट होना चाहिए. बींस की फसल पर लीफ माइनर नाम का रोग तेजी से फैलता है. इसके लिए समय-समय पर दवाइयों का छिड़काव करते रहते है. वेबस्टिन नामक दवा का इस्तेमाल 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से किया जा सकता है. मयंक ने आगे बताया कि बींस की तुड़ाई पर थोड़ी सावधानी जरूर रखना चाहिए, हमेशा कैंची का इस्तेमाल करना चाहिए. दरअसल, बाराबंकी जिले में एक एकड़ में 4 बीघा होता हैं. और मयंक अब दो बीघे में बींस की खेती कर रहे हैं.
मयंक की सफलता से प्रेरित होकर अब क्षेत्र के अन्य किसान भी बींस की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. यह खेती न केवल कम लागत में की जा सकती है, बल्कि इससे किसानों को लंबे समय तक निरंतर आय का जरिया भी मिल जाता है. सफल युवा किसान मयंक वर्मा की कहानी साबित करती है कि पारंपरिक खेती से हटकर नई फसलों को अपनाकर किसान अपनी आय को कैसे बढ़ा सकते हैं.
ये भी पढे़ं-
बेंगलुरु से लखनऊ आया Mango Harvester, किसानों को मिलेगी बड़ी राहत, जानें कीमत और फायदे
यूपी में पछुआ हवाओं ने बढ़ाई किसानों की चिंता, जानिए आज कैसा रहेगा आपके शहर का मौसम
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today